15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Giridih News: सब त्यागकर अकेले आत्म तत्वों का रह जाना अकिंचन धर्म है : प्रिंस जैन

Giridih News: भगवान महावीर के अनुसार अपरिग्रह किसी वस्तु के त्याग का नाम नहीं बल्कि वस्तु में निहित आसक्ति का त्याग अपरिग्रह है. असमानता का उन्मूलन करना,अमीर और गरीब के बीच की गहरी खाई को कम करना, वस्तुओं के अनावश्यक संग्रह को रोकने आदि पर उन्होंने बल दिया.

अकिंचन आत्म पवित्रता का धर्म है इसे धारण कर व्यक्ति पवित्र मंजिल को प्राप्त कर सकता है. उक्त बातें दशलक्षण महापर्व के नौवें दिन सोमवार को दिगंबर जैन मंदिर सरिया में उत्तम अकिंचन धर्म पर अपने प्रवचन में उत्तर प्रदेश के ललितपुर से आए महाराज प्रिंस जैन ने कही. कहा कि व्यक्ति को ममत्व का त्याग कर देना चाहिए. दुनिया में घर-द्वार, धन-दौलत, बंधु-बांधव अपना कुछ नहीं है. यहां तक कि स्वयं का शरीर भी अपना नहीं है. इस प्रकार की अनाशक्ति भाव उत्पन्न होना ही अकिंचन धर्म है. “ना कोई मेरा,ना मैं किसी का” धर्म अकिंचन इसी का नाम है. उन्होंने कहा कि अकिंचन और परिग्रह परस्पर पूरक हैं. परिग्रह व्रत है, अकिंचन आत्मा का धर्म है. अकिंचन का तात्पर्य परिग्रह शून्यता मात्र नहीं है. अपितु परिग्रह शून्यता के मनोभावों की सहज स्वीकृति भी है. सब कुछ त्यागने के बाद अकेले आत्म तत्वों का रह जाना ही उत्तम अकिंचन धर्म है. भगवान महावीर के अनुसार अपरिग्रह किसी वस्तु के त्याग का नाम नहीं बल्कि वस्तु में निहित आसक्ति का त्याग अपरिग्रह है. असमानता का उन्मूलन करना,अमीर और गरीब के बीच की गहरी खाई को कम करना, वस्तुओं के अनावश्यक संग्रह को रोकने आदि पर उन्होंने बल दिया. बताते चलें कि बीते 8 सितंबर से दिगंबर जैन मंदिर सरिया में 10 लक्षण महापर्व चल रहा है. इसका समापन मंगलवार 17 सितंबर को होगा. इस पर्व में प्रतिदिन जैन समाज के महिला पुरुष तथा बच्चे भाग ले रहे हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें