उत्पाद सिपाही दौड़ परीक्षा के दौरान गिरिडीह में फिर एक युवक की मौत हो गयी. मृतक विरंची राय राजधनवार का रहने वाला है. बताया जाता है कि शुक्रवार को भी उत्पाद सिपाही दौड़ परीक्षा पुलिस लाइन के पास आयोजित हुई. यहां सुबह छह बजे से दौड़ शुरू हुई. दौड़ने के बाद आठ अभ्यर्थियों की हालत बिगड़ गयी. इनमें से विरंची राय (28) पिता दर्शन राय गादी धनवार की हालत ज्यादा खराब हो गयी. सांस फूलने लगी. गंभीर हालत में उसे एक एंबुलेंस से सदर अस्पताल लाया गया. यहां इमरजेंसी वार्ड में पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गयी, जबकि अन्य सात को इलाज के लिए गिरिडीह सदर अस्पताल में ही भर्ती कराया गया.
आयोजकों की लापरवाही का आरोप
चिकित्सकों ने बताया कि इलाजरत युवकों में से दो की स्थिति गंभीर थी, जिसे आइसीयू में भर्ती कराया गया. बाद में स्थिति सुधरने के बाद सभी को घर भेज दिया गया. इधर, परिजनों ने विरंची की मौत का कारण परीक्षा आयोजकों की लापरवाही बताया है. परिजन चंदन राय ने कहा कि जिस स्थान पर अभ्यर्थियों को दौड़ की परीक्षा ली जा रही थी, वहां चिकित्सा की ठीक व्यवस्था नहीं थी.
अभाविप ने कहा स्वास्थ्य जांच तक नहीं होती
अभाविप के जिला संयोजक उज्ज्वल तिवारी ने भी जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया है. कहा कि इनकी लापरवाही के कारण ही सिपाही दौड़ परीक्षा में अभ्यर्थियों की जान जा रही है. उन्होंने कहा कि उत्पाद सिपाही दौड़ का आयोजन नया पुलिस लाइन के पास किया गया है. यहां सरकार के निर्देश के बावजूद मेडिकल टीम की व्यवस्था तक नहीं है. दौड़ने के पहले अभ्यर्थियों की स्वास्थ्य जांच तक नहीं होती है. साथ ही स्थल पर ऑक्सीजन सिलिंडर की भी व्यवस्था नहीं है. घटना के बाद अभ्यर्थियों में काफी आक्रोश था. लोग सड़क जाम करने की तैयारी कर रहे थे. इस दौरान पुलिस अधिकारियों ने उनकी बातों को वरीय अधिकारियों तक पहुंचाने का आश्वासन देकर मामले को शांत किया.
मंजिल तक पहुंचने से दो सौ मीटर पहले पहुंच गयी मौत
राजधनवार के गादी का रहने वाला 28 वर्षीय विरंची अपनी मंजिल तक कुछ ही देर में पहुंचने वाला था. इस सफलता को हासिल करने के लिए उसने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. यही कारण है कि चार राउंड पूरा करने के पहले ही उसकी स्थिति अचानक बिगड़ने लगी. मंजिल तक पहुंचने से दो सौ मीटर पहले ही मौत ने दस्तक दी और विरंची को अपने चपेट में ले लिया. अभ्यर्थियों ने बताया कि 60 मिनट में चार राउंड की दौड़ यानि दस किलोमीटर तय करना था. उसने तीन राउंड कंप्लीट करने के बाद चौथे राउंड की ओर अपने कदम को बढ़ा दिया. लेकिन चौथा राउंड पूरा करने के दो सौ मीटर पहले ही उसकी कदम लड़खड़ाने लगी. जबकि अभी भी छह मिनट का वक्त बाकी था. वह लड़खड़ाकर गिर पड़ा और सांसे फूलने लगी. गंभीर स्थिति को देख आयोजकों के साथ-साथ अभ्यर्थियों ने दौड़कर उसे उठाया और अस्पताल पहुंचाया जहां उसने अपना दम तोड़ दिया.आर्थिक रूप से कमजोर है परिवार, माता-पिता रहते हैं अस्वस्थ
