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कार्डधारियों को नहीं मिला है दो माह का अनाज, पोर्टल पर लिया जा रहा है एडवांस फिंगर

जिले में जनवितरण प्रणाली व्यवस्था चरमराने के बाद भी इसे दुरुस्त करने की दिशा में आपूर्ति विभाग के अधिकारी कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं. मार्च महीने में भी जिले के कई प्रखंडों में अनाज का वितरण सही से नहीं किया गया.

गड़बड़झाला. मार्च में बिरनी में 7.21, धनवार में 36.4, जमुआ में 41.5 और सरिया में 68.9 प्रतिशत अनाज का हुआ वितरण

राकेश सिन्हा, गिरिडीह. जिले में जनवितरण प्रणाली व्यवस्था चरमराने के बाद भी इसे दुरुस्त करने की दिशा में आपूर्ति विभाग के अधिकारी कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं. मार्च महीने में भी जिले के कई प्रखंडों में अनाज का वितरण सही से नहीं किया गया. बता दें कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्डधारियों को प्रत्येक माह का अनाज उसी माह में दिया जाना है. इसके लिए मंथली साइकिल सिस्टम लागू है, परंतु इसका पालन करने में अधिकारियों को कोई दिलचस्पी नहीं है. अनाज वितरण की स्थिति का आकलन करने के लिए झारखंड सरकार के खाद्य आपूर्ति विभाग के पोर्टल का अवलोकन किया गया तो पाया कि जिले में बिरनी प्रखंड में अनाज वितरण की व्यवस्था पूरी तरह चरमरायी हुई है. मार्च महीने में मात्र 7.21 प्रतिशत अनाज का ही वितरण किया गया है. वहीं, राजधनवार में 36.4 प्रतिशत, जमुआ में 41.5 प्रतिशत और सरिया में 68.9 प्रतिशत अनाज का ही वितरण हुआ है. शेष वितरण के लिए पुन: अवधि विस्तार की प्रतीक्षा की जा रही है. बताया जाता है कि इसी अवधि विस्तार के दौरान डबल फिंगर का खेल खेलकर गबन किये गये अनाज को एडजस्ट कर लिया जाता है. जमुआ प्रखंड में कुल 289 डीलरों में से 118 डीलरों ने मार्च माह के अनाज का वितरण शुरू ही नहीं किया है. इसी प्रकार धनवार में 230 डीलरों में से 105 डीलर, बिरनी में 138 में से 114 डीलर और सरिया में 116 में से 27 डीलर का अनाज वितरण प्रतिशत शून्य है.

मार्च माह में दिया गया जनवरी व फरवरी माह का अनाज

सूत्रों का कहना है कि एडवांस फिंगर लेकर पोर्टल को अप टू डेट तो किया गया है, लेकिन कार्डधारियों को उसके अनुसार अनाज मिला तक नहीं है. कार्डधारियों को दो माह का अनाज नहीं देकर उनका फिंगर प्रिंट ले लिया गया है. ऐसे में आपूर्ति विभाग के दस्तावेजों में सब कुछ दुरुस्त कर लिया गया है. सूत्रों का कहना है कि इस गोरखधंधा में डीलर से लेकर आपूर्ति विभाग के वरीय अधिकारियों की संलिप्तता है और यही कारण है कि प्रखंड से लेकर जिला तक के अधिकारी सब कुछ जानते हुए चुप्पी साधे हुए हैं. एजीएम स्तर के पदाधिकारी तक अपने आधिकारिक बयान में कहते हैं कि वर्तमान में फरवरी माह का अनाज का वितरण किया जा रहा है. जबकि, पोर्टल में मार्च माह का फिंगर प्रिंट दिखा रहा है. उन्होंने स्वीकार किया कि अनाज गबन हो जाने के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है.

