मधुबन/पीरटांड़ : प्रकृति से आदिवासियों का बहुत गहरा रिश्ता है. आज प्रकृति के साथ-साथ आदिवासियों की संस्कृति से भी छेड़छाड़ की जा रही है. इसे रोका जाना चाहिए. इसके लिए आदिवासी समाज को एकजुट होना होगा. उक्त बातें राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहीं. वह सोमवार को मधुबन के हटिया मैदान में सावंता सुसार बैसी की ओर से आयोजित मरांग बुरू जुग जाहेर बाहा पर्व में सभा को संबोधित कर रही थीं. उन्होंने कहा कि आदिवासी स्वशासन व्यवस्था को सुदृढ़ करने की जरूरत है. पीरटांड़ आदिवासी बहुल क्षेत्र है, यहां स्वशासन व्यवस्था को मजबूत करना होगा. मांझी हड़ाम को एक अप्रैल 2008 से सम्मान राशि भी दी जानी चाहिए.
शिक्षा के अभाव में नहीं मिलता योजनाओं का लाभ
कहा कि आदिवासी समाज को सरकार की ओर से कई सहायता दी जा रही है, लेकिन शिक्षा के अभाव के कारण समाज के लोगों तक सरकारी योजनाओं की पूरी जानकारी नहीं पहुंच पा रही है. ऐसे में शिक्षा पर जोर देना जरूरी है. बच्चों को स्कूल भेजें और अच्छी शिक्षा दें. कहा कि मरांग बुरू आदिवासियों के आराध्य देव हैं. आदिवासियों के पूर्वज पिलचु हड़ाम और पिलचु बूढी द्वारा स्थापित यहां जुग जाहेर थान है. आदिवासियों के लिये यह स्थल काफी पूजनीय है, जिस तरह कैलाश पर्वत पूजनीय है उसी तरह यह स्थल भी पूजनीय है. इस स्थल का समुचित विकास होना जरूरी है. राज्यपाल ने कहा कि जब एक स्थान पर मरांग बुरू और भगवान महावीर प्रेम से रह सकते हैं तो आदिवासी समाज व गैर आदिवासियों को भी प्रेम के साथ रहकर क्षेत्र का विकास करना चाहिए. इससे पहले राज्यपाल ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया. मौके पर सांसद रवींद्र पांडेय, गिरिडीह विधायक निर्भय शाहाबादी व अन्य मौजूद थे.
मधुबन में बनेगा कला-संस्कृति भवन: लुईस
कार्यक्रम में समाज कल्याण मंत्री लुईस मरांडी ने मधुबन में कला-संस्कृति भवन बनाने की घोषणा की. कहा कि इसी वित्तीय वर्ष में उक्त भवन का निर्माण करा लिया जायेगा. इसके अलावा जुग जाहेर थान व मांझी थान का सौंदर्यीकरण किया जायेगा. इसके लिये डीपीआर बनाने का निर्देश भी दिया गया है. इन स्थलों के विकास के लिये सामुदायिक पट्टा दिया जायेगा, जिसके लिये जिले के डीसी को निर्देश भी दिया गया. उन्होंने कहा कि मरांग बुरू आदिवासी समाज के लिये अत्यंत पूजनीय हैं, ऐसे में अगले बाहा पर्व से पहले इन स्थलों को सुसज्जित कर देना है इसपर जिला प्रशासन को ध्यान देना है.
उन्होंने कहा कि कल्याण विभाग द्वारा आदिवासियों के उत्थान के लिये कई योजनाऐं चलायी जा रही है. चिकित्सा अनुदान के तहत शत-प्रतिशत लोगों को लाभ मिले यह उपायुक्त सुनिश्चित करे. सरकार मैट्रिक पास आदिवासी युवकों को दो लाख का अनुदान भी दे रही है. 75 वर्षों से अधिक समय से रहनेवाले भूमिहीन आदिवासी समाज के लोगों को वनाधिकार पट्टा भी दिया जा रहा है.