राजधनवार थाना क्षेत्र के गादी के रहने वाले दर्शन राय का परिवार घोर आर्थिक तंगी में गुजर बसर कर रहा था. इनके तीन बेटे और दो बहन हैं. एक बेटा विकलांग है, जबकि दूसरा बेटा कोलकाता में मजदूरी करता है. परिवार का दारोमदार विरंची पर ही था. यही कारण है कि मजदूरी कर वह अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा था. पूरे परिवार की जिम्मेदारी इसीपर थी. 28 वर्षीय विरंची हाल के दिनों में फ्लिपकार्ट में होम डिलेवरी का काम रांची में कर रहा था.जवान के रूप में भर्ती होने के लिए 2012 से था प्रयासरत
यह अलग बात है कि घर चलाने की मजबूरी ने विरंची को मजदूरी करने के लिए विवश कर दिया था, लेकिन शुरू से ही इसने जवान के रूप में सेवा देने का सपना देखा था. इसिलिए काफी कठिनाईयों के बीच उसने स्नातक की पढ़ाई भी पूरी कर ली. गांव के नीरज सिंह और परिजन चंदन राय कहते हैं कि इसने फौज में जाने का भी सपना देखा था. यही कारण है कि वह 2012 से ही दौड़ने का प्रैक्टिस कर रहा था. वह बिल्कुल स्वस्थ था. चाहता था कि किसी भी तरह से वह उत्पाद सिपाही की नौकरी में बहाल हो जाये. यही कारण है कि इस पद को पाने की लालसा में उसने अपनी जान तक लगा दी. दौड़ में चौथा राउंड कंप्लीट करने के लिए छह मिनट का वक्त रहते हुए उसने अपनी ताकत झोंक दी थी. जबकि मात्र दो सौ मीटर दूरी ही तय करना बाकी था.चिकित्सकीय व्यवस्था होती तो नहीं जाती विरंची की जान
परिजनों, अभ्यर्थियों और विभिन्न संगठनों ने विरंची की मौत के बाद आक्रोश व्यक्त किया है. अभ्यर्थियों का कहना है कि झारखंड सरकार ने दूसरी बार जब दौड़ प्रतियोगिता शुरू करायी तो प्रतियोगिता स्थल पर कई सुविधाएं मुहैया कराने का निर्देश भी दिया था. निर्देश के बाद भी स्थल पर मेडिकल जांच की बेहतर व्यवस्था नहीं थी. चिकित्सा के लिए कोई डॉक्टर तैनात नहीं थे. एंबुलेंस रखने के सख्त निर्देश के बाद भी मात्र एक जर्जर एंबुलेंस प्रतियोगिता स्थल पर था. लेकिन इसमें भी सुविधाएं नहीं थी. एंबुलेंस में न ही ऑक्सीजन सिलिंडर था और न ही प्राथमिक उपचार की कोई व्यवस्था. इस एंबुलेंस में नर्स और कंपाउंडर तक नहीं थे. एंबुलेंस के साथ मात्र एक गार्ड की तैनाती कर दी गयी थी. इतना ही नहीं, जब गंभीर हालत में विरंची को गिरिडीह सदर अस्पताल लाया गया तो वहां भी अव्यवस्था का माहौल था. स्वास्थ्य विभाग के लोग भी लापरवाह नजर आ रहे थे. मात्र दो स्ट्रेचर उस वक्त था, जबकि उस वक्त अस्पताल में लगभग आठ-दस अभ्यर्थी गंभीर हालत में पहुंचे थे. सीपीआईएमएल के राजेश सिन्हा ने सिस्टम पर सवाल उठाया है. कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कड़े निर्देश के बाद भी उत्पाद सिपाही भर्ती कमेटी के लोगों की लापरवाही सामने आयी है. आयोजन स्थल पर चिकित्सा की बेहतर व्यवस्था होती तो विरंची की मौत नहीं होती. वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिला संयोजक उज्जवल तिवारी ने कहा कि दौड़ने से सांस फूलती है और इस दौरान ऑक्सीजन की कमी महसूस की जाती है. ऑक्सीजन सिलिंडर की व्यवस्था का सख्त निर्देश रहने के बाद भी व्यवस्था नहीं की गयी. यदि परीक्षा स्थल पर ऑक्सीजन सिलिंडर और चिकित्सा की बेहतर व्यवस्था होती तो विरंची की जान नहीं जाती. भाजपा नेता विनय सिंह ने कहा कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और जो लापरवाह अधिकारी इस मामले में दोषी हैं, उनके विरूद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है