स्थानीय एजेंडे नदारद, डुमरी के सवाल व समस्याओं से दूर उपचुनाव
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भ्रष्टाचार और विधि-व्यवस्था को चुनावी मुद्दा बनाया है. वह जमीन लूट से लेकर इडी की कार्रवाई को अपने भाषणों में शामिल कर रहे हैं
डुमरी उपचुनाव का रंग और मिजाज दोनों ही बदला-बदला है. पक्ष-विपक्ष की तल्खियों के बीच आगे होनेवाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव की पटकथा लिखी जा रही है. उपचुनाव में एजेंडे और मुद्दे डुमरी तक सीमित नहीं हैं. स्थानीय एजेंडा हावी नहीं है. डुमारी के विकास का लेखा-जोखा तक यह उपचुनाव नहीं सिमटा है. विपक्ष की ओर से भाजपा और आजसू के निशाने पर सीधे हेमंत सोरेन और उनकी सरकार है.
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भ्रष्टाचार और विधि-व्यवस्था को चुनावी मुद्दा बनाया है. वह जमीन लूट से लेकर इडी की कार्रवाई को अपने भाषणों में शामिल कर रहे हैं. भाजपा के दूसरे नेता भी चुनावी मैदान ऐसे ही हमले सरकार पर कर रहे हैं. डुमरी में स्व जगरनाथ महतो के कामकाज पर विपक्ष नहीं जा रहा है. चुनाव में स्व महतो की सहानुभूति लहर को दूसरे तरीके से काटने में जुटा है.
स्व महतो या उनके परिवार पर किसी तरह का चुनावी टीका-टिप्पणी नहीं हो रही है. यह जरूर है कि डुमरी के विकास का मुद्दा भी हेमंत सोरेन से जोड़ा जा रहा है. राज्य सरकार ने डुमरी की उपेक्षा की है, यह मतदाताओं को बताने का प्रयास हो रहा है. उधर आजसू अध्यक्ष सुदेश महतो अपनी चुनावी सभा में झामुमो के 2019 के वादों की याद दिलाते हैं. वह पांच लाख लोगों को नौकरी, बेरोजगारी भत्ता जैसे मुद्दों पर घेर रहे हैं.
झामुमो ने जो वादा किया था, उसका हिसाब-किताब मांग रहे हैं. आजसू की चुनावी सभाओं में यशोदा देवी के लिए भी सहानुभूति बटोरने का प्रयास हो रहा है. विधवा यशोदा देवी के बेटे को चुनावी मैदान में उतार कर वोटरों के साथ जोड़ने का प्रयास हो रहा है. उधर, सत्ता पक्ष की ओर से बेबी देवी के लिए झामुमो लगातार स्व जगरनाथ महतो के आंदोलनकारी भूमिका और उनके काम के बूते गोलबंदी का प्रयास कर रहा है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके नेताओं के निशाने पर बाबूलाल मरांडी हैं. झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने हाल के दिनों में श्री मरांडी के खिलाफ कई आरोप लगाये हैं.