झारखंड BJP अध्यक्ष ने कहा : CNT-SPT एक्ट पर अर्जुन मुंडा के पत्र पर रघुवर दास गंभीर, सरकार चर्चा को तैयार

पीरटांड़/मधुबन : भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट को ले पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के पत्र पर मुख्यमंत्री रघुवर दास गंभीर हैं. सरकार इस मसले पर विचार कर रही है. श्री गिलुआ गुरुवार को मधुबन में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. वह यहां भाजपा कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण वर्ग में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 13, 2017 8:53 AM
पीरटांड़/मधुबन : भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट को ले पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के पत्र पर मुख्यमंत्री रघुवर दास गंभीर हैं. सरकार इस मसले पर विचार कर रही है. श्री गिलुआ गुरुवार को मधुबन में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. वह यहां भाजपा कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण वर्ग में भाग लेने आये थे. कहा कि श्री मुंडा का पत्र उन्हें मिला है. इससे संबंधित तमाम बातों से मुख्यमंत्री को अवगत करा दिया गया है.
मुख्यमंत्री पार्टी के प्रमुख नेताओं के साथ बैठक कर इस पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं. सीएनटी-एसपीटी एक्ट पर चर्चा करने के लिए सरकार का दरवाजा खुला है. चर्चा करने के लिए अभी समय का निर्धारण नहीं किया गया है. लिट्टीपाड़ा उपचुनाव में मिली हार पर श्री गिलुआ ने कहा कि भले ही इस चुनाव में भाजपा की हार हुई, लेकिन पार्टी के पक्ष में वोट प्रतिशत बढ़ा है. कहा कि संताल परगना से झामुमो को उखाड़ फेंकने की रणनीति बन रही है. झामुमो ने स्थानीय नीति का बहाना बना कर भाजपा-झामुमो गंठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, लेकिन सरकार में रहने के दौरान झामुमो ने स्थानीयता को क्यों नहीं परिभाषित किया. उस दौरान हेमंत सरकार बालू से तेल निकालने में लगी हुई थी.
कहा कि विपक्ष को राज्यहित में सरकार को समर्थन करना चाहिए. विपक्ष द्वारा सीएनटी-एसपीटी एक्ट का विरोध किये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस व झामुमो लालू यादव की गोद में थे तो उस वक्त संशोधन की प्रक्रिया का विरोध क्यों नहीं किया गया. विपक्ष को सही चश्मा से इसे देखने की जरूरत है. श्री गिलुआ ने कहा कि आदिवासी-मूलवासी के हितों को ध्यान में रख कर इसमें संशोधन किया गया है. बाबूलाल मरांडी द्वारा अडाणी ग्रुप का विरोध किये जाने के सवाल पर प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बाबूलाल विकास विरोधी हैं. यही वजह रही कि पिछले विस चुनाव में उन्हें अपने ही गृह जिले के दो विस सीटों पर करारी हार मिली थी.

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