जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों की मोक्षभूमि पारसनाथ के मधुबन स्थित तेरहपंथी कोठी व गुणायतन में तीन दिवसीय दीक्षा समारोह का समापन रविवार को हुआ. इसमें 13 दीक्षार्थियों ने दीक्षा लेकर संयम मार्ग को अपनाया. आचार्य श्री विहर्ष सागर जी महाराज के सान्निध्य में सभी दीक्षार्थियों को साधु जीवन की दीक्षा दी गयी. मधुबन में साधनारत साधु-संतों के मंगल सान्निध्य में दीक्षार्थियों ने दीक्षा ग्रहण की. मंच पर विराजमान साधु-साध्वी भव्य दीक्षा महोत्सव के गवाह बने. धार्मिक विधि विधान से दीक्षार्थियों को पिच्छी कमंडल भेंट करने के बाद केस लोचन किया गया. इसके बाद वैराग्य जीवन की दीक्षा दी गयी. आचार्य श्री विहर्ष सागर जी महाराज ने दीक्षार्थियों को दीक्षा प्रदान कर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त किया. दीक्षार्थियों को पहली पिच्छी कमंडल देने के लिए श्रद्धालुओं की आस्था उमड़ पड़ी. दीक्षार्थियों को पहली पिच्छी कमंडल के दाताओं ने बोली लगायी. ऊंची बोली लगाने वाले श्रद्धालुओं को पिच्छी कमंडल देने का सौभाग्य मिला.
तीन दिन तक हुए अनुष्ठान
तीन दिवसीय कार्यक्रम के प्रथम दिन गणधर वलय विधान, दीक्षार्थी हल्दी आदि का अनुष्ठान हुआ. दूसरे दिन भव्य दीक्षार्थी बिनोली यात्रा तेरहपंथी कोठी से गुणायतन गोशाला तक निकाली गयी. इसके बाद गोद भराई अनुष्ठान हुआ. आयोजन के अंतिम दिन रविवार को मंगल स्नान व भव्य जैनेश्वरी दीक्षा अनुष्ठान हुए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है