मार्च माह में अनाज वितरण की स्थिति

प्रखंड का नाम – आवंटन (किलो) – वितरण (किलो) – प्रतिशत

बगोदर – 743015 – 632082 – 85.07बेंगाबाद – 738315 – 701114 – 94.96

बिरनी – 816300 – 58872 – 7.21देवरी – 895875 – 839573 – 93.72

धनवार – 1268640 – 461791 – 36.4डुमरी – 1051910 – 983636 – 93.51

गांडेय – 778450 – 744901 – 95.69गावां – 542790 – 432911 – 79.76

गिरिडीह (मु) – 1112010 – 1023719 – 92.06जमुआ – 1268935 – 525982 – 41.45

पीरटांड़ – 543000 – 505095 – 93.02सरिया – 725970 – 499882 – 68.86

तिसरी – 464800 – 440015 – 94.67गिरिडीह (नि) – 333270 – 297480 – 89.26

कुल – 11283280 – 8147056 – 72.20

अनाज गबन मामले में रोक दी गयी प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया

जमुआ में कुल 24945 क्विंटल अनाज की हेराफेरी यानि गबन कर लिया गया है. इसके कारण कार्डधारियों को प्रत्येक माह का अनाज निर्धारित समय पर नहीं दिया जाता. कार्डधारियों को अनाज लेने के लिए पीडीएस दुकानों का चक्कर काटना पड़ता है. जमुआ में एक जांच रिपोर्ट के मुताबिक 20460 क्विंटल चावल और 4485 क्विंटल अनाज लाभुकों को न देकर गबन किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार भारतीय खाद्य निगम के डिपो से चला अनाज में से 24945 क्विंटल अनाज झारखंड राज्य खाद्य निगम के गोदाम में पहुंचा ही नहीं. जांच रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया गया कि कुल 96 ट्रक अनाज को रास्ते से ही टपा दिया गया. सूत्रों की मानें तो इस गबन के मामले को लेकर कुछ माह पूर्व प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई भी शुरू की गयी थी. इसके लिए जमुआ प्रखंड के आपूर्ति पदाधिकारी को जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश भी दिया गया था. कहा गया था कि चार हजार रुपये प्रति क्विंटल के दर से कुल 20384 क्विंटल अनाज का रकम आठ करोड़ 15 लाख 37 हजार रुपये वसूलनीय है. इसमें तत्कालीन परिवहन अभिकर्ता सुबीर कुमार परदेशी एवं तत्कालीन प्रभारी सहायक गोदाम प्रबंधक बबलू चौधरी की भी मिली भगत है. इन लोगों के खिलाफ थाना में आपराधिक मुकदमा दर्ज करने के लिए प्रारूप भी तैयार किया गया, लेकिन बाद में प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया को ही रोक दिया गया. सूत्रों का कहना है कि इतनी मोटी रकम के गबन के मामले में अधिकारियों ने अब तक चुप्पी साध रखी है.

कम मात्रा में मिलता है अनाज, शिकायत सुनने वाला कोई नहीं : कार्डधारी

जिले के बिरनी, जमुआ, धनवार, सरिया में अनाज गबन होने के बाद सबसे ज्यादा इन्हीं प्रखंडों के कार्डधारियों को परेशानी हो रही है. मामले को रफा-दफा करने के लिए डबल फिंगर कार्डधारियों से लिया जाता है. कार्डधारियों का कहना है कि दो-दो बार फिंगर तो लेते हैं, लेकिन एक माह का ही अनाज उन्हें मिलता है और वह भी निर्धारित मात्रा से कम होता है. कहीं भी शिकायत करने पर कोई सुनने वाला नहीं है. पांडेयडीह पंचायत के नंदलाल दास ने बताया कि दो माह का राशन देना तो दूर एक माह का भी अनाज निर्धारित मात्रा से दो-तीन किलो कम ही दिया जाता है. डीलरों की मनमानी चरम पर है. कार्डधारी चमेली देवी कहती है कि उनके पास सादा राशन कार्ड है, जब से कार्ड मिला है, तब से उसे एक बार राशन मिला है. डीलर से पूछने पर बताया जाता है कि उसका राशन बंद हो गया है. कार्डधारी रोहिनी देवी ने कहा कि डीलर जो देते हैं, वही लेकर हम चले आते हैं. हमलोगों को हर माह राशन मिलता भी नहीं है. करीहारी की बसंती देवी ने कहा कि दो माह का अनाज उसे नहीं मिला है. कई बार डबल फिंगर भी मशीन में लिया गया, लेकिन, हमेशा अनाज एक ही माह का मिला है. पूछने पर डीलर कहते हैं कि जो मिला है, उसे लेकर जाओ.

