क्या है ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस

भारत समेत ज्यादातर देशों में जीडीपी (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट) यानी सकल घरेलू उत्पाद को विकास का पैमाना माना जाता है. लेकिन भूटान एक ऐसा देश है, जहां जीएनएच (ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस) यानी सकल राष्ट्रीय खुशहाली को उसके विकास का पैमाना माना जाता है. तकरीबन 40 वर्ष पहले इस देश ने अपनी सीमा में विदेशी चीजों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 3:45 AM

भारत समेत ज्यादातर देशों में जीडीपी (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट) यानी सकल घरेलू उत्पाद को विकास का पैमाना माना जाता है. लेकिन भूटान एक ऐसा देश है, जहां जीएनएच (ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस) यानी सकल राष्ट्रीय खुशहाली को उसके विकास का पैमाना माना जाता है.

तकरीबन 40 वर्ष पहले इस देश ने अपनी सीमा में विदेशी चीजों को बेहद जांचपरखकर आने की अनुमति देनी शुरू की थी. भूटान ने 1971 से तरक्की को मापने के लिए जीडीपी को सिरे से खारिज कर रखा है. यहां एक नया नजरिया अपनाया गया जो सकल राष्ट्रीय खुशहाली के औपचारिक सिद्धांत के तहत संपन्नता को मापता है.

इसमें प्राकृतिक वातावरण के साथ ही लोगों के आध्यात्मिक, भौतिक, सामाजिक और पर्यावरणिक स्वास्थ्य को शामिल किया गया है. इसका सूचकांक बनाने का आधार समान सामाजिक विकास, सांस्कृतिक संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण और गुड गवर्नेस को प्रोत्साहन देना है.

वैश्विक अवधारणा से इतर, पिछले तीन दशकों से यहां आधुनिक भौतिकवादी तरक्की के मुकाबले लोगों की उपरोक्त मामलों में खुशहाली को ज्यादा तवज्जो दी जाती है. बौद्ध धर्मावलंबियों की बहुलता वाले इस देश में पिछले 20 वर्षो के दौरान लोगों की जीवन संभाव्यता बढ़कर दोगुनी हो गयी है और तकरीबन सौ फीसदी बच्चे प्राथमिक स्कूलों में जा रहे हैं.

आम लोगों की खुशहाली में महती भूमिका निभानेवाले पर्यावरण की सुरक्षा को यहां के संविधान में शामिल किया गया है. भूटान की सरकार का मानना है कि प्रकृति एवं पर्यावरण की रक्षा किये बिना देश के निवासी खुशहाल नहीं रह सकते, जैसा कि अब दुनिया के अन्य देशों में देखने में रहा है.

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