सिमटती जा रही कबड्डी व जोगीड़ा की परंपरा, अब नहीं निकलती होलियारों की टोली
चौपाल पर होनेवाली फाग व कबड्डी जैसे होली की कई प्राचीन परंपरा गुम होती जा रही है. होली के अवसर पर कबड्डी खेल का आयोजन बंद हो चुका है, चौपाल पर जुटाकर फगुआ के गीत गाने की परंपरा सिमटती जा रही है.15 दिन पूर्व शुरू हो जाती थी तैयारी
एक समय था जब होली से 15 दिन पूर्व ही जोगीड़ा व कबड्डी की तैयारियां शुरू हो जाती थीं. होली के दिन लोग सुबह कबड्डी व छड्डा खेलते थे और शाम को गांव के बूढ़े, बुजुर्ग व युवा पारंपरिक ढोल, झांझर, मृदंग आदि के साथ जोगीड़ा निकालते थे. साथ ही गांव की हर गली, हर घर जाकर होली की मुबारकबाद देते थे. लेकिन वर्तमान में आधुनिकता के दौर में यह परंपरा लगातार सिमटती जा रही है. प्रखंड के बुजुर्ग भागवत सिंह, भगीरथ सिंह,प्यारी सिंह आदि ने बताया कि अब युवा मोबाइल में व्यस्त हैं और फेसबुक,वाट्सएप आदि में सोशल मीडिया में बधाई देकर खानापूर्ति कर लेते हैं. युवा घर गांव और सड़क पर कुछ देर रंग अबीर खेल कर होली मना लेते हैं. बताया कि करीब 25-30 वर्ष पूर्व हम लोग गांव में कबड्डी खेलते थे और शाम को जोगीड़ा निकाल कर हर घर गली में होली गीत गाते बजाते थे और बड़े बुजुर्गों को अबीर लगाकर आशीर्वाद लेते थे .इस क्रम में हर घर से पकवान और पैसे भी मिलते थे लेकिन अब यह परंपरा लगभग खत्म सी हो गयी है. हालांकि कुछ गांवों में अपवाद के रूप में जोगीड़ा की परंपरा आज भी कायम है.कुछ गांवों में फाग की परंपरा अब भी कायम
हालांकि, कुछ गांवों में अब भी फाग की परंपरा कायम है. होलिका दहन के अवसर पर गांव में घूम घूम कर फाग गाते हुए लकड़ी, गोइठा आदि इक्कठा कर निश्चित स्थल पर होलिका दहन की परंपरा आज भी कायम है. देवरी प्रखंड इलाके के गांव देहात से लेकर कस्बा में पुरे गांव के लोग जुटकर होलिका दहन का आनंद उठाते हैं. होलिका में पकवान डालने की भी परंपरा है. इसके अलावे होलिका दहन की आग में चना को जलाकर खाने की भी परंपरा चली आ रही है. होलिका दहन के बाद होलिका दहन स्थल पर राख का टीका लगाकर होली खेलने की परंपरा अब भी चली आ रही है.शराब पर रोक लगाने व फाग को बढ़ावा देने की मांगसमाजसेवी हरिहर प्रसाद सिंह, प्रकाश पंडित, संजय साहू, अजित शर्मा आदि लोगों का कहना है कि होली में शराब की प्रचलन हावी हो जाने से प्राचीन परंपराओं को नुकसान हुआ है. वर्तमान समय में शराब व अन्य मादक पदार्थों पर रोक लगाने एवं फाग व कबड्डी को बढ़ावा देने की जरूरत है. नशा पर अंकुश लगने से होली की प्राचीन परंपरा पूर्व की भांति कायम हो सकती है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है