Giridih Hartal: गिरिडीह में सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल से कामकाज रहा प्रभावित, लोगों की हुई परेशानी
झारखंड राज्य जलसहिया कर्मचारी संघ जिला शाखा गिरिडीह के आह्वान पर बुधवार को जिले भर की जलसहियाओं ने रैली निकालकर प्रदर्शन किया. इसके बाद यहां से रैली निकालकर गांधी चौक स्थित गांधी प्रतिमा के पास पहुंची. इस दौरान जलसहियाओं ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की.
Giridih Hartal: गिरिडीह में सरकारी कर्मचारियों के कई संघों के हड़ताल पर चले जाने और धरना देने के कारण कई विभागों के कामकाज पर असर पड़ा है. झारखंड राज्य मुफस्सिल लिपिक मोर्चा, झारखंड राज्य पंचायत सचिव संघ, झारखंड राज्य अवर वन सेवा संघ व झारखंड लोकल बॉडीज इंप्लाइज फेडरेशन आंदोलनरत हैं. इन संघों ने हड़ताल के कारण विभागीय अन्य कर्मचारियों-अधिकारियों व आम लोगों को परेशानी हो रही है. आंदोलनरत कर्मचारी अन्य लोगों को कार्यालय में घुसने नहीं दे रहे हैं. वहीं, कई संघ धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं.
कई कर्मचारी संघ कर रहे हड़ताल
झारखंड राज्य अवर वन सेवा संघ ने अपनी मांगों के समर्थन में वन विभाग परिसर में धरना दे रहे हैं. इस धरने में जिले भर के वनरक्षी बैठे हुए हैं. इधर, जलसहिया ने अपनी मांगों के समर्थन में प्रदर्शन कर रही है. उन्होंने आंदोलन और तेज करने की चेतावनी दी है. इससे भी सरकारी कामकाज पर प्रभाव पड़ा है. जिले के दूर-दराज के इलाके से कई लोग विभिन्न सरकारी काम कराने के लिए कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन उन्हें जवाब मिल रहा है कि अभी हड़ताल चल रही है और काम करना संभव नहीं है. ऐसे में दूर-दराज के गांवों से आये लोगों को बिना काम कराये ही वापस जाना पड़ रहा है. लोगों की परेशानी बढ़ गयी है.
झारखंड राज्य मुफस्सिल लिपिक मोर्चा की हड़ताल 17वें दिन जारी
झारखंड राज्य मुफ्फसिल लिपिक मोर्चा की हड़ताल बुधवार को 17वें दिन भी जारी रही. इस हड़ताल में एनओसीजीई के संगठन मंत्री अशोक कुमार सिंह, झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के महामंत्री अशोक कुमार सिंह नयन शामिल हुए. संगठन मंत्री श्री सिंह ने कहा कि सरकार लिपिक मोर्चा के दो सूत्री मांगों को जल्द पूरा करे तथा लिपिक संवर्गों के वेतनमान में भेदभाव को समाप्त करे. समान पदधारकों हेतु समान प्रोन्नति का अवसर प्रदान किया जाये. कर्मचारी को भूलकर यदि सरकार चुनाव मैदान में रहेगी, तो इसका खामियाजा चुकाना पड़ेगा. सरकार कर्मचारियों के हितैषी होते हैं. सरकार ही अपने कर्मचारियों के अधीन उत्पन्न भेदभाव समाप्त नहीं करेगी, तो फिर कर्मचारी किनसे उम्मीद रखेंगे. महामंत्री श्री नयन ने कहा कि सचिवालय व समाहरणालय के लिपिकों के भांति प्रोन्नति व अन्य सेवा शर्त मुफस्सिल लिपिकों पर भी लागू हो. लिपिक मोर्चा के दो सूत्री मांगों पर दुमका के सांसद नलिन सोरेन का भी समर्थन प्राप्त हुआ है. इस कार्यक्रम में जिला सचिव अवधेश कुमार यादव, प्रदेश कोषाध्यक्ष अनुज कुमार सिंह, सुमन मिश्र, सचिन चौड़े, विशाल कुमार, तनवीर हसन, राजेंद्र कुमार, शैलेश कुमार, अनिल कुमार, महेश कुमार, मो कलाम आदि मौजूद थे.
दूसरे दिन भी जारी रहा पंचायत सचिव संघ का अनिश्चितकालीन हड़ताल
दो सूत्री मांगों की को लेकर झारखंड राज्य पंचायत सचिव संघ के आह्वान पर पंचायत सचिवों की अनिश्चितकालीन हड़ताल बुधवार को दूसरे दिन भी जारी रही. सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय संगठन सचिव ने कहा कि पंचायत सचिव संवर्ग सरकारी योजनाओं का 90 प्रतिशत निष्पादन अकेले करता है. मुखिया से लेकर उपायुक्त तक से कोपभाजन भी बनना पड़ता है. योजनाओं के कमी-बेसी होने पर जनता का कोप झेलना पड़ता है. कर्तव्य अवधि निश्चित नहीं है. किसी प्रकार का साधन नहीं है. इसके बावजूद तीन से चार पंचायतों का प्रभारी बनकर विकास कार्यों में व्यस्तता बनी रहती है. उन्होंने 2400 रुपये ग्रेड पे, तथा पंचायत सचिव से ऊपर के पदों पर प्रोन्नति की मांग की है तो कौन सा पहाड़ टूट जायेगा. सभा को प्रदेश महामंत्री रघुनंदन प्रसाद विश्वकर्मा, अशोक कुमार सिंह, रूपलाल महतो, अशोक गोप आदि ने भी संबोधित किया.
