मकर संक्रांति पर पर त्रिवेणी में पवित्र स्नान की है परंपरा
पुष्करणी मेला में उमड़ती है भीड़
देवरी व जमुआ प्रखंड की सीमा पर स्थित त्रिवेणी (उसरी, गोदावरी व करमा नदी का संगम स्थल) में श्रद्धालुओं का जुटान होने लगा है. मकर संक्रांति के अवसर पर यहां पर स्नान का विशेष महत्व है. परंपरा के मुताबिक मकर संक्रांति पर 14 जनवरी की रात यहां स्थित काली मंदिर में पुजारी त्रिलोकी बाबा के नेतृत्व में विशेष पूजा होगी है. इसके बाद भजन कार्यक्रम भी होगा. 15 जनवरी को पुष्करणी मेला के दिन भंडारा का आयोजन किया जायेगा.जुटते हैं हजारों की संख्या में श्रद्धालु
मकर संक्रांति के दूसरे दिन यहां पर श्रद्धालुओं का जुटान होता है. यहां पर पहुंच कर संगम में स्न्नान कर पूजा अर्चना करते. यहां मेला भी लगता है. मंदिर के पुजारी त्रिलोकी बाबा के मुताबिक यहां पर सन्नान व पूज कर मां तारा की कृपा से मनोकामना पूरी होती है. कहा कि यह स्थल प्राचीन सनातन परंपरा की धरोहर है. त्रिवेणी संगम में तीन नदियों का मिलन है. पुष्करणी स्न्नान के लिए लोग यहां जुटते हैं.
तीन गांव के बोर्डर पर है यह स्थल
यहां देवरी प्रखंड से निकलने वाली गोदावरी व करमा नदी का मिलन उसरी नदी में होता है. यह तीन गांव का बोर्डर भी है. जमुआ प्रखंड के चांदडीह व देवरी प्रखंड के मकडीहा व नावाबांध के सीमा पर अवस्थित इस संगम स्थल में पर दशक से लोग मंकरसंक्रांति पर स्नान करते आते हैं.शुभ कार्य से पहले स्नान के लिए जुटते हैं लोग
परंपरा के मुताबिक शुभ कार्य शुरू करने से पहले लोग यहां स्नान करते हैं. यज्ञ, गृह प्रवेश, कार्तिक उद्यापन अनुष्ठान व छठ महापर्व पूर्व लोग यहां नहाने आते हैं. नहाने के बाद लोग यहां स्थित काली मंदिर में पूजा करते हैं. प्रतिदिन सैकड़ों लोग यहां स्न्नान के लिए आते हैं. इसके अलावे यहां स्थित श्मशान घाट में शवों का दाह संस्कार, शुद्धिकर्म व पिंडदान के लिए भी लोग पहुंचते हैं.
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