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चार वर्षों में भी नहीं सुलझ पायी गुत्थी, पुलिस पर उठाया सवाल

गिरिडीह : बिरनी थाना क्षेत्र के बलिया में वर्ष 2014 में दीपा हत्याकांड की गुत्थी अबतक सुलझ नहीं पायी है. इसे लेकर सोमवार की शाम को भंडारीडीह स्थित माहुरी छात्रावास में मृतका के परिजनों व माहुरी वैश्य मंडल ने प्रेसवार्ता कर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाया. मृतका के पिता राजेंद्र राम ने बताया कि […]

गिरिडीह : बिरनी थाना क्षेत्र के बलिया में वर्ष 2014 में दीपा हत्याकांड की गुत्थी अबतक सुलझ नहीं पायी है. इसे लेकर सोमवार की शाम को भंडारीडीह स्थित माहुरी छात्रावास में मृतका के परिजनों व माहुरी वैश्य मंडल ने प्रेसवार्ता कर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाया. मृतका के पिता राजेंद्र राम ने बताया कि 5 नवंबर 2014 को उनकी 19 वर्षीय बेटी दीपा की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गयी थी.
इस मामले को लेकर बिरनी थाना में प्राथमिकी (कांड संख्या 213/2014 धारा 376/303/201/34 भादवि) दर्ज करायी थी. इसमें विष्णुकांत पांडेय, विकास राय, मंटु कुमार वर्मा, शांतनु कुमार सिंह को आरोपी बनाया गया. इसके साक्ष्य भी दिये गये, लेकिन अब तक आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हो सकी है. इस बार इसकी शिकायत मुख्यमंत्री जन संवाद में भी की गयी, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने पुलिस को जांच का आदेश दिया.
मृतका के पिता का आरोप है कि इस कांड का अनुसंधान एवं पर्यवेक्षण अनुसंधानकर्ता आरबी पासवान एवं पुलिस उपाधीक्षक ने किया था, लेकिन किसी भी साक्षी से पूछताछ नहीं की गयी. सिर्फ नाम एवं पता जुगाड़ कर उनलोगों को साक्षी के रूप में दर्शाकर बयान लिख दिया गया.
जांच के लिए नहीं भेजा गया ब्लड सैंपल : राजेंद्र राम का कहना है कि जिस स्थान पर दीपा की हत्या हुई थी उसी स्थान के पास व सड़क से पुलिस ने जांच के क्रम में ब्लड का सैंपल लिया था.
डीएसपी ने अनुसंधानकर्ता को ब्लड सैंपल एफएसएल भेजने का निर्देश दिया था इसके बावजूद अनुसंधानकर्ता ने दस दिनों के बाद सैंपल एफएसएल रांची भेजा. समय अधिक बीतने के कारण ब्लड मैच नहीं हो सका. राजेंद्र कहते हैं कि बाद में उन्होंने एसपी से दुबारा ब्लड जांच व आरोपियों का डीएनए टेस्ट करने का निवेदन किया गया. इस निवेदन के बाद अनुसंधानकर्ता उसे ही प्रताड़ित करने लगा. कहा कि इसकी जांच सीबीआइ या सीआइडी से करायी जाये,ताकि दोषियों को सजा मिल सके.
दीपा के हत्यारों को जल्द मिले कड़ी सजा : सुबोध
माहुरी वैश्य मंडल के सुबोध प्रकाश ने कहा कि चार वर्ष में भी इस गंभीर कांड का उद़्भेदन नहीं किया जाना पुलिस की विफलता को दर्शाता है. कहा कि पुलिस इस मामले की लीपा-पोती करने में लगी हुई है. ऐसे में दीपा के परिजन न्याय के लिए भटक रहे हैं और हत्यारोपी खुलेआम घूम रहे हैं. ऐसे में आम लोगों का सरकार ओर पुलिस प्रशासन से भरोसा उठता जा रहा है. उन्होंने सरकार और जिला प्रशासन से इस मामले की उचित जांच कर हत्यारे को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की मांग की है.
पुन: की जा रही जांच, गवाहों का होगा पर्यवेक्षण : एसडीपीओ
गिरिडीह. सरिया-बगोदर के एसडीपीओ बिनोद कुमार महतो ने कहा कि मामला चार वर्ष पुराना है और इस मामले की जांच में पुलिस ने किसी प्रकार की कोताही नहीं बरती. जिन चार लोगों पर आरोप लगाया गया था उनका भी डीएनए टेस्ट एक बार नहीं दो बार करवाया गया. एक बार तो परिजनों की मौजूदगी में आरोपियों का ब्लड सैंपल लिया गया और इसकी वीडियोग्राफी भी करवायी गयी.
वैसे अब इस मामले को पुन: खोला गया है और नये सिरे से जांच की जा रही है. इस मामले में गवाहों का बयान पुन: दर्ज किया जायेगा. कहा कि पुलिस हमेशा प्रयास करती है कि कांड के दोषियों को सजा मिले. इस मामले में भी जो भी दोषी होंगे,उन्हें सजा दिलायी जायेगी.

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