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Giridih News :गीता सनातन व पुरातन धर्म का द्वार है : मां ज्ञान

Giridih News :श्री कबीर ज्ञान मंदिर गिरिडीह में श्रीमद् भागवत गीता की 5161वीं जयंती का दो दिवसीय भव्य आयोजन बुधवार को शुरू हुआ. शुरुआत सद्गुरु मां ज्ञान ने श्रीमद् भागवत गीता के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर की.

आयोजन. श्री कबीर ज्ञान मंदिर में श्रीमद् भागवत गीता जयंती शुरू

श्री कबीर ज्ञान मंदिर गिरिडीह में श्रीमद् भागवत गीता की 5161वीं जयंती का दो दिवसीय भव्य आयोजन बुधवार को शुरू हुआ. शुरुआत सद्गुरु मां ज्ञान ने श्रीमद् भागवत गीता के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर की. इसके बाद सद्गुरु मां ज्ञान के सान्निध्य में 1001 व्रतियों द्वारा श्रीमद् भागवत गीता के 18 अध्यायों का स्वर अखंड पाठ किया गया. सतगुरु मां ज्ञान ने अपने उपदेश में कहा कि गीता ग्रंथ सनातन धर्म और पुरातन धर्म का द्वार है. गीता साकार और निराकार का संगम है और गुप्त रूप से उसमें ज्ञान की प्रचंड धारा सरस्वती भी बह रही है. कबीर, नानक, बुद्ध, जैनों के चौबीसों तीर्थंकर की वाणियों में जो है, वह गीता में पहले से है. गीता को यदि विश्व साहित्य के रूप में अपना लिया जाये तो पंथवाद और संप्रदायवाद से ऊपर उठा जा सकता है. गीता में जो वाणी नहीं है और कहीं भी है तो वो मंगलकारी नहीं हो सकता है और वो स्वीकृत नहीं है. यदि व्यक्ति अपने जीवन में गीता के ज्ञान को अपनाता है. वह नर से नारायण, नारायण से पुरुषोत्तम, संसारी से सन्यासी, दुखी से आनंदित हो जायेगा. कहा कि जितना भी कल्याणकारी पहलू है वह सब गीता में है. हमारा परम कर्तव्य है कि विराट भाव से सभी जगह में गीता का प्रचार करें तब इसका तरंग सब जगह अपने आप फैल जायेगा. मानव संकुचितता के भाव से निकलकर विराट हृदय वाला बन सकता है. मानव मात्र से प्रेम और सबों के हित की भावना रख सकता है.

गीता में है जीवन जीने की कला

भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को निमित्त बनाकर जन मानस को जीवन जीने की कला सिखाने के लिए गीता का ज्ञान धरती पर फैलाया. कहा कि श्री कृष्ण को मानना आसान है, लेकिन श्री कृष्ण की मानना आसान नहीं है. श्रीकृष्ण कभी लीलाधर माखनचोर हैं, कभी बंशीधर है, कभी योगीराज हैं तो कभी भक्तवत्सल हैं. लेकिन, श्री कृष्ण की मानने के लिए हमें गीता में डुबकी लगाना होगा. महर्षि वेदव्यास ने कहा कि गीता समस्त श्रुतियों की रानी है. गीता समस्त वेदों, पुराणों, श्रुतियों का सार है. कहा कि आज का मानव जीवन अशांति और अज्ञान का पर्याय बन गया है. ऐसे में गीता वह संजीवनी बूटी है जो मानव को दहकते दुखों से निकालकर शांति व सुख की ममता की गोद में समेट लेने की क्षमता रखता है. इस दिव्य अवसर पर गीता ग्रंथ के अखंड पाठ में डुबकी लगाकर व्यक्ति ग्रहदोष, पितृदोष, दारिद्रयोग, विपन्नयोग, शनि की साढ़ेसाती, ग्रहणदोष समेत अन्य ताप-दुखों से मुक्त होकर परम सौभाग्य को प्राप्त कर सकता है.

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