जल जीवन मिशन में वित्तीय गड़बड़ी करने के आरोप में पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल एक के कार्यपालक अभियंता कुमार नीरज को हटा दिया गया है. इस मामले में झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने आदेश जारी कर दिया. बता दें कि जल जीवन मिशन की योजनाओं में व्यापक पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी करने के आरोप पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल एक के कई योजनाओं में लगा है. विभिन्न स्तरों पर विभाग को शिकायत भी की गयी थी. शिकायत मिलने के उपरांत विभागीय उड़नदस्ता टीम ने योजनाओं की जांच-पड़ताल करने के उपरांत जांच प्रतिवेदन विभाग को सौंपा था. उड़नदस्ता टीम ने वित्तीय अनियमितता से संबंधित कई साक्ष्य भी जांच रिपोर्ट के साथ विभाग को उपलब्ध कराया है. इसी मामले को लेकर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अवर सचिव नवनीत कुमार ने कुमार नीरज को पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल एक के कार्यपालक अभियंता के पद से हटाते हुए उन्हें मुख्यालय में तत्काल प्रभाव से योगदान देने के लिए आदेश जारी कर दिया है.
मुकेश कुमार मंडल को मिला है वन का प्रभार
पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल टू के कार्यपालक अभियंता मुकेश कुमार मंडल को प्रमंडल वन का भी अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया है. अवर सचिव ने अपने आदेश में कहा है कि श्री मंडल अगले आदेश तक पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल वन के दैनिक कार्यों के निष्पादन हेतु प्राधिकृत किये गये हैं. श्री मंडल को निर्देश दिया गया है कि वे गिरिडीह प्रमंडल वन का स्वत: प्रभार ग्रहण कर प्रभार प्रतिवेदन मुख्यालय को समर्पित करें.
शौचालय में गड़बड़ी करने के आरोप में भी निलंबित हो चुके हैं कुमार नीरज
बता दें कि पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल वन के कार्यपालक अभियंता कुमार नीरज पूर्व में भी शौचालय निर्माण की योजना में गड़बड़ी करने के मामले में निलंबित हो चुके हैं. इनकी पहुंच का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि निलंबन से मुक्त होने के बाद उन्होंने पुन: गिरिडीह प्रमंडल एक में ही अपना पदस्थापन करवाया और जल जीवन मिशन की योजनाओं में गड़बड़ी की पुन: शुरूआत हुई. बता दें कि वर्ष 2016 में तत्कालीन उपायुक्त उमाशंकर सिंह ने शौचालय निर्माण में वित्तीय अनियमितता अपनाने के मामले में आरोप पत्र गठित कर सरकार को भेजा था. आरोप पत्र में बताया गया कि कुमार नीरज कर्तव्य के निर्वहन में लापरवाही बरतते हुए स्वच्छ भारत मिशन योजना के अंतर्गत निर्मित होने वाले शौचालयों के निर्माण में वित्तीय अनियमितता बरतने तथा सरकारी राशि का अनियमित रूप से प्रोत्साहन राशि के रूप में भुगतान कर सरकारी राशि गबन करने का प्रयास किया है. उपायुक्त द्वारा भेजे गये आरोप पत्र पर श्री नीरज से स्पष्टीकरण भी किया गया था. लेकिन समीक्षा उपरांत विभाग द्वारा पाया गया कि प्रतिवेदित आरोप प्रथम दृष्टया प्रमाणित है. पूरे मामले में विभाग द्वारा विचार करने के उपरांत श्री नीरज को निलंबित कर दिया गया और विभागीय कार्रवाई संचालन शुरू किया गया. हालांकि कुछ माह बाद ही श्री नीरज को निलंबन मुक्त कर दिया गया और वे फिर पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल एक में ही पदस्थापित कर दिये गये. सूत्रों का कहना है कि श्री नीरज के विरूद्ध वित्तीय गड़बड़ी करने के मामले में प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी थी. लेकिन पुन: उसी स्थल पर पदस्थापित होने के कारण कई साक्ष्यों को मिटाने में उन्हें मदद मिली. जबकि कई कर्मियों ने आरोप लगाया कि श्री नीरज पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर उनलोगों के विरुद्ध कार्रवाई कर रहे हैं और विभाग के अधिकारी सबकुछ जानते हुए चुप्पी साधे रहे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है