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श्री कबीर ज्ञान मंदिर में कबीर आविर्भाव महोत्सव शुरू

श्री कबीर ज्ञान मंदिर में दो दिवसीय सदगुरु कबीर आविर्भाव महोत्सव का भव्य शुभारंभ श्री कबीर ज्ञान मंदिर में विभिन्न कार्यक्रमों से हुआ. इस दौरान अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया. इसमें मंदिर प्रांगण से जुड़े श्रद्धालु व योग प्रेमियों ने भाग लिया.

गिरिडीह.

श्री कबीर ज्ञान मंदिर में दो दिवसीय सदगुरु कबीर आविर्भाव महोत्सव का भव्य शुभारंभ श्री कबीर ज्ञान मंदिर में विभिन्न कार्यक्रमों से हुआ. इस दौरान अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया. इसमें मंदिर प्रांगण से जुड़े श्रद्धालु व योग प्रेमियों ने भाग लिया. सतगुरु मां ने योग का महत्व को बताया गया. ‘योगी काया निरोगी काया’ का मंत्र दिया गया. सतगुरु मां ने कहा कि ईश्वर की भक्ति स्वस्थ शरीर से ही की जा सकती है. अतः प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना आवश्यक है. मां ज्ञान ने कहा कि योग का प्रचलन नया नहीं है, अपितु यह सनातन सभ्यता की देन है. हमारे मंत्रद्रष्टा ऋषियों ने भविष्य में मानवजाति की आवश्यकताओं को देखते हुए और मानव जीवन के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए योग को आरंभ किया. सद्गुरु कबीर जयंती के प्रथम सत्र में दूर दराज से आए संत-भक्तों के द्वारा उद्बोधन तथा नन्हें मुन्ने बच्चे-बच्चियों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की गई. इस अवसर पर दुखहर्ता कबीर नाटक का मंचन भी किया गया जिसमें मंदिर से जुड़े भाई–बहनों ने भाग लिया. नाटक के द्वारा सद्गुरु की महिमा और राममहामंत्र की महिमा का दर्शन कराया गया. नाटक के माध्यम से जनमानस में बताया गया कि राममहामंत्र तथा सद्गुरु की कृपा में वह शक्ति है जो असंभव को भी संभव बना देती है. इस अवसर पर कबीर गोष्ठी का भी आयोजन किया गया. भक्त कबीर से लेकर समाज सुधारक कबीर तक के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा किया गया जिसमें कोडरमा सांसद व केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी, जमुआ विधायक केदार हाजरा, सांसद प्रतिनिधि दिनेश यादव, भाजपा नेता विनय सिंह, कामेश्वर पासवान, ट्रस्ट परिवार से अरुण माथुर, विनय कपीसवे, सिद्धांत कंधवे व अन्य कई लोग शामिल रहे. इस अवसर पर सद्गुरु मां ज्ञान में अपने उद्बोधन में कहा कि कबीर अद्वितीय संत है, वे बेजोड़ हैं, जिनके समान अभी तक कोई दूसरा नहीं हुआ है. कबीर के जीवन में समाज के विभिन्न पहलुओं की झलकियां मिलती है. मां ज्ञान ने कहा कि आज व्यक्ति अपने-अपने क्षेत्र में बहुत ज्यादा व्यस्त है. लेकिन इस व्यस्ततम समय में भी सब कार्य करते हुए अपनी आत्मा के लिए समय निकालना आवश्यक है.

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