संगीत कला महाविद्यालय में पार्श्व गायक मुकेश चंद्र माथुर की 48 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर संगीतमयी श्रद्धांजलि का कार्यक्रम आयोजित किया गया. इसका उद्घाटन मुकेश की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर किया गया. इस अवसर पर संगीत कला महाविद्यालय के निदेशक प्रमोद सोनी ने कहा कि मुकेश के गीतों में जो दर्द और मिठास है, वह दुर्लभ है. नयी पीढ़ी को मुकेश की गायकी का रसपान करना चाहिए. मौके पर संगीत के विद्यार्थियों ने मुकेश के गीत गाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस दौरान रंजीत किशोर ने जाने चले जाते है कहां दुनिया से जानेवाले…,जीना यहां मरना यहां, इसके सिवा जाना कहां.., पूर्णिमा कुमारी ने फूल तुम्हें भेजा है खत में फूल नही मेरा दिल है…, धर्मेंद्र कुमार ने चंदन सा बदन चंचल चितवन…एवं परिधि कुमारी के साथ महबूब मेरे महबूब मेरे तू है तो दुनिया कितनी हंसी है…, सुनेश विश्वकर्मा ने दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन मे समायी… एवं खुशी कुमारी के साथ मैं ना भूलूंगा मैं ना भूलूंगी…,अनिल कुमार ने सुहानी चांदनी रातें हमे सोने नही देती… एवं प्रियंका कुमारी के साथ फूल आहिस्ता फेंको फूल बड़े नाजुक होते हैं…, नेहा कुमारी ने हम तो तेरे आशिक हैं सदियों पुराने…, कौशल कुमार रवि ने हम छोड़ चले है महफिल को याद आये कभी तो मत रोना… एवं पूजा कुमारी के साथ किसी राह में किसी मोड़ पर कहीं चल ना देना तू छोड़ कर…, नैतिक कुमार पांडय ने कहीँ दूर जब दिन ढल जाए… जैसे गीत गाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. कार्यक्रम का निर्देशन संगीत कला महाविद्यालय के निदेशक प्रमोद सोनी एवं मंच संचालन ज्योति कुमारी ने किया. उपस्थित लोग : इस अवसर पर राकेश चौबे, लालमणि विश्वकर्मा, संतोष कुमार, प्रदीप कुमार, सुनील कुमार व विकाश रॉय सहित काफी संख्या में अभिभावक एवं संगीत के विद्यार्थी उपस्थित थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है