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सरिया में आज भी मौजूद है प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ एनजी घोष व पायलट संजय चटर्जी का आशियाना

सरिया में आज भी प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ एनजी घोष और पायलट संजय चटर्जी का आशियाना मौजूद है. डॉ घोष ने आश्रम रोड में अपना बंगला बनवाया था.

सरिया (गिरिडीह), लक्ष्मी नारायण पांडेय : सरिया हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन (सरिया) से एक किमी दूर सरिया नगर पंचायत के वार्ड नंबर 3 (चंद्रमारणी मोहल्ला) में रूबी लॉज नामक एक बंगला है. 1950 के दशक में कोलकाता के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ ननी गोपाल घोष ने इस बनवाया था.

सरिया के आश्रम रोड में डॉ घोष ने बनवाया था अपना बंगला

डॉ घोष के नाती सरकारी पायलट संजय चटर्जी ने बताया कि सरिया का हरा-भरा शुद्ध वातावरण शांतिप्रिय नाना को यहां खींच लाया. उन्होंने यहां आश्रम रोड सरिया में अपना बंगला बनवाया. डॉ घोष उस समय कोलकाता मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में थे. हावड़ा के प्रसिद्ध चिकित्सक, जनरल फिजिशियन व सर्जन के रूप में उनकी ख्याति थी.

सरिया में 3 माह बिताते थे डॉ एनजी घोष

छुट्टियां बिताने के लिए अक्तूबर, दिसंबर व जनवरी में अपने परिवार के साथ गिरिडीह जिले के सरिया आया करते थे. शेष समय बंगले की देखभाल स्थानीय केयरटेकर के जिम्मे था. फूलों से सजी क्यारियां तथा फलों से लदे आम, नींबू, शरीफा, जामुन, गुलाब जामुन, बेल, चीकू, कनौद सहित कई मौसमी फल आदि के वृक्ष, शीशम, यूकेलिप्टस आदि वृक्ष बंगले की शोभा बढ़ाते रहे हैं.

डॉ घोष को गुजरे हो गये चार दशक

1984 ईस्वी में डॉ एनजी घोष ने कोलकाता में अंतिम सांस ली. इसके पश्चात रूबी लॉज की देखरेख उनकी सुपुत्री नंदिता चटर्जी उर्फ रुबी व नाती संजय चटर्जी, नतिनी रश्मि चटर्जी करते हैं. संजय चटर्जी (51) वर्तमान में एयर इंडिया में पायलट हैं. इनकी बहन रश्मि चटर्जी पश्चिम बंगाल के एक प्रसिद्ध विद्यालय में शिक्षिका हैं.

अब कुछ ही लोगों का रह गया है संपर्क

पायलट संजय चटर्जी फिलहाल सरिया स्थित अपने बंगले की मरम्मत कराने को लेकर यहां पहुंचे हैं. उन्होंने बताया कि आज से सौ साल पहले जब बंगाली परिवार सरिया में बसे थे, तो यहां की आबोहवा, पर्यावरण, स्थानीय लोगों के व्यवहार तथा वातावरण अभी से भिन्न थे. समय के साथ सब कुछ बदलने लगा. नतीजतन बंगाली समुदाय के लोग अपनी कोठियां बेचकर जाने लगे.

आनंद भवन, मौनी बाबा आश्रम देखते आते हैं बंगाली समुदाय के लोग

कुछ लोगों के पास समयाभाव भी था, जिस कारण लोग सरिया से अपना आशियाना बेचकर चले गये. कुछ बंगले ही शेष बचे हैं जिसमें बंगाली समुदाय के लोग आना-जाना करते हैं. बंगाली समुदाय के बनाये गये मंदिर आनंद भवन आश्रम, वसु श्री कोठी, मौनी बाबा आश्रम में आज भी समय-समय पर लोग सैकड़ों की संख्या में पूजा करने देश के विभिन्न जगहों से बंगाली समुदाय के लोग पहुंचते हैं.

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