Loading election data...

समेकित पशुधन विकास केंद्र नहीं बदली महिलाओं की आर्थिक स्थिति

एसएचजी से जुड़ी महिलाओं को स्वरोजगार के लिए मुर्गी, बत्तख के चूजे व बकरी के बच्चों की उन्नत नस्ल की व्यवस्था करने का दावा करने वाला प्रखंड का इकलौता समेकित पशुधन विकास केंद्र फिलहाल औपचारिकता केंद्र में बदल गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 5, 2024 11:13 PM

बेंगाबाद. एसएचजी से जुड़ी महिलाओं को स्वरोजगार के लिए मुर्गी, बत्तख के चूजे व बकरी के बच्चों की उन्नत नस्ल की व्यवस्था करने का दावा करने वाला प्रखंड का इकलौता समेकित पशुधन विकास केंद्र फिलहाल औपचारिकता केंद्र में बदल गया है. बेंगाबाद के तेलोनारी गांव में केंद्र की स्थापना के समय प्रखंड की महिलाओं को इच्छानुसार सस्ती दर पर पशुधन उपलब्ध कराये गये.

महिलाओं के सपने धरे रह गये :

पशुधन की बेहतर देखभाल के लिए महिलाओं को प्रशिक्षण देकर टीकाकरण व इलाज की तकनीक से दक्ष किया गया. महिलाओं को भी लगा कि उनके अच्छे दिन आने वाले हैं, पर धीरे-धीरे यह केंद्र सिमटता चला गया. महिलाओं के सपने धरे रह गये. अब इस केंद्र में बकरी के बच्चे के साथ-साथ बत्तख बेचे जाने की कोई सुगबुगाहट नहीं है. दिखावा के लिए महज सात सौ मुर्गी के चूजे रखे गये हैं ताकि केंद्र सक्रिय दिखे. केंद्र से जुड़ी महिलाओं की आर्थिक स्थिति का पता जेएसएलपीएस के रिकाॅर्ड से ही चल सकता है.

जेएसएलपीएस की परियोजना :

झारखंड राज्य आजीविका संवर्द्धन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) की महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना के तहत तेलोनारी में बेंगाबाद प्रखंड का इकलौता समेकित पशुधन संसाधन केंद्र कुछ वर्ष पहले शुरू हुआ था. केंद्र की स्थापना के बाद भव्य आयोजन के बीच विभागीय अधिकारियों ने तामझाम के साथ इसका उद्घाटन किया. दावा किया गया कि जिन महिलाओं को मुर्गी, बत्तख व बकरी का पालन करना है उन्हें यहां से उचित मूल्य पर बेहतर नस्ल के चूजे उपलब्ध कराने थे. इससे पूर्व उसका टीकाकरण व यहां के माहौल के अनुसार उसे तैयार किया जाना था. परेशानी से बचाने के लिए सोसाइटी से जुड़ी महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया. यह केंद्र अब कभी-कभार ही खुलता है. दिखावे के लिए एक शेड में सात सौ मुर्गी के चूजे रखे गये हैं. ऐसे में यहां से महिलाओं को दिखाया गया सब्जबाग सब्जबाग ही रहा. यही हाल अन्य विभागीय योजनाओं का भी है.

मांग करनेवाली को दिया जाता है चूजा :

डीपीएमजेएसएलपीएस के जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज कुमार का कहना है कि बीपीएम ही बेहतर बता सकते हैं. बीपीएम संजय यादव का कहना है कि यहां से उन्हीं महिलाओं को मुर्गी व बत्तख के चूजे उपलब्ध कराये जाते हैं, जो मांग करती हैं. साथ ही छोटकी खरगडीहा में भी एक हजार तीन सौ मुर्गी के चूजे तैयार किये जा रहे हैं. बत्तख भी साल में तीन से चार खेप में उपलब्ध कराये जाते हैं.

Next Article

Exit mobile version