बाल संरक्षण से जुड़ी कमेटियों की शिथिलता पर डीसी नाराज, शो-कॉज
पचंबा के एक प्राइवेट स्कूल में छह साल की बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म के मामले को उपायुक्त ने गंभीरता से लिया है.
गिरिडीह. पचंबा के एक प्राइवेट स्कूल में छह साल की बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म के मामले को उपायुक्त ने गंभीरता से लिया है. इस मामले में शिथिलता बरतने वाले बाल संरक्षण से जुड़ी उन सभी समितियों को शो-कॉज करने का निर्णय लिया गया है, जिसने पीड़ित बच्ची के मेडिकल जांच से लेकर कोर्ट में पेशी के दौरान तक शिथिलता बरती है. बता दें कि वात्सल्य मिशन के तहत गिरिडीह जिले में भी डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट, चाइल्ड लाइन, बाल कल्याण समिति, जुबिनाइल जस्टिस बोर्ड आदि का गठन किया गया है. डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने कहा कि बच्चों को न्याय दिलाने और उनके अधिकार के संरक्षण के लिए इन कमेटियों को पहल करनी चाहिये थी. लेकिन, विभिन्न स्रोतों से उन्हें जानकारी मिली कि बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना के बाद इन कमेटियों में पदस्थापित कर्मचारियों व अधिकारियों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी. कहा कि एक सभ्य समाज के लिए बच्चे धरोहर हैं और इनके अधिकार, विकास और संरक्षण की जिम्मेदारी सभी पर बनती है. ऐसे में सरकार के स्तर से गठित कमेटियों के पदाधिकारियों की लापरवाही दंडनीय है. श्री लकड़ा ने कहा कि सभी कमेटियों के पदाधिकारियों से शो-कॉज किया जायेगा कि उन्होंने दुष्कर्म की घटना के बाद किस तरह का कदम उठाया है. कहा कि संतोषजनक जवाब नहीं मिलने की स्थिति में संबंधित लोगों के विरुद्ध कार्रवाई भी की जायेगी.
दोषी लोगों को चिह्नित कर प्रशासन करे कार्रवाई : सुरेश शक्ति
इधर बाल अधिकार एक्टिविस्ट और कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन के सुरेश शक्ति ने कहा कि छह साल की बच्ची के साथ हुई हैवानियत का इंसाफ सिर्फ पोक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कर दिये जाने तक सीमित नहीं है. बल्कि, इस घटना में शामिल लोगों के विरुद्ध कार्रवाई और स्कूल में आंतरिक वातावरण चाइल्ड फ्रेंडली सुनिश्चित करना भी है. कहा कि शिक्षा विभाग को भी पूरे मामले की भी जांच करनी चाहिए कि आखिर किन परिस्थितियों में बिना रजिस्ट्रेशन के स्कूल का संचालन किया जा रहा था. स्कूल का आंतरिक वातावरण चाइल्ड फ्रेंडली है या नहीं और बच्चों की सुरक्षा की किस तरह की व्यवस्था की गयी है. उन्होंने कहा कि भविष्य में किसी भी स्कूल में ऐसी दर्दनाक घटना की पुनरावृति ना हो, इसे सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन पर है. इस मामले में दोषी लोगों को चिन्हित कर प्रशासन कार्रवाई करे.