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Giridih News. मधुबन में पर्यूषण पर्व की धूम, साधना में लीन श्रद्धालु

Giridih News. जैन धर्म का सबसे बड़ा पर्व पर्यूषण मधुबन की विभिन्न श्वेतांबर संस्थाओं में मनाया जा रहा है. इस दौरान साधु-संतों के सान्निध्य में श्रद्धालु धार्मिक विधियां पूरी करते हुए आत्मसाधना में लीन होकर धर्म का मर्म समझ रहे हैं.

पीरटांड़. जैन धर्म का सबसे बड़ा पर्व पर्यूषण मधुबन की विभिन्न श्वेतांबर संस्थाओं में मनाया जा रहा है. इस दौरान साधु-संतों के सान्निध्य में श्रद्धालु धार्मिक विधियां पूरी करते हुए आत्मसाधना में लीन होकर धर्म का मर्म समझ रहे हैं. इस पर्व के दौरान जैन धर्म के ग्रंथ तत्वार्थ सूत्र का लोग पालन कर रहे हैं. इस दौरान साधु-साध्वी व श्रावक की आहार चर्या में भी संयम का पालन किया गया. साधु संतों के सानिध्य में जैन अनुयायी भक्ति भावना में लीन होकर आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया.

सातवें दिन भी धार्मिक विधियां पूरी की गयीं :

पर्व के दौरान श्रद्धालुओं ने लगातार धार्मिक अनुष्ठान व साधु-संतों के प्रवचन को भी आत्मसात किया. बताया जाता है कि जैन धर्म का महापर्व पर्यूषण पर्व सातवें दिन भी धार्मिक विधियां पूरी की गयीं. पर्यूषण पर्व की शुरुआत से ही धार्मिक अनुष्ठान, पूजा आराधना व साधु संतों के प्रवचन से मधुबन का माहौल भक्तिमय रहा. पर्यूषण पर्व की शुरुआत से ही श्रद्धालुओं को सत्य अहिंसा का पाठ पढ़ाया गया. जैन धर्म के सिद्धांतों को प्रवचन के माध्यम से प्रेरणा दिया गया. विभिन्न प्रांतों से आये श्रावक-श्राविका : इस दौरान मधुबन स्थित कई संस्थाओं में साधनारत साधु-संतों के सानिध्य में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किये गये. धार्मिक विधि-विधान से पूजा-आराधना के बाद प्रवचन का आयोजन किया गया. देश के विभिन्न प्रांतों से श्रावक-श्राविका चातुर्मास के दौरान विभिन्न संस्थाओं में भक्ति भावना में लीन हैं. साधु-संतों के मंगल प्रवचन का लाभ लेते रहे. महापर्व के दौरान सुबह एवं दोपहर प्रतिदिन मंगल प्रवचन आयोजित किया गया. जहाज मंदिर में शुक्रवार को सर्वप्रथम राय प्रतिक्रमण किया गया. उसके बाद क्रम से प्रभु दर्शन, भक्तामर पाठ, सामूहिक स्नात्र पूजा, अष्टप्रकारी पूजा, प्रवचन, सांध्य प्रतिक्रमण आदि आयोजित किये गये.

आचार्यों के सान्निध्य में हो रहे अनुष्ठान :

बताया जाता है कि पर्यूषण पर्व ही ऐसा पर्व है जिसमें सर्वाधिक आंतरिक व वैचारिक शुद्धि को महत्व दिया गया है. इन दिनों विभिन्न श्वेतांबर संस्थाओं में तप, त्याग, जप, तप की महिमा बतायी जाती है. शुक्रवार को भगवान पार्श्वनाथ तथा नेमीनाथ की जीवनचर्या की चर्चा की गयी. भोमिया भवन में आचार्य प्रश्मेश सूरीश्वर जी महाराज तथा जहाज मंदिर में आचार्य सुयश सूरीश्वर जी महाराज के सान्निध्य में धार्मिक विधियां पूरी की जा रही हैं.

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