महत्व एकता से है, अहंकार से नहीं, अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन के राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन में बोले वक्ता
अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन के राष्ट्रीय अधिवेशन में महिलाओं के योगदान पर चर्चा हुई. जैसलमेर की सहेलियों के साथ लातेहार की पैडवूमेन की भी चर्चा हुई.
गिरिडीह, मृणाल कुमार : मीरा की अमर शक्ति जहर से मर नहीं सकती, झांसी वाली रानी है किसी से डर नहीं सकती. मदर टेरेसा, कल्पना हो या सानिया मिर्जा. असंभव क्या है दुनिया में जो हमारी सखियां कर नहीं सकतीं. अहिंसा की पावन भूमि पारसनाथ के मधुबन स्थित गुणायतन में अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन के दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन (सत्र 2022-24) का समापन शनिवार को कई कार्यक्रमों के साथ हुआ.
कार्यक्रम में देश के अलग-अलग राज्यों से 900 से अधिक महिलाएं शामिल हुईं. दो दिन चले इस सम्मेलन में समाज की महिलाओं ने पिछले दो वर्षों में किये गये कार्यों की समीक्षा की. बेहतर कार्य करने वाली महिला पदाधिकारियों को सम्मानित किया गया. महिलाओं के उत्थान के बारे में विस्तार से चर्चा भी की गयी. इस मौके पर देश भर से आयी महिला पदाधिकारियों ने अपने-अपने विचार रखे.
किसने क्या कहा
पीछे मुड़कर देख रही हूं. क्या पाया है. लक्ष्य बड़ा था. फिर भी आप सबने अपना धर्म निभाया है. आज तक सभी प्रांतों से एक से बढ़कर एक कार्य आ रहे हैं. किन-किन बहनों को सम्मान दूं और किन्हें छोड़ दूं. आपलोगों के द्वारा किये गये सेवा कार्य मेरे शब्दों को, मेरे सम्मान को छोटा कर रहे हैं. हमारा समाज महिला सशक्तिकरण के लिए, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए कार्य कर रहा है. यह सभी समुदाय की बहनों के लिए है. केवल मारवाड़ी महिलाओं के लिए ही नहीं.
नीरा बथवाल, निवर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष
आपलोगों ने अनगिनत कार्यों का पहाड़ खड़ा कर दिया है. सभी प्रदेशों के अधिवेशन के बाद भी बहनें लगातार सेवा कार्यों में जुटीं हैं. जगह-जगह सामूहिक विवाह, ब्लड डोनेशन कैंप, गणगौर मेला, बसंत मेला का आयोजन हो रहा है. नेत्रदान, रक्तदान के भी कार्य अनवरत जारी हैं. हर क्षेत्र में आप सबों ने अपनी काबलियत दिखाई है. नये पदाधिकारी पुरानी टीम से अनुभव लें. उनके अनुभवों की मदद से आप और तेजी से आगे बढ़ पाएंगीं.
रूपा अग्रवाल, निवर्तमान राष्ट्रीय सचिव
जैसलमेर की दबंग जल सहेलियों की कहानी के जरिए बताई महिलाओं की ताकत
देश भर से आईं करीब 900 महिलाओं को देश के अलग-अलग राज्यों में बेहतर कार्य करने वाली महिलाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी. कहा कि हमारी ये बहनें इस तरह के काम कर सकतीं हैं, तो हम क्यों नहीं. इसमें जैसलमेर की दबंग जल सहेलियों के बारे में बताया गया. बताया कि उस गांव में इन्हीं सहेलियों का कानून चलता है. ये सहेलियां 8 गांवों के लिए पानी बचातीं हैं.
बताया गया कि देश के सबसे सूखे इलाकों में से एक जैसलमेर के अड़बाला गांव में एक ही तालाब है -सांवराई. यह तालाब आस-पास के 8 गांवों के 11 लोगों की प्यास बुझाता है. जैसलमेर टूरिज्म के लिए बहुत प्रसिद्ध है. इसलिए यहां कई रिसोर्ट हैं. लड़ाई यहीं से शुरू हुई. सालों से यहां के रिसोर्ट इसी पानी के बूते चल रहे थे. इसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा था.
