गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र : प्रदेश के दिग्गज नेताओं का कार्यक्षेत्र रहा है गिरिडीह, जानें कौन-कौन, कब रहे हैं सांसद
दीपक कसमार (बोकारो) : गिरिडीह दिग्गज राजनेताओं का कार्यक्षेत्र रहा है. गिरिडीह के सांसद रहे बिंदेश्वरी दूबे एकीकृत बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. झारखंड को अलग राज्य बनाने के लिए हुए आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले विनोद बिहारी महतो यहां से सांसद बने. डॉ सरफराज अहमद एकीकृत बिहार के प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके […]

दीपक
कसमार (बोकारो) : गिरिडीह दिग्गज राजनेताओं का कार्यक्षेत्र रहा है. गिरिडीह के सांसद रहे बिंदेश्वरी दूबे एकीकृत बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. झारखंड को अलग राज्य बनाने के लिए हुए आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले विनोद बिहारी महतो यहां से सांसद बने. डॉ सरफराज अहमद एकीकृत बिहार के प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं.
कांग्रेस के एमपी सिंह गिरिडीह लोकसभा के पहले सांसद थे. इसके बाद 1957 चुनाव में एसके मतीन जनता पार्टी से और 1962 में ठाकुर बटेश्वर सिंह स्वतंत्र रूप से जीते थे. 1967 में कांग्रेस के इम्तियाज अहमद ने जनता पार्टी को हराया.
वर्ष 1972 के चुनाव में कांग्रेस ने उम्मीदवार बदलते हुए चपलेंदु भट्टाचार्य को टिकट दे दिया. भट्टाचार्य पार्टी की उम्मीदों पर खरे उतरे. सीट बच गयी. लेकिन, 1977 में कांग्रेस ने फिर से प्रत्याशी बदलते हुए इम्तियाज अहमद को टिकट दे दिया. इस बार वह नहीं जीते. जनता पार्टी के रामदास सिंह ने बड़े अंतर से उनको पराजित किया.
वर्ष 1980 और 1984 का चुनाव एक बार फिर कांग्रेस के नाम रहा. दोनों ही बार कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बदला. 1980 में कांग्रेस ने दिग्गज कांग्रेसी नेता बिंदेश्वरी दूबे को अपना उम्मीदवार बनाया. श्री दूबे ने अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा के रामदास सिंह को बड़े अंतर पराजित कर दिया.
1984 के चुनाव में कांग्रेस ने सरफराज अहमद को टिकट दिया. इस बार झारखंड आंदोलन को दिशा देने वाले बिनोद बिहारी महतो पहली बार चुनाव लड़े थे. चुनाव कांग्रेस ने जीता. 1989 के चुनाव में भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़े बिनोद बिहारी महतो को हार का सामना करना पड़ा था. इस बार जीत भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े रामदास सिंह की हुई.
हालांकि, 1984 के चुनाव की अपेक्षा बिनोद बिहारी ने अपने प्रतिद्वंद्वी को कड़ी टक्कर दी. हार-जीत में वोटों का अंतर मामूली था. रामदास सिंह को 33.92 प्रतिशत तथा बिनोद बिहारी महतो को 32.23 प्रतिशत वोट मिले थे. वर्ष 1991 का चुनाव आते-आते झारखंड अलग राज्य के आंदोलन का असर चुनाव पर पड़ चुका था. झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए बिनोद बिहारी महतो लोकसभा के लिए वोटों के बड़े अंतर से चुने गये. भाजपा को हार का स्वाद चखना पड़ा. बिनोद बिहारी महतो को 48.21 और भाजपा प्रत्याशी रामदास सिंह को 31.79 प्रतिशत पड़े.
हालांकि, एक साल बाद ही बिनोद बिहारी महतो का निधन हो गया. 1992 के उपचुनाव में बिनोद बिहारी महतो के पुत्र राजकिशोर महतो झामुमो के टिकट पर लड़े और भाजपा प्रत्याशी रामदास सिंह को हराया. लेकिन, 1996 में यह सीट एक बार फिर भाजपा की झोली में आ गयी.
कांग्रेस नेता कृष्ण मुरारी पांडेय के पुत्र रवींद्र कुमार पांडेय को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया. उन्होंने झामुमो को हरा कर चुनाव जीत लिया. इसके बाद 1998 और 1999 के चुनावों में भी रवींद्र पांडेय ने जीत की हैट्रिक मारी. पर 2004 में वह चौका लगाने से चूक गये. रवींद्र पांडेय को झामुमो के टेकलाल महतो ने हरा दिया.
हजारीबाग के मांडू विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे टेकलाल महतो ने पहली बार सांसद का चुनाव लड़ा. उन्होंने लगभग सवा लाख वोटों के अंतर से भाजपा को हराया. 2009 में रवींद्र कुमार पांडेय ने टेकलाल महतो को लगभग एक लाख वोटों के अंतर से हराते हुए बदला ले लिया. सीट भाजपा की हो गयी. 2014 के चुनाव में भाजपा के रवींद्र पांडेय व झामुमो के जगरनाथ महतो के बीच मुकाबला हुआ. रवींद्र पांडेय सांसद बने रहे.
कौन-कौन, कब रहे गिरिडीह के सांसद
सांसद का नाम दल का नाम वर्ष
1. नागेश्वर प्रसाद सिन्हा कांग्रेस 1952
2. काजी एस ए मतीन जनता पार्टी 1957
3. बटेश्वर सिंह स्वतंत्र पार्टी 1962
4. इम्तियाज अहमद कांग्रेस 1967
5. चपलेंदु भट्टाचार्या कांग्रेस 1971
6. रामदास सिंह जनता पार्टी 1977
7. बिंदेश्वरी दूबे कांग्रेस 1980
8. सरफराज अहमद कांग्रेस 1984
9. रामदास सिंह भाजपा 1989
10. विनोद बिहारी महतो झामुमो 1991
11. रवींद्र कुमार पांडेय भाजपा 1996
12. रवींद्र कुमार पांडेय भाजपा 1998
13. रवींद्र कुमार पांडेय भाजपा 1999
14. टेकलाल महतो झामुमो 2004
15. रवींद्र कुमार पांडेय भाजपा 2009
16. रवींद्र कुमार पांडेय भाजपा 2014