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40 अनौपचारिक पर्यवेक्षकों का भविष्य अंधकारमय

गिरिडीह : वर्ष 1984 से लेकर वर्ष 1988 तक निदेशक, व्यस्क शिक्षा बिहार पटना के आदेश पर जिला स्तरीय कमेटी द्वारा गिरिडीह जिले में 64 अनौपचारिक शिक्षा पर्यवेक्षकों की बहाली हुई थी. बाद के दिनों में 24 पर्यवेक्षक की आयु सीमा समाप्त हो गयी और अब जिले में 40 पर्यवेक्षक बचे हैं जिनका भविष्य सेवा […]

By Prabhat Khabar News Desk | April 22, 2020 2:32 AM

गिरिडीह : वर्ष 1984 से लेकर वर्ष 1988 तक निदेशक, व्यस्क शिक्षा बिहार पटना के आदेश पर जिला स्तरीय कमेटी द्वारा गिरिडीह जिले में 64 अनौपचारिक शिक्षा पर्यवेक्षकों की बहाली हुई थी. बाद के दिनों में 24 पर्यवेक्षक की आयु सीमा समाप्त हो गयी और अब जिले में 40 पर्यवेक्षक बचे हैं जिनका भविष्य सेवा समायोजन नहीं हो पाने के कारण अंधकारमय हो गया है. हालांकि पूरे राज्य में पर्यवेक्षकों की कुल संख्या 676 थी और वर्तमान में करीब तीन सौ ही सरकारी सेवा में जाने के लायक हैं. ऐसे पर्यवेक्षक लगातार अपने संगठन के माध्यम से सरकार के पास आवाज पहुंचा रहे हैं. लेकिन अभी तक सरकारी स्तर से इनका सेवा समायोजन नहीं हो सका है और ऐसे पर्यवेक्षक तथा उनके परिजन आर्थिक परेशानी झेल रहे हैं. विदित हो कि अलग झारखंड राज्य गठन के बाद बिहार के तत्कालीन मुख्य सचिव ने झारखंड के मुख्य सचिव के पास झारखंड के विभिन्न जिलों में सेवा दे चुके 676 पर्यवेक्षकों की सूची भेज दी थी.

लेकिन बाद के दिनों में ऐसे पर्यवेक्षकों का सेवा समायोजन नहीं हो सका. बिहार सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह ने उच्च न्यायालय में दायर याचिका के आधार पर बिहार के अंतर्गत पड़ने वाले अनौपचारिक शिक्षा पर्यवेक्षकों को वर्ष 2010 में ही विभिन्न विभाग के तृतीय श्रेणी के पद पर समायोजित कर लिया था. बिहार सरकार द्वारा लिये गये इस फैसले के बाद झारखंड के विभिन्न जिलों में कार्य कर चुके पर्यवेक्षकों ने भी अपनी सेवा समायोजन करने की मांग झारखंड सरकार के समक्ष रखी थी. लेकिन इनकी सेवा अब तक समायोजित नहीं हो सकी है.

2017 में हेमंत सोरेन ने दिया था सकारात्मक पहल का आश्वासन :वर्ष 2014 में खंडोली इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के उद‍्घाटन समारोह में पहुंचे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बिहार की तर्ज पर झारखंड के विभिन्न जिलों में कार्य कर चुके अनौपचारिक शिक्षा पर्यवेक्षकों को विभिन्न विभाग में तृतीय श्रेणी के रिक्त पड़े पद पर समायोजित करने का आदेश पर्यवेक्षक संघ के शिष्टमंडल को दिया था. लेकिन बाद में सरकार बदल गयी और पर्यवेक्षकों का सेवा समायोजन का मामला विभाग की संचिका में लटक गया. अब पुन: हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री बने हैं.

अनौपचारिक शिक्षा पर्यवेक्षक संघ ने उनसे फरियाद की है कि पूर्व में दिये गये आश्वासन को देखते हुए 06.01.1995 को छंटनीग्रस्त हुए जिले के 40 अनौपचारिक शिक्षा पर्यवेक्षकों को विभिन्न विभाग के तृतीय श्रेणी के रिक्त पड़े पद पर समायोजित करने की कार्यवाही सरकार करे. लॉकडाउन समाप्ति के बाद मुख्यमंत्री से मिलेगा पर्यवेक्षक संघ :इस संबंध में पर्यवेक्षक संघ के राज्याध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह व महासचिव अरविंद कुमार भक्त ने कहा कि लॉकडाउन समाप्ति के बाद संघ का एक प्रतिनिधिमंडल रांची जाकर मुख्यमंत्री से मिलेगा और बिहार की तर्ज पर छंटनीग्रस्त अनौपचारिक शिक्षा पर्यवेक्षकों को विभिन्न विभाग में समायोजित करने की मांग करेगा. उन्होंने कहा कि सेवा समायोजन नहीं होने से 24 पर्यवेक्षक की आयु सीमा खत्म हो गयी जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

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