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डालमिया परिवार को भी भायी थी सरिया की आबोहवा

गिरिडीह के इतिहास में 20वीं सदी का आरंभिक दौर अपने छोटे से इलाके सरिया से जगमग रहा. पश्चिम बंगाल की विभूतियों की उपस्थिति व वन संपदाओं से संपन्न हरियाली से यह क्षेत्र कई मायने में अर्थवान हो उठा था.

By Prabhat Khabar News Desk | June 24, 2024 11:20 PM

अतीत के झरोखे से सरिया बंगाली कोठी-11

बीसीसीआइ अध्यक्ष रहे जगमोहन डालमिया के पिता ने यहां खरीदी थी जमीन

नावाडीह में खरीदी थी 12 एकड़ जमीन

लक्ष्मी नारायण पांडेय, सरिया.

गिरिडीह के इतिहास में 20वीं सदी का आरंभिक दौर अपने छोटे से इलाके सरिया से जगमग रहा. पश्चिम बंगाल की विभूतियों की उपस्थिति व वन संपदाओं से संपन्न हरियाली से यह क्षेत्र कई मायने में अर्थवान हो उठा था. प. बंगाल के स्पीकर, सीएम, थल सेनाध्यक्ष समेत बड़े-बड़े उद्योगपतियों ने यहां अपना ठिकाना बनाया हुआ था. सरिया को गौरवान्वित करनेवाली इन्हीं विभूतियों में देश की जाने-मानी हस्ती में शामिल बीसीसीआइ के तीन-तीन बार चेयरमैन रहे जगमोहन डालमिया भी हैं, जिन्होंने अपना ठिकाना सरिया में बनाया हुआ था.

1946 में खरीदी थी जमीन :

वैश्विक खेल में प्रशासनिक उत्कृष्टता के लिए इंटरनेशनल जर्नल ऑफ द हिस्ट्री ऑफ स्पोर्ट्स अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित डालमिया का कनेक्शन सरिया को खास बनाता था. जानकार बताते हैं कि 1946 में कोलकाता के अलीपुर शहर निवासी प्रसिद्ध व्यापारी एमएल डालमिया एंड कंपनी के मालिक अर्जुन प्रसाद डालमिया ने अपने पुत्र जगमोहन डालमिया के नाम से सरिया के नावाडीह (सरकी) में 10 एकड़ जमीन खरीदी थी. इसके अलावे लगभग दो एकड़ जमीन सरिया स्थित मां भुवनेश्वरी काली मंदिर के सामने खरीदी. यहां बसे अन्य बंगाली परिवारों के साथ घनिष्ठता के बाद डालमिया परिवार का यहां आना-जाना लगा रहा. डाकबंगला में ठहरते थे डालमिया : बताया जाता है कि कम उम्र में ही अर्जुन प्रसाद डालमिया सरिया में अपने परिवार के लिए बंगला निर्माण की सोच ही रहे थे कि असामयिक वे काल कवलित हो गये. नतीजतन अल्पवय में ही जगमोहन डालमिया पर पिता के कारोबार का बोझ आ पड़ा. बीसीसीआइ के अध्यक्ष के साथ-साथ व्यापार में व्यस्तता के कारण सामान्य लोगों का इनसे मिल पाना मुश्किल होता गया था. बावजूद छुट्टियां बिताने के लिए सरिया आया करते थे. हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन के बगल में जिला परिषद के विश्रामगृह (डाकबंगला) में ही जगमोहन डालमिया ठहरा करते थे. उस समय सरिया स्थित डाक बंगला आकर्षक हुआ करता था. उसकी देखरेख के लिए जिला परिषद से वेतनभोगी चौकीदार चंद्रमारणी निवासी जगन्नाथ महतो नियुक्त थे.

2010 में बिक गयी 10 एकड़ जमीन :

जगमोहन डालमिया ने सरिया के कई लोगों को कोलकाता में अपने प्रतिष्ठान में नौकरी दी थी. झारखंड अलग होने के बाद वर्ष 2003 में अपनी कार से सरिया डाकबंगला आये थे. वर्ष 2010 में जगमोहन डालमिया ने सरिया के नावाडीह (सरकी) स्थित अपने 10 एकड़ भू-भाग (जमीन) सरिया के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति सत्यदेव प्रसाद के हाथों बेच दिया. उक्त जमीन के पांच एकड़ रकबा में मौजूदा संत जेवियर्स स्कूल (मान्यता प्राप्त) संचालित है, जबकि शेष पांच एकड़ जमीन पर 72 लोगों ने अपना-अपना आवासीय मकान, नर्सिंग होम तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठान बना लिया है. डालमिया ने दूसरा प्लॉट भी बेच डाला.

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