बुनियादी सुविधाओं से वंचित है झकनोडीह
तिसरी. प्रखंड मुख्यालय से महज पांच किमी की दूरी पर स्थित आदिवासी बाहुल्य झकनोडीह गांव बुनियादी सुविधाओं से वंचित है. राज्य गठन के बाद से अब तक यहां बिजली नहीं पहुंची है. गांव तक पहुंचने के लिए पूर्व में कच्ची सड़क तो बनी थी, लेकिन यह सड़क गड्ढों में तब्दील हो गयी है. गांव जाने […]
तिसरी. प्रखंड मुख्यालय से महज पांच किमी की दूरी पर स्थित आदिवासी बाहुल्य झकनोडीह गांव बुनियादी सुविधाओं से वंचित है. राज्य गठन के बाद से अब तक यहां बिजली नहीं पहुंची है. गांव तक पहुंचने के लिए पूर्व में कच्ची सड़क तो बनी थी, लेकिन यह सड़क गड्ढों में तब्दील हो गयी है. गांव जाने के लिए बीच सड़क पर एक नाला है, जिस पर पुल बनाने की मांग लोग वर्षों से कर रहे हैं. बरसात के दिनों में यह गांव टापू बन जाता है. गांव में मात्र एक चापानल है जहां से लोग पानी पीते हैं. यह चापाकल भी सर्व शिक्षा अभियान की ओर से लगाया गया है. स्वास्थ्य सुविधा का यहां घोर अभाव है और स्वास्थ्य कर्मी कभी यहां नहीं आते. लोगों का कहना है कि यहां के लोग झोलाछाप डॉक्टर पर निर्भर रहते हैं. अब तक सिंचाई साधन का व्यवस्था नहीं की गयी है जिस कारण लोग मानसूनी खेती करते हैं. स्थानीय ग्रामीणों ने पीसीसी बनाने की मांग स्थानीय प्रशासन से की है.