13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बाहा पर्व के मौके पर पारसनाथ पर्वत में उमड़ा आदिवासी समाज, दिशोम मांझीथान में जुटे कई राज्यों के आदिवासी

मरांगबुरु बोंगा बुरु समिति ने बुधवार को पारसनाथ में धूमधाम के साथ बाहा पर्व मनाया. मरांगबुरु पारसनाथ की तलहटी में स्थित दिशोम मांझीथान में इस पर्व के प्रति जनजातीय अनुराग देखते ही बना.

मरांगबुरु बोंगा बुरु समिति ने बुधवार को पारसनाथ में धूमधाम के साथ बाहा पर्व मनाया. मरांगबुरु पारसनाथ की तलहटी में स्थित दिशोम मांझीथान में इस पर्व के प्रति जनजातीय अनुराग देखते ही बना. सभ्यता के आदिम नागरिकों का प्रकृति के प्रति अनुराग से उनका जीवन भरा हुआ है. पारसनाथ में जनजातीय समाज का समागम इसका प्रमाण बनकर सामने आया.

मांझी थान में परंपरा के अनुसार हुई पूजा-अर्चना

मंगलवार की रात ही मांझीथान से जग जाहेर थान के लिए निकले लोग प्रति वर्ष बाहा पर्व के मौके पर झारखंड के विभिन्न जिलों के अलावे विभिन्न राज्यों से भी आदिवासी समुदाय के लोग आते हैं. मंगलवार की देर रात ही आदिवासी समुदाय के काफी लोग मांझी थान से जुग जाहेरथान के लिए निकल गये.

पूजा-अर्चना के बाद मांझीथान लौट गए सभी

जुगजाहेर थान में पूजा-अर्चना के बाद सभी मांझीथान लौट गये. बुधवार को दिशोम मांझी थान में आदिवासी परंपरा के अनुसार पूजा-अर्चना की गयी. इस दौरान लोगों ने मांझी थान जाकर आशीर्वाद लिया. बाद में मांझीथान से जुलूस की शक्ल में लोगों ने मधुबन बाज़ार का भ्रमण किया. इस मौके पर पारसनाथ पहाड़ की तलहटी स्थित मांझी थान में आदिवासी समुदाय के लोगों ने कुछ स्टॉल भी लगाये थे.

Also Read : झारखंड: संताल परगना इलाके में बाहा पर्व शुरू, सादे पानी से होली खेलने का है रिवाज, जानें क्या है मान्यता

क्या है बहा पर्व-बाहा पर्व

बाहा आदिवासियों के लिए प्रकृति का पर्व माना जाता है. बाहा का अर्थ फूल होता है. परंपरा के अनुसार आदिवासी समुदाय के लोग मरांग बुरु को देवता के रूप में पूजते हैं. पतझड़ के बाद हरे-भरे नये-नये पत्ते, कोंपलों से आदिवासियों का दिल खिल जाता है. वे झूम उठते हैं. पूजा-आराधना कर पर्वत व जंगलों की हरियाली का स्वागत करते हैं.

13Gir 46 13032024 49 C491Dhn103569374
बाहा पर्व के मौके पर पारसनाथ पर्वत में उमड़ा आदिवासी समाज, दिशोम मांझीथान में जुटे कई राज्यों के आदिवासी 3

बाहा पर्व पर धर्म गुरु के दिशा-निर्देश पर होती है पूजा-अर्चना

बाहा पर्व यानी प्रकृति की पूजा के अवसर पर मरांग बुरु पारसनाथ में जुग जाहेर थान तथा मांझी थान में धर्म गुरु के दिशा निर्देश पर पूजा-अर्चना की जाती है. हजारों की संख्या में क्षेत्र के आदिवासी ढोल-मांदर के साथ मरांगबुरु पहाड़ स्थित जुग जाहेर थान के लिए कूच करते हैं. जुग जाहेर थान में पूजा-अर्चना के बाद वापस मंझिथान में धार्मिक रीति-रिवाज से पूजा-अर्चना की जाती है. मांझीथान में धर्मसभा तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है.

Also Read : बाहा बोंगा : प्रकृति से संसर्ग का पर्व

झारखंड ही नहीं, दूसरे प्रदेशों से भी आते हैं लोग

यूं तो मरांगबुरु पारसनाथ की धरती पर आदिवासी समुदाय के कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं, पर इस पर्व के अवसर पर झारखंड के विभिन्न जिलों के अलावे बिहार, बंगाल, छत्तीसगढ़ आदि प्रदेशों से भी आदिवासी समुदाय के लोग मधुबन आते हैं. कार्यक्रम को सफल बनाने में मरांगबुरु सावंता सुसार बैसी के तरफ से नूनका टुडू, बुधन हेंब्रम, सिकंदर हेंब्रम, अर्जुन हेंब्रम, फागू मरांडी, जबकि मरांगबुरु संस्था की तरफ से रामलाल मुर्मू, महावीर मुर्मू, सोमरा हेंब्रम, सुरेश हेंब्रम, राजेश किस्कू एवं नायके चांदोलाल टुडू आदि की सराहनीय भूमिका रही.

13Gir 47 13032024 49 C491Dhn103569374
बाहा पर्व के मौके पर पारसनाथ पर्वत में उमड़ा आदिवासी समाज, दिशोम मांझीथान में जुटे कई राज्यों के आदिवासी 4

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें