गिरिडीह में केस्ट्रोन माइिनंग के जिस स्टॉक को सीबीआइ ने किया था जब्त, वहीं से गायब हो गया दो हजार टन काेयला
मुफस्सिल थाना क्षेत्र के टिकोडीह-चुंजका के समीप अवस्थित ब्रह्मडीहा ओपनकास्ट माइंस (केस्ट्रोन माइिनंग) से दो हजार टन से भी अधिक काेयला गायब हो गया है.
सूरज सिन्हा : गिरिडीह : मुफस्सिल थाना क्षेत्र के टिकोडीह-चुंजका के समीप अवस्थित ब्रह्मडीहा ओपनकास्ट माइंस (केस्ट्रोन माइिनंग) से दो हजार टन से भी अधिक काेयला गायब हो गया है. सीबीआइ ने पांच साल पहले केस्ट्रोन माइनिंग में रखे काेयले के स्टॉक की जांच की थी. ब्यूराे ने स्टॉक काे सुरक्षित रखने का भी निर्देश दिया था. कोल ब्लॉक आबंटन घाेटाले में इस कोल माइंस की भी जांच हाे रही है. अब कोयला गायब किसने किया, इसका जांच से ही यह पता चलेगा.
लगातार गायब हो रहा है कोयला : सीबीआइ द्वारा जब्त काेयले के स्टॉक से लगातार कोयला गायब हो रहा है. कई बार तो ट्रक से भी कोयला ले जाया गया. सूचना है कि लॉकडाउन अवधि में काेयला सबसे ज्यादा ले जाया गया. हालांकि जब इसकी भनक मुफस्सिल पुलिस को मिली, तो वह हरकत में आयी. इधर फिर से कोयले का उठाव अलग-अलग तरीके से शुरू हाे गया है.
पांच वर्ष पूर्व जब सीबीआइ की टीम इस माइंस पर पहुंची थी, तो उस वक्त कोयले का स्टॉक 16 हजार टन था. इसका डिटेल लेने के बाद यहां पर मौजूद निजी सुरक्षा गार्डों को ही स्टॉक के देखभाल की जिम्मेदारी सौंप दी गयी. इसके बाद केस्ट्रोन माइंनिंग के इस ब्रह्मडीहा ओपेनकास्ट की देख-रेख सुरक्षा गार्डों द्वारा ही की जा रही है. पर इसी स्टॉक से कोयला गायब भी हाे रहा है. अब तक दो हजार टन से भी ज्यादा कोयला गायब हो जाने की बात बतायी जा रही है.
सूचना पर हुई थी छापेमारी : गिरिडीह मुफस्सिल थाना के प्रभारी रत्नेश मोहन ठाकुर ने बताया कि कुछ माह पूर्व ब्रह्मडीहा ओपेनकास्ट से कोयला चोरी की शिकायत मिली थी. इस शिकायत पर उक्त स्थल पर छापामारी भी की गयी थी. पुलिस ने उक्त स्थल से कई लोगों को हिरासत में भी लिया था. पूछताछ के क्रम में पता चला कि वे लोग सुरक्षा गार्ड हैं. सुरक्षा गार्ड ने बताया कि कुछ लोग कागजात दिखा कर कोयला ले जा रहे थे, लेकिन कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं बताया.
सीबीआइ-इडी कर चुकी है जांच : यहां बता दें कि कोलगेट घोटाले के उजागर होने के बाद से इस केस्ट्रोन माइिनंग में जांच के लिए तीन बार सीबीआइ की टीम आ चुकी है, जबकि दो बार रांची से प्रवर्तन निदेशालय के पदाधिकारी भी आ चुके हैं. सीबीआइ ने 2015 में ही कोयले के स्टॉक के साथ कागजातों को खंगाला था. इसके बाद कोयले को जब्त कर लिया गया था. सूचना है कि सीबीआइ द्वारा जब्त कोयले के डंप से हो रहे कोयले की चोरी की जानकारी खुफिया विभाग द्वारा भी संबंधित विभाग को दे दी गयी है.
कोयला स्टॉक, सीबीआइ और आवंटन घोटाले के बीच यहां पर काम कर रहे निजी सुरक्षा गार्ड परेशान हैं. यहां पर कार्यरत गार्डों को वर्ष 2014 से एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिली है. इस संदर्भ में शदाब बताते हैं कि इस माइंस व यहां के कोल स्टॉक की सुरक्षा में 48 गार्ड तैनात हैं, लेकिन किसी को भी पिछले 5-6 वर्षों से मानदेय नहीं मिला है. जिस कंपनी के लिए वे लोग काम करते हैं, वह पहले ही सीबीआइ का नाम लेकर हाथ खड़ा कर चुकी है. इसे लेकर धनबाद श्रम विभाग में मुकदमा भी किया गया, लेकिन भुगतान नहीं हो सका.
अब यह कोल स्टॉक गार्डों के लिए मुसीबत का सबब बन चुका है. सुरक्षा में तैनात गार्ड मो शयूब ने बताया कि वे लोग शुरू से ही यहां पर तैनात हैं. उनलोगों को वर्ष 2014 से वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है, जिस कारण परिवार के भरण पोषण में दिक्कत आ रही है. वहीं गार्ड मो अबुल ने बताया कि वेतन नहीं मिलने के कारण उनलोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आर्थिक तंगी झेलते हुए भी वे लोग सरकार की इस संपत्ति की सुरक्षा में लगे हुए हैं. वे लोग इस आस में है कि कभी तो उन लोगों को बकाया वेतन का भुगतान होगा.
ब्रह्मडीहा ओपनकास्ट
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कोलगेट घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने पांच वर्ष पूर्व ही जब्त किया था कोयला
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धनबाद की एक कंपनी भी फर्जी कागज दिखा कर काफी काेयला उठा ले गयी
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फर्जी कागजात दिखा कर उठा लिया गया कोयला
फरवरी माह में धनबाद की एक कंपनी यहां से फर्जी कागजात के आधार पर कई ट्रक कोयला टपाने में सफल रही. बताया जाता है कि कुछ लोग कागजात लेकर ब्रह्मडीहा ओपनकास्ट माइंस पहुंचे और यहां कोयले की डंप की देखरेख कर रहे निजी सुरक्षा गार्डों को कहा कि इस स्टॉक के उठाव का आदेश मिल गया है. इसके बदले में प्रत्येक ट्रक 10 हजार रुपये का भुगतान गार्डों को किया जायेगा. इसके लिए गार्डों को लिखित कागजात भी दिये गये.
सुपरवाइजर शदाब उर्फ छोटू मास्टर कहते हैं कि यहां के गार्डों के साथ धोखा हुआ. यहां से लगभग डेढ़ दर्जन ट्रक कोयले का उठाव किया गया और गार्डों को एक रुपया भी नहीं दिया गया. जब पुलिस यहां पहुंची, तो पता चला कि कोयले के उठाव का आदेश ही नहीं मिला था, बल्कि गलत कागजात दिखा कर कोयला के स्टॉक पर हाथ साफ कर लिया गया.
उसने कहा कि पुलिस के आने के बाद कोयला उठानेवाले लोग कभी भी इस माइंस पर नहीं आये. शदाब का कहना है कि दो दिन में कई ट्रक कोयले निकाले गये और तीसरे दिन उनलोगों को भुगतान मिलना था, परंतु दो दिन के बाद ही कोयले का उठाव बंद हो गया और उन्हें निर्धारित की गयी राशि का भुगतान भी नहीं मिला. कई सुरक्षा गार्डों ने बताया कि आसपास के लोग भी कोयले के इस डंप से कोयले की चोरी कर रहे हैं. हमलोगों ने कई बार रोका भी है.
Post by : Pritish Sahay