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पूर्वी सिंहभूम : तीन साल बाद भी सड़क नहीं, बीमार व गर्भवतियों को खटिया पर ढो रहें

तीन वर्ष बाद भी गांव में कोई खास बदलाव नहीं आया. गांव में बिजली तो पहुंची है. लेकिन अब भी गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है.

मुसाबनी प्रखंड की बीहड़ में बसे सूर्याबेड़ा गांव में विधायक रामदास सोरेन की पहल पर 16 दिसंबर 2020 को जिला प्रशासन ने जनता दरबार लगाकर ग्रामीणों की समस्याएं सुनी थीं. गांव में मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया था. तीन वर्ष बाद भी गांव में कोई खास बदलाव नहीं आया. गांव में बिजली तो पहुंची है. लेकिन अब भी गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है. ग्रामीण पहाड़ पर बने पथरीले रास्ते से होकर आवागमन करते हैं. बीमार को इलाज और गर्भवतियों को प्रसव के लिए अस्पताल ले जाने के लिए खटिया पर लाद कर मुख्य सड़क तक पहुंचाना पड़ता है.

डीसी के शिलान्यास करने के बाद भी कुआं व दीदीबाड़ी अधूरा

जनता दरबार में तत्कालीन उपायुक्त सूरज कुमार ने कुआं निर्माण, दीदीबाड़ी योजना का शिलान्यास किया था. कुआं आज भी अधूरा है. गांव में चापाकल लगाया गया. पंचायत की ओर से चार माह पूर्व सोलर संचालित जलमीनार लगी. ग्रामीणों के मुताबिक सोलर जलमीनार निर्माण के बाद से ही बेकार पड़ी है. लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है. गांव में स्वयंसेवी संस्था की ओर से वाटर फिल्टर लगा है. लेकिन वह खराब पड़ा है. ग्रामीण पहाड़ी नाले का पानी पी रहे हैं. गांव में प्राथमिक विद्यालय में चापाकल है. मिड डे मील चापाकल के पानी से बनता है. जनता दरबार में गांव में मिनी आंगनबाड़ी केंद्र बनाने , एंबुलेंस सुविधा उपलब्ध कराने की घोषणा अभी भी पूरी नहीं हुई है.

सड़क निर्माण के लिए लाया गया सीमेंट बना पत्थर

सूर्याबेड़ा तक जाने के लिए 1500 फीट पीसीसी के साथ ही स्कूल टोला में विधायक निधि से पीसीसी बनी है. दो वर्षों में पीसीसी 500 फीट ही बन पायी है. सड़क में ढलाई में लगाने के लिए लाया गया सीमेंट पत्थर बन गया है. सड़क पर बालू ,गिट्टी पड़ी है. सोमा सिंह हेंब्रम समेत ग्रामीणों ने कहा कि 500 फीट पीसीसी के लिए बोल्डर बिछाकर छोड़ दिया गया है. सड़क निर्माण के लिए बिछायी गयी नुकीले पत्थरों से होकर पैदल चलने के साथ साइकिल और बाइक से चलना मुश्किल है. ग्रामीणों की परेशानी की ओर किसी का ध्यान नहीं है.

पोटो हो खेल मैदान अधूरा, मोबाइल नेटवर्क की समस्या

गांव में पोटो हो खेल मैदान अधूरा है. मोबाइल नेटवर्क की समस्या है. गांव में प्राथमिक तक पढ़ाई करने के बाद मिडिल और आगे की पढ़ाई करने के लिए विद्यार्थियों को परेशानी उठानी पड़ती है. जनता दरबार के बाद गांव में मनरेगा के तहत पशु शेड, बकरी शेड समेत कई योजनाओं का क्रियान्वयन हुआ. इन योजनाओं में ग्रामीणों को रोजगार मिला. जनता दरबार के तीन वर्ष बाद भी सूर्याबेड़ा स्कूल टोला में 29 परिवार आज भी कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. पिछले दिनों भुलूघुटू चौक से सूर्याबेड़ा गांव तक पीएमजीएसई पार्ट 3 के तहत सड़क निर्माण योजना का शिलान्यास हुआ. लेकिन सड़क निर्माण अब तक शुरू नहीं हुआ है.

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