इस रमणीक स्थल की पहचान गिरिडीह जिला ही नहीं बल्कि झारखंड के कई जिलों में एक बेहतर व सुंदर पर्यटन स्थल के साथ-साथ धार्मिक स्थल के रूप में दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. उत्तर वाहिनी बराकर नदी के किनारे प्रकृति की गोद में अनुपम छटा बिखेरते पत्थरों के बीच बराकर नदी का बहता जल अठखेलियां खेलते भक्तों व पर्यटकों का मन मोह लेता है. इस कारण श्रद्धालु तथा पर्यटकों का यहां आना-जाना सालों भर लगा रहता है.
सुसज्जित नेचर पार्क खूबसूरती में लगा रहा चार चांद
इसकी मनमोहक दृश्य तथा खूबसूरती में चार चांद लगाने में वन विभाग भी पीछे नहीं है. वर्ष 2024 में वन विभाग के द्वारा आम लोगों के लिए एक बेहतर सुसज्जित नेचर पार्क लोगों के लिए मुहैया करवा दिया गया है. यहां हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए मनोरंजन के संसाधन उपलब्ध हैं. उक्त पार्क सालों भर पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है.नववर्ष व अन्य विशेष मौकों पर जुटतें हैं लोग
चाहे वह नव वर्ष के मौके पर वनभोज का आनंद लेना हो, होली के मौके पर होली मिलन समारोह, सावन के पूर्णिमा में विशाल मेला, निर्जला एकादशी के उपलक्ष्य में आकर्षक व भव्य मेला, शादी समारोह सहित धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं. विभिन्न राजनीतिक दल के नेताओं के द्वारा कार्यकर्ता मिलन समारोह जैसे भव्य कार्यक्रम भी होते हैं. हिंदी माह के प्रत्येक पूर्णिमा तिथि को मेले सा दृश्य रहता है. गिरिडीह, हजारीबाग, रामगढ़, देवघर, रांची, बोकारो, कोडरमा समेत बंगाल के कई हिस्सों से सैलानियों का सालों भर आना लगा रहता है. राजदह के विकास के लिए विधायक-सांसद व कई प्रतिनिधियों के द्वारा समय-समय पर कई कार्य कराए गए हैं. हाई मास्ट लाइट, स्ट्रीट लाइट आदि कॉल लगाने में जनप्रतिनिधियों की भूमिका हमेशा रही है.
यहां स्थित कई मंदिर हैं लोगों की आस्था के केंद्र
इस पवित्र स्थल पर भगवान भोलेनाथ का मंदिर, माता पार्वती, सूर्य मंदिर भगवान जगन्नाथ स्वामी का मंदिर, हनुमान मंदिर के अलावा कई देवी देवताओं के मंदिर विराजमान हैं.पहुंचने के लिए रेल व सड़क मार्ग की है सुविधा
यहां पहुंचने के लिए सड़क व रेल मार्ग दोनों की सुविधा उपलब्ध है. रेल मार्ग से पहुंचने के लिए नजदीकी सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन धनबाद गया ग्रैंड कोड रेल मार्ग के बीच अवस्थित हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन है. जहां पर देश के कई कोने से कई ट्रेनों का आगमन-प्रस्थान होता है. यहां से लोग टोटो, टेंपो , ऑटो आदि की मदद से महज 10 से 20 मिनट में मंदिर पहुंच सकते हैं. वहीं सड़क मार्ग से पहुंचने के लिए रांची, देवघर, दुमका मुख्य मार्ग में से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जहां सरिया-धनवार मुख्य पथ में (नावाडीह) जनकपुरी मोड़ से टेंपो ऑटो आदि की मदद से महज 5 मिनट में मंदिर परिसर पहुंचा जा सकता है.
दिसंबर व जनवरी में बढ़ जाती है पर्यटकों की संख्या
दिसंबर तथा जनवरी महीने में सैकड़ो की संख्या में प्रतिदिन लोग पिकनिक मनाने यहां आते हैं. एक ओर जहां नेचर पार्क की देखरेख के लिए वन विभाग के कर्मी तैनात रहते हैं. वहीं दूसरी ओर राजदह धाम की पवित्रता बनाए रखने, नित्य पूजा पाठ, साफ-सफाई, श्रद्धालुओं तथा पर्यटकों की सुविधा हेतु तपस्वी मौनी बाबा राजदह धाम समिति के लोग सक्रिय रूप से लगे हुए हैं. भीड़-भाड़ वाले इस पवित्र तीर्थ स्थल में पुलिस प्रशासन भी समय-समय पर व्यवस्था बनाए रखने हेतु योगदान देते रहती है.
संत मौनी बाबा ने की थी शिवलिंग की स्थापना, इसके बाद हुआ क्षेत्र का विकास
बताया जाता है कि साल के घने जंगलों के बीच बराकर नदी के तट पर बसा राजदह धाम का सफर विक्रम संवत 1995 से प्रारंभ हुआ. सरिया प्रखंड क्षेत्र के बागोडीह गांव निवासी दीप नारायण दास उर्फ संत मौनी बाबा का प्रयास रंग लाया. स्थानीय लोगों के सहयोग से राजदह धाम में शिव मंदिर बनाया गया. शिवलिंग की स्थापना की गयी. मंदिर की प्रतिष्ठा होने के साथ ही गरियावन दास, अरुण दास, मुरारी दास सहित कई संतों का अखाड़ा लगने लगा. सूखे पीपल की डालियों की धूनी रमाकर तपस्या करने लगे. धीरे-धीरे यह क्षेत्र धार्मिक मामले में उभरने लगा. श्रद्धालुओं का आना-जाना प्रारंभ हुआ.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है