कार्य संस्कृति को बदलना प्राथमिकता : सिंह
गिरिडीह : डीसी उमाशंकर सिंह की पहली प्राथमिकता सरकारी विभागों में कार्य संस्कृति को बदलना है. श्री सिंह कहते हैं कि सबसे पहले अधिकारियों और कर्मियों को अपने काम करने के तरीके बदलने होंगे. विभागों के प्रधान कार्यो की समीक्षा नहीं करते. अधिकारियों को 15-15 दिनों में विभागों की समीक्षा करनी होगी. अधिकारियों के स्तर […]
गिरिडीह : डीसी उमाशंकर सिंह की पहली प्राथमिकता सरकारी विभागों में कार्य संस्कृति को बदलना है. श्री सिंह कहते हैं कि सबसे पहले अधिकारियों और कर्मियों को अपने काम करने के तरीके बदलने होंगे. विभागों के प्रधान कार्यो की समीक्षा नहीं करते. अधिकारियों को 15-15 दिनों में विभागों की समीक्षा करनी होगी.
अधिकारियों के स्तर पर ही निरंतर समीक्षा जरूरी है. जिले के डीसी अकेलेसभी कार्यो की समीक्षा नहीं कर सकते. अलग-अलग अधिकारियों की अलग-अलग जिम्मेवारी है और अधिकारियों को अपनी जिम्मेवारी निभानी होगी, तभी विकास को गति मिलेगी.
ई-मुलाकाती को और कारगर बनाना होगा : प्रखंडों में प्रत्येक सप्ताह बुधवार व शनिवार को जनता दरबार लगाना अनिवार्य कर दिया गया है. इसमें प्रखंड के बीडीओ, सीओ और सीडीपीओ की उपस्थिति अनिवार्य है. जनता दरबार में जनसमस्याओं को सुना जाता है और उसे कंप्यूटर पर अपलोड कर दिया जाता है.
इस मामले में श्री सिंह ने कहा कि ई-मुलाकाती को और कारगर बनाना होगा, तभी जन शिकायतों के निष्पादन में आसानी होगी. एक सवाल के जवाब में उन्होंने स्पष्ट किया कि शिकायतों को दर्ज करने में अधिकारी टाल-मटोल नहीं कर सकते. उन्हें यह स्पष्ट कर दिया गया है कि सरकारी प्रावधानों के विपरीत दिये जाने वाले आवेदन को छोड़कर सभी तरह की शिकायतें दर्ज करनी है और दर्ज किये गये शिकायतों की प्राप्ति रसीद भी शिकायकर्ता को उपलब्ध करानी है.
इस मामले में मिली शिकायतों की पुष्टि होती है तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. शिकायतों का समय सीमा के अंदर निष्पादन करना भी अधिकारियों की जिम्मेवारी होगी. श्री सिंह ने कहा कि जनता दरबार को पंचायत स्तर पर लगाने की योजना है.
प्रखंड मुख्यालय में रहें बीडीओ-सीओ : श्री सिंह ने कहा कि बीडीओ-सीओ समेत अन्य जिम्मेवार अधिकारी पदस्थापित प्रखंड मुख्यालय में ही रहें. अधिकारियों के नहीं रहने की वजह से ही जनशिकायतों के निष्पादन में परेशानी होती है. साथ ही इसका सीधा असर विकास कार्यो पर भी पड़ता है. वरीय अधिकारी भी समय-समय पर निरीक्षण कर इस बात को सुनिश्चित करें कि प्रखंडों के जिम्मेवार अधिकारी प्रखंड में ही रहते हैं. उन्होंने कहा कि इसके अलावा भी वे व्यक्तिगत स्तर पर औचक निरीक्षण करेंगे.
शिक्षकों से नहीं लिया जायेगा दूसरा काम
डीसी श्री सिंह ने कहा कि शिक्षकों को अब छात्रों को पढ़ाना होगा. इन शिक्षकों से भवन निर्माण या एमडीएम से संबंधित कोई काम नहीं लिया जायेगा. इस संबंध में सरकार के स्तर से भी निर्देश प्राप्त हुए हैं.
शीघ्र ही इस व्यवस्था को लागू की जायेगी. उन्होंने कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी तो जिला मुख्यालय से भवन निर्माण या एमडीएम के लिए कर्मी भेजे जायेंगे. कहा कि भवन निर्माण या एमडीएम के काम में शिक्षकों के लग जाने से शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा था. अब इसे दुरुस्त किया जायेगा. प्राइवेट स्कूलों में शिक्षण शुल्क में मनमानी वृद्धि किये जाने पर श्री सिंह ने कहा कि शुल्क में अधिकतम 15 प्रतिशत वृद्धि की छूट दी गयी है. यदि इससे ज्यादा की वसूली किसी भी स्कूल प्रबंधन के द्वारा की जा रही है तो अभिभावक सीधे उनके पास शिकायत करें, कार्रवाई की जायेगी.
नहीं होगा गुणवत्ता से समझौता : श्री सिंह ने कहा कि जिले में चल रही विकास योजनाओं में कमीशनखोरी रोकनी होगी. योजनाओं की गुणवत्ता में किसी भी स्थिति में समझौता नहीं किया जायेगा. सभी योजनाओं का फोटोग्राफ संलगA करना अनिवार्य कर दिया गया है.
साथ ही शिकायत मिलने पर जिला मुख्यालय से टीम भेजकर पूरे मामले की जांच-पड़ताल करायी जायेगी. सरकारी राशि की बंदरबांट होने की स्थिति में दोषी अधिकारियों पर प्राथमिकी भी दर्ज होगी. गुणवत्ता की जांच होगी तो कमीशनखोरी भी स्वत: रूकेगी.
योजनाओं का क्रियान्वयन समय सीमा में हो : श्री सिंह ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि कई पूर्व की योजनाएं अब भी लंबित हैं.
समय सीमा के अंदर कार्य नहीं होने की स्थिति में प्राक्कलन बढ़ाये जाने का मामला सामने आता है. ऐसे में कई परेशानियां होती है. उन्होंने कहा कि अब इस मामले में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी. योजनाओं का क्रियान्वयन समय सीमा में हो, इस बात को संबंधित विभाग के अधिकारी सुनिश्चित करायें.