उसरी नदी को संवारने की उम्मीद नहीं हुई पूरी
विधानसभा चुनाव को ले आचार संहिता के कारण आगे नहीं बढ़ पाया था मामला छिलका डैम बनने से आसपास के इलाकों में सिंचाई की होती सुविधा गिरिडीह : गिरिडीह शहर की लाइफ लाइन कही जानेवाली उसरी नदी को संवारने की उम्मीद अब तक पूरी नहीं हो पायी है. हालांकि, पिछले वर्ष इस नदी छिलका डैम(छोटे […]
विधानसभा चुनाव को ले आचार संहिता के कारण आगे नहीं बढ़ पाया था मामला
छिलका डैम बनने से आसपास के इलाकों में सिंचाई की होती सुविधा
गिरिडीह : गिरिडीह शहर की लाइफ लाइन कही जानेवाली उसरी नदी को संवारने की उम्मीद अब तक पूरी नहीं हो पायी है. हालांकि, पिछले वर्ष इस नदी छिलका डैम(छोटे डैम) बनाने की बात उठी थी. आचार संहिता लगने से पहले इसे लेकर सर्वे भी हुआ था, उसके बाद विधानसभा चुनावों को लेकर आचार संहिता लग जाने से मामला आगे नहीं बढ़ पाया. योजना को लेकर शहरवासियों में आस जगी थी कि इससे उसरी नदी का अस्तित्व संवरेगा. साथ ही आसपास के इलाकों में सिंचाई साधन बहाल होने से हरित क्रांति आयेगी. अब नयी सरकार से उम्मीद है कि योजना पूरी होगी.
बरसात को छोड़ बाकी समय नाले में तब्दील हो जाती है नदी : उसरी नदी का फैलाव काफी लंबा है. इसकी चौड़ाई 50 फीट के कारीब होगी. हालांकि बरसात को छोड़कर शेष दिनों में नदी नाला का रूप धारण कर लेती है. शहरी क्षेत्र स्थित घरों से निकलने वाला गंदा पानी इसी नदी में आकर मिलता है. इसी वजह से गंदगी के बीच कई लोग स्नान करने व अन्य कार्यों का निपटारा करने को विवश है. महापर्व छठ के मौके पर नगर निगम व जिला प्रशासन द्वारा नदी की सफाई करा कर घाटों का निर्माण कराया जाता है. नदी के कुछ क्षेत्र में दाह संस्कार भी किया जाता है. बताया जाता है कि कुछ इलाकों में नदी का अतिक्रमण कर लिया गया है. इन समस्याओं को लेकर स्थानीय लोगों में व्यवस्था के प्रति काफी नाराजगी भी है.
स्थानीय लोगों की मांग पर तत्कालीन विधायक निर्भय शाहाबादी ने भाजपा सरकार और विभागीय मंत्री के पास इस बात को ले छिलका डैम बनाने की योजना का प्रस्ताव रखा था. उक्त प्रस्ताव के आलोक में विधानसभा चुनाव से पूर्व जल संसाधन विभाग की एक टीम यहां पर आकर छह स्थलों का सर्वे कर चुकी है.