बाढ़ के खतरे के बीच सोन नदी के बीच रहते हैं ग्रामीण
बाढ़ के खतरे के बीच सोन नदी के बीच रहते हैं ग्रामीण
गढ़वा जिले के सोन नदी के तट पर बसे केतार प्रखंड के लोहरगड़ा गांव के लोग बिहार के कुछ लोगों के साथ सोन नदी के बीच में बने ढाब में पिछले कई साल से रह रहे हैं. करीब 15 परिवारों के लोग यहां अपने मवेशियों के साथ रहते हैं तथा खेती भी करते हैं. हर वर्ष बरसात में सोन नदी में बाढ़ की अक्सर आशंका के बावजूद वे अपने गांव नहीं लौटते. वहीं फंस जाने पर बाहर निकालने के लिए प्रशासन से गुहार लगाते हैं. उल्लेखनीय है कि झारखंड-बिहार की सीमा को विभाजित करनेवाली सोन नदी का यहां बहुत बड़ा पाट है. नदी के बीच में कई स्थानों पर ढाब बने हैं. ग्रामीण इसी ढाब पर अपने मवेशियों के साथ रहकर खेती करते रहे हैं. इसमें केतार प्रखंड के लोहरगड़ा के ग्रामीण भी शामिल हैं. वहीं इससे जुड़े एक अन्य ढाब पर बिहार के रोहतास जिले के नावाडीह गांव के भी कुछ लोग रहते हैं. उन्होंने संभावित बाढ़ के खतरे को देखते हुए भी वहां से बाहर निकलना जरूरी नहीं समझा. जबकि झारखंड की सीमा से उस पार यूपी के सोनभद्र जिले में रेणुकूट स्थित रिहंद डैम से पानी बढ़ जाने पर अक्सर गेट खोलकर पानी निकाला जाता है. रिहंद का पानी छोड़ते ही सोन नदी का जलस्तर अचानक काफी बढ़ जाता है तथा खतरे के निशान से ऊपर आ जाता है. इससे पहले 13 अगस्त 2016 में भी इसी तरह से यहां के 11 ग्रामीण सोन की बाढ़ में घिर गये थे. जिन्हें निकालने में स्थानीय नाविकों को करीब 20 घंटे की कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी. लेकिन इसके बाद भी इन लोगों ने सबक नहीं लिया और सावन महीने में भी सोन के बीच में महिलाओं और मवेशियों के साथ जमे थे.
तीन घंटे के प्रयास से ग्रामीणों व मवेशियों को निकाला गयारिहंद से पानी छोड़ने के बाद रविवार की रात करीब नौ बजे से सोन नदी में पानी बढ़ना शुरू हुआ था. इसकी सूचना सबसे पहले ग्रामीणों ने अपने गांव के लोगों और हरिहरपु ओपी प्रभारी को दी. ग्रामीणों ने ओपी प्रभारी रवि रंजन को बताया कि गांव के सामने जो नदी के बीचोबीच टीला है, वहां पर 40 व्यक्ति और लगभग 100 के करीब मवेशी पानी के बीच में फंसे हुए हैं. यह सूचना नगरउंटारी एसडीओ सहित जिला मुख्यालय मेंं डीसी व एसपी को भी दी गयी. सूचना के बाद केतार प्रखंड बीडीओ विकास कुमार, नगर अनुमंडल पदाधिकारी सत्येंद्र कुमार, हरिहरपुर ओपी प्रभारी रविरंजन कुमार, पूर्व विधायक अनंत प्रताप देव नदी तट पर पहुंचे और रातभर वहां कैंप किये रहे. बाद में रात करीब दो बजे उपायुक्त शेखर जमुआर और एसपी दीपक कुमार पांडेय भी पहुंच गये. उपायुक्त ने स्थिति की जानकारी ली और एनडीआरएफ की टीम से संपर्क किया. उन्होंने बिहार के अधिकारियों से भी संपर्क किया. सुबह में एनडीआरफ की टीम के पहुंचने पर संयुक्त प्रयास से छह बजे से नौ बजे तक रेस्क्यू ऑपरेशन कर फंसे सभी व्यक्ति तथा मवेशियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया.
एनडीआरफ की टीम के ऑपरेशन के बाद बिहार के रोहतास की सीमा में बाहर निकाले जाने के बाद लोहरगड़ा के सभी ग्रामीण सड़क मार्ग से डेहरी ऑनसोन होते हुए वापस घर लौटे. अपने मवेशियों को उन्होंने सोन उसपार बिहार की सीमा में अपने रिश्तेदारों के यहां छोड़ दिया है.
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