हुड़को निदेशक ने नौलखा डैम को शीघ्र सुरक्षित करने को कहा
हुड़को निदेशक ने कहा कि इस संबंध में गिरिडीह डीसी, डीडीसी और झारखंड सरकार को त्राहिमाम संदेश दिया जायेगा और तीन दिनों के अंदर काम शुरू नहीं हुआ तो पदाधिकारियों का सामाजिक बहिष्कार सहित चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया जायेगा.
हुडको निदेशक पूर्व सांसद डॉ रवींद्र राय ने बुधवार को नौलखा डैम के सौंदर्यीकरण व सुदृढ़ीकरण के काम का निरीक्षण किया. डैम की बदहाली देख वे काफी दुखी व पर्यटन विभाग तथा संबंधित संवेदक से नाराज दिखे. विभाग और संवेदक को स्थानीय सांसद व विधायक को बदनाम करने की राजनीति नहीं करने की नसीहत देते हुए उन्होंने आपातकालीन स्थिति समझते हुए 24 घंटे के अंदर डैम को सुरक्षित करने को कहा है. इस संबंध में गिरिडीह डीसी, डीडीसी और झारखंड सरकार को त्राहिमाम संदेश दिया जायेगा और तीन दिनों के अंदर काम शुरू नहीं हुआ तो पदाधिकारियों का सामाजिक बहिष्कार सहित चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया जायेगा.
डैम को खतरा :
डैम के काम में कोताही बरतने की लगातार मिल रही शिकायत के बाद पूर्व सांसद यहां के दौरे पर आये थे. कल्वर्ट काट देने से डैम पोखर बनकर रह गया है. कल्वर्ट में काटे गये स्थान से डैम के नीचे काफी दूर तक तेज बहाव के दौरान लगभग 20 फिट गड्ढा भयावह नाला बन गया है. यह जानलेवा साबित हो सकता है. अच्छी बारिश हुई तो मात्र एक-डेढ़ चौका मिट्टी के मेड़ पर टिके डैम का पानी मेड़ तोड़कर पूरी तरह बह जायेगा और 40-45 फिट गहरा यह डैम मैदान बन जायेगा. इस बदहाली को देख डॉ राय ने विभागीय अभियंताओं से दूरभाष पर बात की और इसे आपातकालीन स्थिति बताते हुए डैम को बचाने के लिए 24 घंटे के अंदर पहल करने को कहा. आंदोलन की चेतावनी भी दी.आरंभ में बना था नौ लाख का प्राक्कलन :
बाद में उन्होंने प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि धनवार के लोग शुरू से ही हर मामले में जागरूक रहे हैं. यहां पानी की समस्या भी शुरू से रही है. नगर का पानी खारा होने के कारण पीने और नहाने-धोने के लायक भी नहीं था. आजादी के बाद 1952-53 में तत्कालीन विधायक पुनीत राय ने जल संकट के मद्देनजर इस डेम की बुनियाद रखी थी. तब इसका प्राक्कलन नौ लाख का था. इसीलिए यह डैम नौलखा डैम कहलाया, पर अलग झारखंड राज्य निर्माण के बाद बाबूलाल मरांडी के मुख्यमंत्री काल में निर्माण को मंजूरी मिली. कहा कि 2004-05 में जब मैं यहां का विधायक और सरकार में मंत्री था तो लगभग पांच करोड़ के प्राक्कलन से निर्माणकार्य पूर्ण हुआ.बढ़ती लोकप्रियता ने बना दिया पर्यटक स्थल :
डैम के निर्माण से धनवार और आसपास के दर्जनाधिक गांवों के जल स्तर व पानी के खारापन में सुधार हुआ. हजारों एकड़ जमीन पर खेती की सिंचाई में सुविधा होने लगी. इस स्थान की सुंदरता बढ़ी तो प्रतिदिन सुबह-शाम नगर के सैकड़ों लोग यहां स्नान-ध्यान करने व टहलने आने लगे. बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का काम शुरू हुआ. इसी दौरान डैम कुछ डैमेज ही गया. सिंचाई विभाग ने उसकी मरम्मत का काम भी पर्यटन विभाग को ही सौंप दिया. लिहाजा 2023 के जुलाई और सितम्बर में यहां सौंदर्यीकरण और सुदृढ़ीकरण के लिए स्थानीय विधायक बाबूलाल मरांडी ने दो बार शिलान्यास भी किया. कहा कि काम शुरू हुआ तो डैम का जलस्तर कम करने की जरूरत पड़ी. इसी दौरान संवेदक ने छिलका काटकर बहा दिया. धार बेकाबू हो जाने से डैम का वह भाग बह गया जिससे किसानों की फसल को भारी क्षति हुई. ठेकाटांड़ से बांधी तक के सभी गांव के लोगों का धनवार आने का शॉर्टकट रास्ता भी अवरुद्ध हो गया. जल स्तर नीचे चले जाने से धनवार सहित सभी पड़ोसी गांव का कुआं व चापाकल जवाब दे चुका है. पानी के लिए लोग परेशान है. कहा कि दुर्भाग्य की बात यह है कि डैम बहा देने के बाद इसको सुदृढ़ करने का काम महीनों से रुका हुआ है. कभी भी तेज बारिश हो सकती है और पोखर बन चुका यह डैम मैदान बन सकता है. इनकी थी मौजूदगी : मौके पर सुबोध कुमार सिंह, पवन साव, अनिल राय, कृष्णा चौधरी, सुनील साव, दयानंद साव, राकेश कुमार, कृष्णदेव रजक, महेश राय, बिनोद शर्मा, विजय राय, सहदेव राय, राजेश पांडेय, भूषण पांडेय, मंसूर आलम, शंभू साव, मुरारी सिंह आदि दर्जनों लोग मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है