अभय वर्मा, गिरिडीह : देशव्यापी लॉकडाउन और ओपीडी सेवा बंद रहने के कारण सदर अस्पताल में इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या में करीब 80 प्रतिशत की गिरावट आयी है. पहले जहां करीब 350 मरीज आते थे, वहां औसतन अभी 75 मरीज आ रहे हैं. सिविल सर्जन डाॅ अवधेश कुमार सिन्हा ने बताया कि लॉकडाउन की घोषणा के बाद ओपीडी सेवा बंद कर दी गयी है, लेकिन कोई मरीज आया तो उसे निराश नहीं लौटना पडता है. फिलहाल स्वास्थ्य विभाग का सारा फोकस कोरोना वायरस की रोकथाम पर है. लॉकडाउन की घोषणा के बाद सदर अस्पताल में मलेरिया, कुष्ठ व टीबी पीडित लोगो के आने की संख्या भी काफी कम हो गयी है. सीएस ने कहा कि इन मरीजों के इलाज पर अब भी रोक नहीं है, पर आवागमन के साधन उपलब्ध ना होने के कारण इन रोग से पीड़ित लोग भी सदर अस्पताल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं.
मलेरिया जांच में भी आयी है भारी कमी : डॉ सत्यवतीजिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ सत्यवती हेम्ब्रम ने बताया कि लॉकडाउन की घोषणा के बाद मलेरिया जांच में भारी कमी आयी है. बताया कि फिलहाल क्वारंटाइन केंद्र पर ही मलेरिया जांच किट उपलब्ध करा दिया गया है. कहा कि बुखार की शिकायत के बाद क्वारंटाइन केंद्र में ही किट से मलेरिया की जांच की जाती है. बताया कि तालाबंदी से पूर्व मार्च माह में कुल 12038 लोगों की मलेरिया जांच की गयी थी, इनमें 45 लोगों में मलेरिया पाया गया था. कहा कि सदर अस्पताल में ऐसे मरीजों के आने की संख्या फिलहाल नगण्य है. 236 कुष्ठ रोगियों को दी जा रही है दवा : डॉ कालीदासजिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी डाॅ कालीदास मुर्मू ने बताया कि तालाबंदी से पूर्व जिले के 236 कुष्ठ रोगियों को दवा दी जा रही थी, फिलहाल यह अब भी बरकरार है.
बताया कि कुष्ठ जांच के दौरान पूरे शरीर की जांच की जाती है, सोशल डिस्टेसिंग के निर्देश के कारण ऐसी जांच फिलहाल बंद कर दी गयी है. कहा कि पूर्व के चिह्नित रोगियों को केवल दवा दी जा रही है. नये टीबी मरीज की संख्या नगण्य : डॉ अरविंदजिला यक्ष्मा पदाधिकारी डाॅ अरविंद कुमार ने बताया कि लॉकडाउन के कारण यक्ष्मा रोगियों के आने का सिलसिला फिलहाल थम गया है. कहा कि पूर्व से जिन मरीजों का इलाज चल रहा है, उन्हें सारी सुविधा दी जा रही है. उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्र के संदिग्ध मरीज ही सदर अस्पताल आ रहे हैं. ऐसे मरीजों की संख्या रोजाना एक से दो रहती है.
उन्होंने बताया कि तालाबंदी की घोषणा के बाद बुधवार तक 42 मरीज इलाज के लिए आये हैं. मातृत्व केंद्र में रोजाना करीब आठ से दस प्रसव : डॉ उपेंद्रचैताडीह स्थित मातृत्व एंव शिशु कल्याण केन्द्र में गर्भवती महिलाओं के आने की संख्या में भी भारी गिरावट आयी है. सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डाॅ उपेन्द्र दास ने बताया कि तालाबंदी से पूर्व यहां रोजाना 30 से पैतीस महिलाओं का प्रसव होता था पर अब यह संख्या आठ से दस रह गयी है. उन्होंने बताया कि महिलाओं का प्रसव इमरजेंसी सेवा में आती है पर आवागमन के साधन उपलब्ध ना होने के कारण संख्या में कमी आयी है. सदर अस्पताल में आठ दिनों में 584 मरीजों का इलाजतालाबंदी के दौरान गत आठ दिनों में सदर अस्पताल में कुल 584 मरीजों का इलाज किया गया है.
उपाधीक्षक डाॅ दास ने बताया कि आम दिनों में रोजाना मरीजों की संख्या 350 के करीब रहती थी, कभी- कभी यह चार सौ तक भी पहुंच जाती थी. इधर, तालाबंदी के बाद औसतन करीब 75 मरीज ही सदर अस्पताल में आ रहे हैं. जानकारी के अनुसार 16 अप्रैल को 100, 17 को 70, 18 को 89, 19 को 59, 20 को 92, 21 को 100, 22 को 94 तथा 23 को 80 मरीज इलाज के लिए आये. इनमें अधिकतर मरीज मारपीट, बर्न, जहरखुरानी व कुता बिल्ली काटने का है. पैथोलॉजी टेस्ट में 200 के स्थान पर 20 से 25 मरीज जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल स्थित जांच घर में जांच कराने वालो की संख्या में भी भारी गिरावट आयी है. तालाबंदी से पूर्व यहां जांच कराने वालो की संख्या डेढ़ से दो सौ के करीब रहती थी, लेकिन तालाबंदी के बाद यह संख्या 20 से 25 रह गयी है.
जांच घर के कर्मी ने बताया कि फिलहाल जिन्हें बहुत जरूरी है, वैसे लोग ही जांच के लिए आ रहे है. बता दें कि स्वास्थ्य विभाग ने पूर्व में ही रूटीन जांच के लिए फिलहाल सदर अस्पताल ना आने की अपील की थी. संभवत: इसका भी असर है. ओपीडी सेवा है बंद, मरीजों की संख्या में कमी : सिविल सर्जनसिविल सर्जन डाॅ सिन्हा ने बताया कि फिलहाल ओपीडी सेवा बंद कर दी गयी है.
यही कारण है कि मरीजों की संख्या में गिरावट आयी है. कहा कि प्रावाधान के तहत केवल इमरजेंसी सेवा ही बहाल रखना है पर साधारण मरीज भी आते है तो उन्हें सेवा दी जा रही है. कहा कि जब मुख्यालय से ओपीडी सेवा बहाल करने का निर्देश मिलेगा तो सारी व्यवस्था बहाल कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि अभी सारा फोकस कोरोना पर है. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य सचिव के निर्देश के बाद कोरोना को लेकर सभी प्रकार के टीकाकरण का कार्यक्रम भी स्थगित कर दिया है.