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आपातकाल देश के इतिहास का एक काला अध्याय : बिरंची

‘आपातकाल और लोकतंत्र की हत्या’ पर भाजपा का सेमिनार

गिरिडीह.

कांग्रेस ने पीएम की कुर्सी बचाने के लिए देश में आपातकाल लगाया था. संविधान की मूल धारणा एवं लोकतंत्र की हत्या का वह दिन देश के इतिहास का एक काला अध्याय है. ये विचार आपातकाल ने जनमानस को झकझोर कर रख दिया था. ये विचार हैं बोकारो विधायक बिरंची नारायण के. वह बतौर मुख्य अतिथि ‘आपातकाल और लोकतंत्र की हत्या’ पर केंद्रित भाजपा के जिला कार्यालय में मंगलवार को आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे.

आंदोलनकारियों को जेल में मानसिक प्रताड़ना दी गयी :

सेमिनार की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष महादेव दुबे ने की. मौके पर बोकारो विधायक बिरंची नारायण ने आगे कहा कि आपातकाल के दौरान अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक लगा दी गयी थी. आंदोलनकारियों को काल कोठरी में डालकर मानसिक प्रताड़ना दी गयी. उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकारों ने कई बार संविधान को बदलने का काम किया. कांग्रेस ने राज्य की कई सरकारों को अपदस्थ किया.

आपातकाल को याद कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं :

भाजपा के पूर्व विधायक निर्भय कुमार शाहाबादी ने कहा कि आपातकाल को याद कर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं. हमलोगों ने आपातकाल की स्थिति देखा व भुगती है. कहा कि उस वक्त कानून व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गयी थी. श्री शाहाबादी ने कहा कि कांग्रेस को बताना चाहिए कि उसने कितनी बार संविधान की हत्या की है. कहा कि जिन्होंने संविधान की हत्या की उन्हें सबक सिखाने और मुंहतोड़ जवाब देने की जरूरत है.

राहुल गांधी को देश से माफी मांगनी चाहिए :

भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सुरेश साव ने कहा कि इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाकर भयावह स्थिति पैदा कर दी थी. आज राहुल गांधी कहते फिर रहे हैं कि नरेंद्र मोदी व भाजपा संविधान को बदल देंगे. पहले राहुल गांधी को देश से माफी मांगनी चाहिए कि उनकी दादी ने सबसे पहले लोकतंत्र का गला घोंटा था. सबसे बड़ी विडंबना है कि आपातकाल से लड़नेवाले, प्रताड़ित किये गये लोग आज कांग्रेस की गोद में जाकर बैठ गये हैं.

ये थे मौजूद :

सेमिनार में इनके अलावे भाजपा प्रदेश मंत्री दिलीप वर्मा, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य चुन्नूकांत, प्रकाश सेठ, नुनूलाल मरांडी, संदीप डंगेच, संजय सिंह, महिला मोर्चा प्रदेश मंत्री प्रो विनीता कुमारी, जिप अध्यक्ष मुनिया देवी, नवीन सिन्हा, शालिनी बैसखियार, सुनील पासवान, कामेश्वर पासवान, सुरेश मंडल, अमर सिन्हा आदि मौजूद थे.

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