नदी में डाले गये कचरे की दुर्गंध से परेशानी
नदी में डाले गये कचरे की दुर्गंध से परेशानी
देश के कई भागों में नदियों को स्वच्छ करने का अभियान चलाया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ कांडी बस्ती एवं बाजार से होकर बहने वाली नदी कचरों से भरी पड़ी है. कचरों का यह अंबार कभी भी कांडी को महामारी की सौगात दे सकता है. बावजूद इसके इस ओर आज तक किसी ने ध्यान देना उचित नहीं समझा. पिछले दिन हुई हल्की बारिश के बाद इन कचरों में पानी घुस गया है, जिससे भारी दुर्गंध उठ रही है. इधर इस दुर्गंध से नदी के किनारे मकान में रहने वाले, विभिन्न दुकानदार तथा वहां आने-जाने वाले ग्राहकों की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. यदि आनेवाले दिनों में फिर बारिश होती है, तो यह दुर्गंध और बढ़ जायेगी. विदित हो कि नदी के किनारे से मात्र कुछ ही गज की दूरी पर भारतीय स्टेट बैंक अवस्थित है. बैंक में आते-जाते एवं अपनी बारी का इंतजार करते ग्राहकों को इस दुर्गंध से हमेशा दो-चार होना पड़ता है. लेकिन उनके पास इसका कोई विकल्प नहीं है. गौरतलब है कि नदी में बाढ़ आने के बाद सारा कचरा, प्लास्टिक, शीशी, बोतल, कई गंदे सामान, मेडिकल वेस्टेज, सिरिंज, नीडिल आदि का अंबार बहते हुए सड़की गांव के खेतों में जाकर भर जाता है. कई लोगों के पैर में निडल एवं टूटा-फूटा शीशा गड़ जाता है.
मुखिया के आवेदन पर कार्रवाई नहींमुखिया विजय राम ने कई बार प्रखंड स्तरीय कार्यक्रमों में प्रशासनिक प्रमुख की उपस्थिति में इस समस्या को लेकर सवाल उठाते हुए लिखित आवेदन दिया है. पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. मुखिया बनने के बाद उन्होंने नदी की सफाई के लिए अनुमति दिए जाने का भी अधिकारियों से आग्रह किया है. लेकिन इस दिशा में भी प्रशासन ने कोई पहल नहीं की है.
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