भाई हामर बाढ़तो, रखबो आशीष रे…

गिरिडीह/निमियाघाट/मधुबन. भाई हामर बाढ़तो, रखबो आशीष रे…, आइज रे करम गोसाईं घारे दुआरे रे, घारे दुआरे काइल रे करम गोसाईं कांस नदी पारे…, जावा माय जावा किया-किया जावा…, आदि करमा गीतों से वातावरण गूंज उठा. मौका था करमा पर्व का. दिनभर उपवास रख कर करम व्रतियों ने शाम को नदी व तालाबों में स्नान कर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 3, 2017 9:38 AM
गिरिडीह/निमियाघाट/मधुबन. भाई हामर बाढ़तो, रखबो आशीष रे…, आइज रे करम गोसाईं घारे दुआरे रे, घारे दुआरे काइल रे करम गोसाईं कांस नदी पारे…, जावा माय जावा किया-किया जावा…, आदि करमा गीतों से वातावरण गूंज उठा.
मौका था करमा पर्व का. दिनभर उपवास रख कर करम व्रतियों ने शाम को नदी व तालाबों में स्नान कर विधि-विधान से करम डाली की पूजा-अर्चना की और अपने-अपने भाइयों की दीर्घायु की कामना की. शहर के बक्सीडीह रोड, झिंझरी मुहल्ला, मोहलीचुआं, शास्त्री नगर, बनियाडीह, पपरवाटांड़, करबला रोड, बरमसिया, सिरसिया, सिहोडीह के अलावा अन्य कई मुहल्लों में करमा पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया.
इधर, डुमरी प्रखंड क्षेत्र के निमियाघाट, खेतको, लोहेडीह, असुरबांध, टेंगराकला, खाली, नगलो, घुटबाली, इसरी बाजार, रांगामाटी, लक्षमणटुंडा, रोशनाटुंडा, नगरी, बलथरिया, बाराडीह, असनासिंघा आदि गांवों के टोले में करमा की धूम रही. इस अवसर पर मांदर की थाप पर करम व्रतियां नाचते-गाते रही.
इधर, पीरटांड़ प्रखंड इलाके में भी धूमधाम से करमा पर्व मनाया गया. प्रखंड के हरलाडीह, मंडरो, कुड़को, खुखरा, चिरकी, चिलगा, खेताडाबर, पीपराडीह आदि गांवों में करमा पर्व का उत्साह देखते ही बन रहा था. दिनभर उपवास रखने के बाद शाम को करम व्रतियों ने करम गोसाईं की पूजा-अर्चना की और उपवास तोड़ा.
प्रकृति की हरियाली का प्रतीक करमा त्यौहार जिले भर में शनिवार को धूमधाम के साथ मनाया गया. इस मौके पर महिलाएं भाद्र मास की तृतीया तिथि को उपवास रखकर इसकी शुरूआत की गयी. तीन दिवसीय इस उत्सव में बहनों ने अपने भाईयों के दीर्घायु होने की कामना भी की.
करमा की डाली की पूजा कर जौ को जगाने की यह परंपरा खासकर आदिवासी समुदाय में सर्वाधिक लोकप्रिय रहा है. गीत गा-गाकर करमडाली के चारों ओर महिला-पुरूष दोनों एक साथ मांदर की थाप नृत्य करने की परंपरा में पूरा दिन भर लोग डूबे रहे. करम व्रतियों ने बताया कि इस पर्व का काफी महत्व है. इस पर्व को करने वाली व्रतियां अपने भाईयों की मंगल कामना के लिए यह त्यौहार करती है.

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