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वन भूमि पर अवैध उत्खनन के मामले में डीएफओ गंभीर, मापी कर आकलन में जुटा विभाग

डीएफओ स्वयं स्थल का निरीक्षण करने अरतोका पहुंच गये और अवैध तरीके से खुदाई कर निकाले जा रहे पत्थर खदान का मुआयना करने के बाद विभागीय कर्मियों को मापी का निर्देश दिये.

ओझाडीह पंचायत के अरतोका में वन भूमि पर अवैध तरीके से उत्खनन कर पत्थर निकाले जाने के मामले को डीएफओ मनीष तिवारी ने गंभीरता से लिया है. डीएफओ स्वयं स्थल का निरीक्षण करने अरतोका पहुंच गये और अवैध तरीके से खुदाई कर निकाले जा रहे पत्थर खदान का मुआयना करने के बाद विभागीय कर्मियों को मापी का निर्देश दिये. डीएफओ के निर्देश पर हरकत में आयी वन विभाग की टीम ने शनिवार और रविवार को अरतोका पहुंच कर मापी का कार्य शुरू किया. अमीन व नक्शे के साथ पहुंच कर टीम के सदस्यों ने सीमांकन के लिए मापी करते हुए रिपोर्ट वरीय अधिकारियों को देने की बात कही. इधर मापी करने पहुंची टीम को देख अवैध पत्थर उत्खनन कार्य में जुटे धंधेबाजों में हड़कंप मच गया है. वहीं मजदूर वहां से जंगल के रास्ते भाग खडे हुए.

विभाग के समक्ष आ रही तकनीकी परेशानी

बताया जाता है कि जिस स्थल पर अवैध तरीके से उत्खनन कर एक सौ फीट खुदाई कर पत्थर निकाला जा रहा है, उसके चारों ओर साल के घने जंगल हैं. जंगल के बीच में उत्खनन किये जाने का सिलसिला कोई एक दो दिन का नहीं है. बावजूद विभागीय कर्मियों की निष्क्रियता कई सवाल खड़ी कर रही है. वहीं संबंधित बीट की जिम्मेदारी संभाल रहे वनरक्षी की माफियाओं के साथ संलिप्तता की संभावना बढ़ा रही है. वर्तमान में यहां लगभग एक सौ फीट गहरी खदान से पत्थर निकाला जा रहा है. इधर, मापी के लिए पहुंचे कर्मियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पत्थर माफियाओं की ऊंची पहुंच है. उसकी पहुंच का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिस भूमि पर उत्खनन किया जा रहा है, वहां का दस्तावेज विभाग के पास मौजूद नहीं है. वनभूमि का सीमांकन करने के लिए खतियान की जरूरत होती है, लेकिन माफियाओं ने विभाग से उक्त दस्तावेज को ही नष्ट कर दिया है. स्थानीय कार्यालय से रांची कार्यालय तक खतियान नहीं मिल रही है. ऐसे में मापी कर सीमांकन करने में परेशानी हो रही है.

अवैध उत्खनन करने वाले धंधेबाजों को किया गया चिह्नित

इधर मापी करने पहुंची टीम के सदस्यों ने कई तथ्य उपलब्ध किये हैं. इसमें प्रतिबंध के बाद भी वन भूमि से अवैध तरीके से उत्खनन कर पत्थर निकालने वाले धंधेबाजों को भी चिह्नित कर लिया गया है. ट्रैक्टर से पत्थर निकाल कर विभिन्न क्रशरों में खपाने वाले धंधेबाजों को चिह्नित करते हुए विभागीय अधिकारियों को जांच रिपोर्ट सुपुर्द कर दी गयी है. उक्त धंधेबाजों पर कार्रवाई की तैयारी में विभाग जुट गया है. वहीं कुछ क्रशर संचालकों को भी चिह्नित किया गया है, जो बिना किसी कागजात के बाद भी धड़ल्ले से चलाया जा रहा है. अवैध संचालकों की सूची डीएफओ को सौंपी जायेगी.

खनन विभाग की भूमिका पर सवाल

जानकारों के अनुसार अवैध उत्खनन कर क्रशरों में खपाये जाने के मामले की जानकारी जिला खनन विभाग को भी है. खनन विभाग में पदस्थापित एक अधिकारी की संलिप्तता भी सामने आ रही है. उक्त अधिकारी पर माफियाओं के साथ सांठगांठ कर मोटी राशि उगाही कर सुविधा देने का आरोप लगाया जा रहा है और यही कारण है की दोषियों पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें संरक्षण प्रदान किया जा रहा है. इसी तरह बेंगाबाद में संचालित कई फर्जी क्रशर संचालकों के साथ भी उक्त अधिकारी की सांठ गांठ की बात सामने आ रही है. हालांकि डीएफओ के हरकत में आने के बाद सेटिंग कर धंधे को अंजाम देने वाले माफियाओं की नींद उड़ गयी है.

क्या कहते हैं अधिकारी

इधर, डीएफओ मनीष तिवारी ने कहा कि वन भूमि पर अवैध उत्खनन की जानकारी मिलने के बाद स्थल निरीक्षण किये हैं. कर्मियों को मापी का निर्देश दिया गया है. पहली रिपोर्ट मिल चुकी है. फाइनल रिपोर्ट के बाद अग्रेतर कार्रवाई की जायेगी. धंधेबाजों को भी चिह्नित किया जा रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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