150 करोड़ से अधिक का कारोबार प्रभावित
सरकार की आर्थिक नीतियों के विरोध में हड़ताल का मंगलवार को गिरिडीह के बैंक कर्मी और अधिकारियों ने भी समर्थन किया. विभिन्न बैंक की शाखाओं के समक्ष जुटे कर्मी और अधिकारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर मांगों को लेकर आवाज बुलंद की. गिरिडीह : यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के आह्वान पर मंगलवार को […]
सरकार की आर्थिक नीतियों के विरोध में हड़ताल का मंगलवार को गिरिडीह के बैंक कर्मी और अधिकारियों ने भी समर्थन किया. विभिन्न बैंक की शाखाओं के समक्ष जुटे कर्मी और अधिकारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर मांगों को लेकर आवाज बुलंद की.
गिरिडीह : यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के आह्वान पर मंगलवार को जिले भर के बैंक अधिकारी व कर्मी राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर रहे. इस दौरान जिले के 140 विभिन्न बैंकों की शाखाओं में ताले लटके रहे और बैंकिंग कार्य पूरी तरह से ठप रहा.
यूएफबीयू के जिला संयोजक अशोक कुमार चौरसिया ने कहा कि हड़ताल से जिले में 150 करोड़ से अधिक का कारोबार प्रभावित हुआ तथा चेक समाशोधन का कार्य भी पूरी तरह से बंद रहा. उन्होंने हड़ताल को सफल बनाने के लिए सभी बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों को साधुवाद दिया है.
हड़ताल को सफल बनाने के लिए यूएफबीयू के पदाधिकारी सुबह से ही मुस्तैद रहे. जिला संयोजक श्री चौरसिया, यूनियन बैंक के बिंध्यनाथ, बैंक ऑफ इंडिया के मुकेश कुमार, राजेंद्र शर्मा व दिलीप कुमार, विजय बैंक के ललीत कुमार, स्टेट बैंक के दीपक चौरसिया समेत सैकड़ों बैंक अधिकारी व कर्मचारियों ने अपने-अपने बैंकों के समक्ष बैनर लगाकर प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार के नीतियों के विरोध में जमकर नारेबाजी की. इसके बाद एक्सिस बैंक में सभा हुई. यहां कर्मचारियों नी अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद की. कहा कि देश के सरकारी बैंकों के 10 लाख से अधिकारी व कर्मचारियों केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों के विरोध में आंदोलन किया है. कहा कि जनता की गाढ़ी कमाई की अरबों-खरबों राशि बैंकों में जमा है. बैंकों पर सरकार का नियंत्रण होने के कारण जनता की यह राशि पूरी तरह से सुरक्षित है और सभी कल्याणकारी योजनाएं सरकारी बैंक के माध्यम से चलायी जा रही हैं. कहा कि औद्योगिक घरानों को निजी व लघु बैंक तथा भुगतान बैंक खोलने का लाइसेंस जारी किया जा रहा है.
सरकार की इस जनविरोधी नीति का हमलोग विरोध करते हैं.सभा स्थल पर रामलला झा, राहुल कुमार, अनुपम, महेश पाठक, कमल परमार, सूरज, सौरभ, मनोज, अजय आनंद, बेंजामिन मुर्मू, उदय कुमार सिंह, विजय गुप्ता, अमित शाह, अविनाश कुमार, आशीष सहाना, स्वेता, मनीषा, रचना, निशि, सुकेता, खुशबू, आरके सिन्हा, दीपक वर्मा आदि मौजूद थे.
क्या है मांगें : और मांग करते हैं कि बैंकों का निजीकरण न हो, बैंकों के विलय की प्रक्रिया रोकी जाये, बैंकों का कर्ज जान-बूझकर न चुकाने वालों पर आपराधिक मामला दर्ज हो, एफआरडीआइ विधेयक वापस हो, पेंशन योजना में सुधार हो.