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मॉनसून के बारिश के साथ ही किसानों के चेहरे खिले, खेती शुरू

मॉनसून के बारिश के साथ ही किसानों के चेहरे खिले, खेती शुरू

गढ़वा जिले में देर से ही सही मॉनसून की बारिश होते ही किसान अपने कृषि कार्य में जुट गये हैं. जिले में इस वर्ष मॉनसून विलंब से शुरू हुआ है. रोहिणी व मृगशिरा नक्षत्र जहां पूरी तरह से सूखा रहा. वहीं आदरा नक्षत्र में भी बारिश विलंब से हुई. इससे किसान काफी निराश हो चुके थे. लेकिन आदरा नक्षत्र के अंतिम समय में बारिश के बाद किसान खेती की तैयारी में जुट गये हैं. विदित हो कि जिले में पिछले 30 जून को मॉनसून की पहली बारिश हुई है. इसके बाद से मॉनसून कृषि के अनुकूल हुआ है. तब से किसान अपने खेती में जुट गये हैं. किसानों के लिये आदरा नक्षत्र का अंतिम समय (जुलाई का प्रथम सप्ताह) काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इसके कारण जिले में खेती युद्धस्तर पर शुरू हो चुकी है.

भदई के साथ धान के बिचड़े की बोवाई शुरू हुई

उल्लेखनीय है कि गढ़वा जिले में धान के साथ भदई की खेती भी उतनी ही महत्वपूर्ण रूप से की जाती है. भदई में मकई की खेती जिले में सर्वाधिक की जाती है. इसके साथ ही तिल, बोदी, बराई, अरहर, उड़द व बादाम जैसी फसलें भी होती हैं. इन सब फसलों की बुवाई का समय निकलता जा रहा है. साथ ही धान के बिचड़े की बोवाई का भी यही समय है. इन सब फसलों के जुताई व बुवाई के लिये बहुत अधिक बारिश की जरूरत नहीं पड़ती है. साथ ही मॉनसून की बारिश के बाद इन फसलों की बोवाई के समय में पानी खुलना जरूरी हो जाता है. मॉनसून के पहली बारिश के साथ ही भदई व धान के बिचड़े की बोवाई के लिये खेतोें में जुताई शुरू हो चुकी है. विदित हो कि जिले में लगातार दो साल से सूखे की स्थिति के कारण भदई व खरीफ दोनों ही फसलें औसत से काफी कम हुई हैं. इससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. इस वर्ष अच्छी मॉनसून की भविष्यवाणी से प्रभावित होकर किसान पुन: अपने खेती में जुट गये हैं.

10 दिनों तक अच्छी बारिश के पूर्वानुमान : डॉ अशोक कुमार

कृषि विज्ञान केंंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ अशोक कुमार ने बताया कि लगातार पिछले दो वर्ष खरीफ के जून, जुलाई एवं अगस्त महीनों में औसत से कम वर्षापात के कारण कृषि उत्पादन काफी प्रभावित हुआ है. मुख्य रूप से धान की रोपनी औसत से जहां 2022 में 10 प्रतिशत से भी कम हो पायी, वहीं 2023 में 30 प्रतिशत के आसपास ही रहा. इस वर्ष मई एवं जून में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ने एवं हीटवेव के कारण आम जनजीवन को काफी परेशानी हुई और आशंका होने लगा कि कहीं इस वर्ष भी खरीफ धोखा न दे दे. परंतु ऐसी संभावना नहीं है. क्योंकि इस सबका कारण अलनीनो का होना बताया जा रहा है. जून में पिछले दो वर्षों से चल रहे अलनिनो का समय समाप्त हो गया है और लानीना शुरू हो गया है. लानीना का शुरू होना वर्तमान खरीफ में अच्छी वर्षा होने का शुभ संकेत है. मानसूनी वर्ष शुरू हो गई है और अगले 10 दिनों तक अच्छी वर्षा का पूर्वानुमान है. पूर्वानुमान को देखते हुए किसानों को खेत की जुताई करके मक्का एवं दलहन- तेलहन के अलावा खरीफ सब्जियों की बुवाई कर लेनी चाहिये. साथ ही धान की नर्सरी जल्द से जल्द गिरा लें और जो पूर्व में नर्सरी गिरा लिए हैं, वे अच्छी वर्षा होने पर धान की रोपाई कर लें.

जून-जुलाई में औसत से कम हुई बारिश, कम हुआ आच्छादन

जून महीने में सामान्य बारिश 138.8 मिमी की जगह मात्र 46.6 मिमी हुई. पिछले साल 2023 में जून मेें भी यही स्थिति थी. मात्र 44.2 मिमी बारिश हुई थी. इधर तीन जुलाई तक 362 मिमी की जगह मात्र 19.2 मिमी ही बारिश हुई है. पिछले साल 2023 में इससे बेहतर स्थिति थी. तीन जुलाई तक 141.7 मिमी बारिश हो चुकी थी. इसके कारण भदई व धान के बिचड़े की बोवाई कम हो पायी है. धान के 55 हजार हेक्टेयर में आच्छादन के लक्ष्य के विरूद्ध मात्र दो हेक्टेयर में धान की बोवाई हुई है. वहीं भदई में 27200 हेक्टेयकर लक्ष्य के विरूद्ध मात्र दो हेक्टेयर में मकई का आच्छादन हो पाया है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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