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Giridih News: सऊदी अरब में फंसे बगोदर के दो समेत झारखंड के 14 मजदूर लौटे अपने वतन

Giridih News: बता दें कि बगोदर प्रखंड के बेको और नावाडीह के दो मजदूर समेत बोकारो, गिरिडीह, हजारीबाग से 45 मजदूर कमर्शियल टेक्नोलॉजी प्लस कंपनी के ट्रांसमिशन लाइन में काम करने के लिए स्थानीय ठेकेदार के माध्यम से सऊदी अरब गये थे. वहां मजदूरों का काम छह माह तक अच्छे से चला. उसके बाद उनके द्वारा काम किये जाने के बाद भी उन्हें वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा था.

By Prabhat Khabar News Desk | September 14, 2024 12:21 AM
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अपनी रोजी-रोटी की तलाश में वर्ष 2023 मई माह से सऊदी अरब गए बोकारो, हजारीबाग और गिरिडीह के 45 मजदूर दिसंबर माह से फंसे हुए थे. इनमें 14 मजदूर शुक्रवार को सकुशल वापस लौटकर आये. वापस लौटे मजदूर विधायक सुदिव्य कुमार सोनू के आवास पर पहुंचे. यहां मजदूरों ने विधायक के द्वारा किये गये प्रयास की सराहना की. वहीं बचे हुए 31 मजदूरों को भी सकुशल वतन वापसी कराये जाने को लेकर पहल करने की बात कही है. बता दें कि बगोदर प्रखंड के बेको और नावाडीह के दो मजदूर समेत बोकारो, गिरिडीह, हजारीबाग से 45 मजदूर कमर्शियल टेक्नोलॉजी प्लस कंपनी के ट्रांसमिशन लाइन में काम करने के लिए स्थानीय ठेकेदार के माध्यम से सऊदी अरब गये थे. वहां मजदूरों का काम छह माह तक अच्छे से चला. उसके बाद उनके द्वारा काम किये जाने के बाद भी उन्हें वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा था. नवंबर माह से कंपनी इनसे काम तो करवा रही थी लेकिन भुगतान नहीं किया जा रहा था. इसे लेकर मजदूरों ने कंपनी से फरियाद भी लगायी. लेकिन वेतन नहीं मिला. मजदूरों ने दिसंबर माह में अपनी व्यथा और परेशानी को सोशल मीडिया के माध्यम से भारत सरकार व झारखंड सरकार तक पहुंचायी. इसके बाद जन प्रतिनिधियों की पहल पर धीरे- धीरे कंपनी ने वेतन का भुगतान किया. आठ माह बाद फंसे मजदूर अपने घर को लौटे हैं.

वतन वापसी करने वाले 14 मजदूरों में 2 बगोदर के

मजदूरों में बगोदर के नावाडीह सोहन कुमार, बेको निवासी कामेश्वर साव शामिल है. इधर लौटे मजदूरों का विधायक ने सरकार के तरफ से मिलने वाली सुविधाओं को दिलाने के लिए आश्वासन दिया है. बता दें कि बगोदर प्रखंड से युवाओं का एक बड़ा हिस्सा देश- विदेश के महानगर में काम कर रहे हैं. जिसके समक्ष खास कर विदेशों में यातना का दंश झेलना पड़ रहा है. विदेश में झारखंड के मजदूर काम करते हैं. लेकिन कभी उनका वेतन रख लिया जाता है. कभी खाने- पीने की भी पाबंदी लगा दी जाती है. इससे ये मजदूर काम करने तो जाते हैं. लेकिन उन्हें जो परेशानी होती है, उससे उनका मनोबल भी टूट जाता है. थक हार कर घर को लौट जाते हैं. लेकिन यहां भी रोजी रोटी की चिंता सताती है. ऐसे में राज्य में रोजगार न मिलना भी एक बड़ी समस्या होती है. इसे लेकर मजदूरों ने झारखंड में रोजगार नहीं होना विदेश जाना मजबूरी बतायी है.

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