जांच में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गावां में भारी वित्तीय अनियमितता का खुलासा

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, गावां में जांच के दौरान भारी वित्तीय अनियमितता का खुलासा हुआ है. जांच रिपोर्ट आने के बाद उपायुक्त द्वारा निवर्तमान चिकित्सा पदाधिकारी डॉ चंद्रमोहन कुमार व बीपीएम प्रमोद कुमार वर्णवाल को शोकॉज किया गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 2, 2024 11:46 PM
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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, गावां में जांच के दौरान भारी वित्तीय अनियमितता का खुलासा हुआ है. जांच रिपोर्ट आने के बाद उपायुक्त द्वारा निवर्तमान चिकित्सा पदाधिकारी डॉ चंद्रमोहन कुमार व बीपीएम प्रमोद कुमार वर्णवाल को शोकॉज किया गया है. वहीं प्रशासी पदाधिकारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन झारखंड, रांची द्वारा भी उनके अनुबंध समाप्त करने को ले स्पष्टीकरण पूछा गया है. जांच के दौरान विभिन्न पंजियों के संधारण में काफी अनियमितता बरते जाने की बात सामने आयी है. वहीं ई जोहार पोर्टल के माध्यम से अनधिकृत लोगों के खाते में रुपये ट्रांसफर किये जाने का भी सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है. स्टोर रूम आदि में भी क्रय किये गये सामग्रियों का सही आकड़ा पदाधिकारी नहीं दे पाये. कैशबुक की जांच में भी गड़बड़ी मिली है. कैशबुक में वर्तमान बैलेंस 22,88,638 रुपये दिखाये गये हैं. जबकि बैंक के खाते में मात्र 4,34,700 रुपये की शेष बचे हैं. उक्त एसएनए खाते में 18,53,938 रुपये कम पाये गये हैं. उक्त राशि का भुगतान एक अनधिकृत व्यक्ति के खाते में अवैध रूप से किये जाने की बात सामने आयी है.

क्या है मामला

गिरिडीह सीएस डॉ एसपी मिश्रा गावां प्रखंड मुख्यालय में आयोजित रक्तदान शिविर में भाग लेने आये थे. शिविर के समापन के बाद उन्होंने सीएचसी का निरीक्षण किया था, जिसमें प्रथम दृष्टया गड़बड़ी बरते जाने की बात सामने आयी थी. उन्होंने तत्काल कार्रवाई करते हुए सीएचसी में प्रतिनियोजित प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी का प्रतिनियोजन रद्द कर उन्हें राजधनवार भेज दिया था. वहीं केंद्र में तत्काल व्यवस्थाओं के संचालन के लिए तिसरी में पदस्थापित डॉ देवव्रत को गावां का प्रभार दिया था. वरीय पदाधिकारियों को जानकारी देते हुए केंद्र में हुई गड़बड़ी की जांच की अनुशंसा भी की थी. बाद में उपायुक्त ने एक टीम का गठन कर जांच का निर्देश दिया था. एक जुलाई को टीम में शामिल जिला लेखा पदाधिकारी अनंत कुमार मिश्रा, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ रेखा झा, जिला लेखा प्रबंधक सुमित कुमार, लेखा पाल एनटीइपी रविकांत सिन्हा, एसीएमओ परमेश्वर मिश्रा व जिला सलाहकार कुणाल भारती ने सीएचसी गांव पहुंच कर मामले की जांच की थी. टीम ने लगातार तीन चार दिनों तक सभी कर्मियों से पूछताछ, दवाओं का मिलान व विभिन्न पंजियों का भी निरीक्षण किया था. वहीं आवश्यक दस्तावेजों को जब्त कर स्टोर रूम आदि को लॉक कर दिया था. उसके बाद से टीम लगातार मामले की जांच कर रही थी.

दस्तावेजों की जांच में भारी गड़बड़ी का पर्दाफाश

जांच टीम ने कैश बुक की जांच की तो पाया गया कि 2023-24 में विभाग द्वारा कुल 2,93,72,940 रुपये का भुगतान किया गया था, जिसमें सामग्रियों के क्रय आदि के खर्च के बाद कुल 22,88,638 रुपये शेष दिखाये गये थे. जब आइसीआइसीआइ बैंक के खाते की जांच की गयी तो पाया गया कि उक्त खाते में जमा राशि मात्र 4,34,700 रुपये ही है. खाते में 18,53,938 रुपये कम पाये गये. इस बाबत जब प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक सह प्रखंड लेखा प्रबंधक प्रमोद कुमार वर्णवाल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उक्त रुपये कोडरमा जिला के सीएचसी सतगावां में बीटीटी के पद पर वर्तमान में कार्यरत दिनेश चौधरी,पिता मधुसूदन चौधरी, ग्राम- समलडीह थाना-सतगावां के खाते में ट्रांसफर की गयी है. उक्त व्यक्ति के खाते में इतनी बड़ी रकम क्यों भेजी गयी, इसका कोई सटीक जवाब नहीं मिल पाया.

नेट बैंकिंग से हुआ रुपयों का भुगतान

इस बाबत प्रमोद वर्णवाल ने कहा कि ई जोहार पोर्टल पर नेट बैंकिंग के माध्यम से ऑनलाइन भुगतान किया गया है. इसके लिए बीपीएम प्रमोद वर्णवाल द्वारा प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के अभिश्रव पर आदेश प्राप्त कर वेंडर का एक्सेल शीट बनाकर ई जोहार पोर्टल पर अपलोड किया जाता है, जिसे वेंडर कोड के अनुसार भुगतान किया जाता है. भुगतान से पूर्व चेकर के रूप में बीपीएम प्रमोद वर्णवाल व मेकर के रूप में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी चंद्रमोहन कुमार को ओटीपी प्राप्त होता था, जिसे बताने के बाद उक्त राशि को संबंधित खाते में भेजा गया.

स्टोर में भी मिली भारी गड़बड़ी

जांच में स्वास्थ्य केंद्र के स्टोर रूम में मालों के रख रखाव में भी भारी गड़बड़ी पायी गयी. क्रय सें संबंधित अभिश्रवों के अनुसार पंजी का संधारण ठीक ढंग से नहीं किया गया था. यहां तक कि ई औषधि पोर्टल पर भी खरीद व खर्च से संबंधित इंट्री नहीं की गयी थी. जांच के क्रम में पाया गया कि भुगतान आदि मनमाने तरीके से की गयी. नियमानुसार सभी प्रकार के भुगतान के लिए संबंधित भुगतान का टेंडर पेपर होना चाहिए. जांच में टेंडर पेपर, वर्क आर्डर अभिश्रव व भुगतान की स्थिति आदि कोई भी कागजात पदाधिकारियों द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया. कुल मिलाकर मनमानी तरीके से क्रय व भुगतान का खेल खेला गया, जहां जिससे इच्छा हुई अपने करीबी व व्यक्तिगत लाभ देने वालों से सामानों की खरीद की गयी.

मामले में होगी विभागीय कार्रवाई : सिविल सर्जन

गिरिडीह सीएस एसपी मिश्रा ने कहा कि जांच रिपोर्ट में भारी वित्तीय अनियमितता की बात सामने आयी है. संबंधित पदाधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है. स्पष्टीकरण के बाद जांचोपरांत विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की जायेगी.

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