आइएएस को हमेशा फ्रंट से लीड करना चाहिए

गिरिडीह में बहुत कुछ सीखने को मिला. इस जिले में कई सकारात्मक चीजें देखने को मिलीं तो कई नकारात्मक मामले भी देखे. काफी कुछ व्यावहारिक तौर पर देखने व समझने का मौका मिला. कई मौकों पर यह समझ में आया कि जिम्मेवार पद पर बैठे लोगों को जान जोखिम में डालकर काम करना होता है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 22, 2017 8:13 AM
गिरिडीह में बहुत कुछ सीखने को मिला. इस जिले में कई सकारात्मक चीजें देखने को मिलीं तो कई नकारात्मक मामले भी देखे. काफी कुछ व्यावहारिक तौर पर देखने व समझने का मौका मिला. कई मौकों पर यह समझ में आया कि जिम्मेवार पद पर बैठे लोगों को जान जोखिम में डालकर काम करना होता है. ऐसा ही एक वाकया मैंने काफी करीब से देखा. घटना 26 अगस्त 2017 की है. इस दिन अचानक सूचना मिली कि पचंबा में कुछ हुआ है. डीसी उमाशंकर सिंह के पूरे दल-बल के साथ मैं भी वहां पहुंची. वहां सांप्रदायिक तनाव पैदा हुआ था.
डीसी श्री सिंह को मैंने देखा वह फ्रंट से लीड कर रहे थे. फ्रंट से लीड करना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन मुझे समझ में आया कि आइएएस को हमेशा फ्रंट से लीड करना चाहिए. वहां का माहौल तनावपूर्ण था, लेकिन डीसी सर बहुत ही सुरक्षित और सुलझे हुए तरीके से स्थिति को संभाल रहे थे. मैंने महसूस किया आइएएस ऐसा होना चाहिए, जो जान की परवाह न करे, लोगों की संवेदना को समझे और अपनी जिम्मेवारी समझते हुए फ्रंट से लीड करे. डीसी श्री सिंह कोई भी सुनवाई त्वरित करते हैं, जो उनकी संवेदनशीलता को दर्शाता है.
पदाधिकारियों के साथ बैठक को दोस्ताना और सहज बना डालते हैं. किसी भी मकसद के लिए या फिर कोई भी बड़े कार्य के लिए पदाधिकारियों की टीम ऐसी बना डालते हैं कि कहीं कोई चूक नहीं होती. यह सब समझने का अच्छा अवसर गिरिडीह में ही मिला.

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