13वें दिन भी धरना पर डटे रहे वनरक्षी
वनरक्षी नियुक्ति नियमावली में सरकार के एक अहितकारी संशोधन के कारण राज्य भर के वनरक्षी धरना प्रदर्शन पर लगातार 13वें दिन भी बैठे हुए हैं. राज्य उपाध्यक्ष सिकंदर पासवान ने बताया कि राज्य के वनरक्षियों के धरना-प्रदर्शन के कारण कारण पौधरोपण, कोड़ाई-निकाई का काम रुका हुआ है. पौधों में कीड़े का प्रकोप बढ़ गया है. इससे पौधों का विकास रुक गया है.समय पर देख-रेख नहीं हुआ, तो पर्यावरण को काफी नुकसान होने की आशंका है. सरकारी राजस्व की क्षति होगी. संघ समस्या का समाधान चाहता है. विभागाध्यक्ष वनरक्षियों की समस्या से अवगत हैं, लेकिन समाधान का रास्ता नहीं निकाल रहे हैं. ऐसा लग रहा है विभाग को इस क्षति से कोई लेना देना नहीं है. अधिकारियों को भी मालूम है कि किसी भी कर्मचारी के लिए उनके नियुक्ति के समय सेवा शर्त को सिर्फ और सिर्फ हित में ही संशोधन किया जा सकता है. विभाग के पीसीसीएफ और सचिव को वनरक्षी संघ ने बार-बार वार्ता एवं पत्राचार करके अहितकारी संशोधन के प्रस्ताव को रोकने/रद्द करने की मांग की, लेकिन अधिकारियों ने वनरक्षी के खिलाफ साजिश के तहत शत प्रतिशत प्रोन्नति का पद वनपाल को 50 प्रतिशत काट दिया गया. वनरक्षियों ने अपनी समस्या से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, मंत्री हफीजुल अंसारी, इरफान अंसारी व सत्यानंद भोक्ता, विधायक कल्पना सोरेन समेत अन्य से मिलकर ज्ञापन सौंपा है, लेकिन कोई पहल नहीं हो रहा है. मौके पर जोनल मंत्री योगेंद्र प्रसाद, जिलाध्यक्ष संदीप मिश्रा, जिला महामंत्री संजय महतो, कोषाध्यक्ष अमर कुमार विश्वकर्मा, प्रेस सचिव आलोक मोहन पांडेय, धनेश्वर कुमार आदि मौजूद थे.
जलसहिया कर्मचारी संघ ने रैली निकालकर किया प्रदर्शन
झारखंड राज्य जलसहिया कर्मचारी संघ जिला शाखा गिरिडीह के आह्वान पर बुधवार को जिले भर की जलसहियाओं ने रैली निकालकर प्रदर्शन किया. इसके पूर्व सभी जलसहिया झंडा मैदान में एकत्रित हुईं. इसके बाद यहां से रैली निकालकर गांधी चौक स्थित गांधी प्रतिमा के पास पहुंची. इस दौरान जलसहियाओं ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. जिलाध्यक्ष दिव्या देवी ने कहा कि रघुवर सरकार ने जलसहियाओं की कर्मठता को देखते हुए एक हजार रुपये मासिक मानदेय देना शुरू किया था. इसी बीच वर्तमान मुख्यमंत्री हमंत सोरेन ने चुनाव के दौरान न्यूनतम मजदूरी लागू करने का वादा किया था.
सरकार पर लगाए राशि आधा करने के आरोप
सरकार बनने के साथ ही मासिक मानदेय अवरूद्ध कर पूर्व में मिल रहे प्रोत्साहन राशि को आधा कर दिया. विरोध बढ़ने पर कुछ जिले में मार्च 2022 तक भुगतान दिया गया. बाद में अप्रैल 2022 के बाद मानदेय समाप्त कर दिया और कहा गया कि राशि की कमी है. इस प्रकार वादाखिलाफी व धोखेबाजी के विरुद्ध महिलाएं पंचायत से लेकर राज्यस्तर पर आंदोलित हैं. यदि सरकार ने पूर्व से मिल रहे मानदेय को वापस करते हुए न्यूनतम मजदूरी के आधार पर भुगतान नहीं किया तो राज्य की 30 हजार जलसहिया अपने साथ किये गये धोखा का ठोस जवाब देंगी. रैली को मुख्य संरक्षक अशोक कुमार सिंह, सितारा परवीन, सविता देवी, वंदनी देवी, सूरजमुनी किस्कू, नीतू देवी, पूनम देवी, सीता देवी, सुनीता देवी, बसंती मरांडी आदि ने भी संबोधित किया.