पयर्टकों की प्यास बुझाते-बुझाते तालाब का गला सूख रहा था. हर बार गर्मियों में पानी के लिए लड़ाई शुरू हो जाती थी. तालाब गांव वालों का था. फिर भी उन्हें डेढ़-डेढ़ हजार रुपए में पानी का टैंकर खरीदना पड़ता था. गांव के पुरुषों ने पानी की चोरी रोकने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी. वर्ष 2022 में मोर्चा महिलाओं ने संभाला. जब पानी बचाने के लिए 25 जल सहेलियां उतरीं, तो चोरी का यह सिलसिला थम गया.
7 दिन की ट्रेनिंग लेकर लातेहार में 11 महिलाओं ने शुरू किया प्लांट, अब बनीं पैडवूमेन
सम्मेलन में झारखंड के लातेहार जिले से आयी महिला पदाधिकारियों ने भी काफी रोचक कहानी सुनाई. बताया कि झारखंड के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र लातेहार जिले का चकला गांव कभी गोलियों से थर्राता था. दिन में भी महिलाएं घर से बाहर निकलने में संकोच करतीं थीं. मासिक धर्म पर शर्म की वजह से बाजार जाकर सैनिटरी पैड नहीं खरीदतीं थीं. स्वच्छता का ध्यान नहीं रख पातीं थीं. अब उस क्षेत्र की महिलाएं सैनिटरी पैड बनातीं हैं. साथ ही गांव की महिलाओं-युवतियों को मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता का ख्याल रखने और पैड का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित भी करतीं हैं.
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यह सब एक दिन में नहीं हुआ. चकला कोल माइंस क्षेत्र में हिंडाल्को की सीएसआर एक्टिविटी के तहत 11 महिलाओं का चयन कर स्वयंसहायता समूह का गठन किया गया. सैनिटरी पैड का प्लांट लगाया और ग्रुप की महिलाओं को एक सप्ताह तक मशीन चलाने का प्रशिक्षण दिया गया. इसके बाद ग्रुप की महिलाओं ने मुड़कर नहीं देखा. 8 दिसंबर 2023 को शुरू हुए जिरहुल सैनिटरी पैड उत्पादन केंद्र के माध्यम से महिलाओं ने मात्र तीन माह के अंदर प्रति माह तीन हजार पैकेट पैड का उत्पादन शुरू कर दिया.
इसकी मार्केटिंग भी महिलाएं ही कर रहीं हैं. जागरूकता का असर ऐसा हुआ कि अब गांव की 200 से अधिक महिलाएं और युवतियां केंद्र पर आकर सैनिटरी पैड खरीद रहीं हैं. मुरी क्षेत्र से प्रति माह 10 हजार, ओडिशा के हीराकुद और उत्कल अलमीना सेंटर से प्रति माह 2 हजार पैकेट की मांग आ रही है.
समापन मौके पर हुए कई कार्यक्रम
अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन के दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन का समापन शनिवार को विभिन्न कार्यक्रमों के साथ हुआ. समाज की महिलाओं ने पिछले कार्यों की समीक्षा की, तो नये सत्र के लिए नये पदाधिकारियों का चयन भी किया गया. इस दौरान महिलाओं ने अपने-अपने विचार भी रखे. कार्यक्रम में समाज की महिलाओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति भी दी.
सत्र के अंतिम चरण में प्रश्नोत्तर सत्र का भी आयोजन किया गया. इसमें राष्ट्रीय पदाधिकारियों से अलग-अलग राज्यों से आये अध्यक्ष, सचिव, प्रदेश अध्यक्ष, 5 अंचल प्रमुख, 4 सेवा प्रकल्प प्रमुख, 6 समिति प्रमुख एवं 11 पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शामिल हुईं. इन सभी लोगों ने महिलाओं के सवालों का जवाब दिया.
मौके पर शारदा लखोटिया, अंजू सरावगी, संगीता सुल्तानिया, संध्या अग्रवाल, सुमन मूंदड़ा, अलका सरावगी, मंजू गाड़ोदिया, शारदा मेहाड़िया, इंदु गर्ग, रेखा राठी, श्वेता टिबड़ेवाल, अंबिका हेरा, डौली जालान समेत सैकड़ों महिलाएं शामिल थीं. कार्यक्रम के समापन के बाद पौधारोपण भी किया गया. गोल्ड मेडलिस्ट स्वामी प्रभाजी भैया कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और साहित्यकार व्यंजना आनंद मिथ्या विशिष्ट अतिथि थे.