डीएसडी के संवेदक डीलरों तक अनाज पहुंचाने में कर रहे हैं मनमानी

जिले के कई प्रखंडों में डीलरों की मनमानी की वजह से जनवितरण प्रणाली व्यवस्था चरमरा गयी है. ना ही निर्धारित समय पर अनाज डीलरों को दिया जा रहा है और ना ही निर्धारित मात्रा में. अनाज गबन करने के लिए डीएसडी संवेदक तरह-तरह का हथकंडा अपनाते हैं. एफसीआई द्वारा जेएसएफसी को एक माह पूर्व अनाज दे दिया जाता है, लेकिन जेएसएफसी के गोदाम से पीडीएस डीलर तक समय पर अनाज नहीं पहुंचाया जाता है. अनाज पहुंचाने की जिम्मेदारी डीएसडी संवेदक की होती है. संवेदक प्रत्येक माह के अंतिम सप्ताह में अनाज डीलरों तक पहुंचाते हैं और फिर गबन का खेल खेला जाता है. जमुआ में 21 मार्च से लेकर 28 मार्च तक जेएसएफसी के गोदाम से अनाज का उठाव ही नहीं किया गया. इस संबंध में एजीएम और डीएसडी के संवेदक एक-दूसरे पर मनमानी का आरोप लगा रहे हैं. डीएसडी के संवेदक अनुज कुमार यादव का कहना है कि होली के छुट्टी के कारण कुछ दिनों तक उठाव नहीं हो सका. एजीएम भी छुट्टी पर थे. गोदाम से अनाज देने वाला कोई नहीं था. ऐसे में हम अनाज डीलरों को कैसे पहुंचाते. इधर, डीलरों का कहना है कि उन्हें गोदाम से ही अनाज समय पर नहीं दिया जाता. हीरा देवी एसएचजी समूह की संचालिका हीरा देवी का कहना है कि दो माह का राशन आज तक नहीं मिला. पिछले दिनों गिरिडीह के विधायक जमुआ में आकर डीएसओ को निर्देश दिये कि निर्धारित समय में अनाज सुनिश्चित करायें, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ. वहीं, पाराखारो के डीलर बालेश्वर प्रसाद ने कहा कि 30 मार्च को उसे फरवरी माह का अनाज मिला है, जिसका वितरण किया जा रहा है.

डीलरों को दिया गया है फरवरी माह का अनाज : एजीएम

जमुआ के सहायक गोदाम प्रबंधक देवदयाल रजवार ने कहा कि प्रखंड में लगभग 20 हजार क्विंटल से भी ज्यादा अनाज का गबन हो चुका है, जिसके कारण दो माह का बैकलॉग चल रहा है. उन्होंने स्वीकार किया कि वर्तमान में फरवरी माह का अनाज डीलरों को भेजा जा रहा है. एक सप्ताह में फरवरी माह का अनाज शत प्रतिशत डीलरों को मिल जायेगा. कहा कि एक माह का एडवांस फिंगर लेकर डीलरों को अनाज दिया जा रहा है. इस पूरी स्थिति से जिले के वरीय अधिकारियों को भी अवगत करा दिया गया है.

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