Giridih News :केआइटी के रिसीवर खर्च का ब्योरा देने में कर रहे टाल-मटोल

Giridih News :झारखंड हाइकोर्ट के आदेश का भी अधिकारियों पर कोई असर नहीं दिख रहा है. हाइकोर्ट के आदेश के बाद भी जहां एक ओर केआइटी संस्थान के चल अचल संपत्ति को ट्रस्ट को वापस नहीं किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर खर्च के आय-व्यय का ब्योरा देने में भी टाल-मटोल किया जा रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 28, 2024 11:08 PM

हाइकोर्ट के आदेश के तीन माह बाद भी ट्रस्ट को नहीं मिला संस्था का लेखा-जोखा

झारखंड हाइकोर्ट के आदेश का भी अधिकारियों पर कोई असर नहीं दिख रहा है. हाइकोर्ट के आदेश के बाद भी जहां एक ओर केआइटी संस्थान के चल अचल संपत्ति को ट्रस्ट को वापस नहीं किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर खर्च के आय-व्यय का ब्योरा देने में भी टाल-मटोल किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि खर्च के आय-व्यय का ब्योरा देने में कई अधिकारी फंस सकते हैं. क्योंकि संस्थान की संपत्ति कुर्क करने के बाद संस्थान के बैंक खाते से कई बार अवैध निकासी की गयी है और इस निकासी में कई अधिकारी फंसे हुए हैं. बता दें कि झारखंड हाइकोर्ट ने नौ सितंबर, 2024 को क्रिमिनल रिविजन पर सुनवाई करते हुए एसडीएम कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जो 29 मई 2020 को केआइटी के चल अचल संपत्ति कुर्क करने के संबंध में दिया गया था. हाइकोर्ट ने एसडीएम के आदेश को खारिज करने के साथ-साथ यह भी आदेश दिया है कि कुर्क की गयी अवधि के खर्च का लेखा-जोखा याचिकाकर्ता अरविंद कुमार के अलावा आशुतोष पांडेय को उपलब्ध करायें. इस आदेश के बाद ट्रस्ट के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने रिसीवर सह बेंगाबाद के सीओ से आय-व्यय का लेखा-जोखा मांगते हुए कई बार आवेदन किया है, लेकिन अभी तक उन्हें खर्च का ब्योरा नहीं मिला है.

रिसीवर के रहते अन्य लोगों ने निकाल ली एक करोड़ से अधिक की राशि

जानकारी के अनुसार गिरिडीह एसडीएम के आदेश के आलोक में बेंगाबाद के तत्कालीन सीओ ने 01 जून, 2020 को केआइटी संस्थान की चल-अचल संपत्ति को ट्रस्ट के अध्यक्ष अरविंद कुमार से हैंडओवर ले लिया था. हैंडओवर लेने के बाद संस्थान के एचडीएफसी बैंक और बंधन बैंक से लगभग करोड़ों की राशि की निकासी कर ली गयी. सूत्रों के अनुसार एचडीएफसी बैंक के खाते से 11 जनवरी 2022 से 14 जनवरी 2022 के बीच पांच-छह चेक के माध्यम से 75 लाख 50 हजार और 31 जनवरी, 2022 को 50 हजार रुपये की अवैध तरीके से निकासी कर ली गयी. वहीं, बंधन बैंक के खाते से 01 दिसंबर 2021 को दूसरे खाते में 28 लाख 50 हजार रुपये की राशि ट्रांसफर किया गया. गौरतलब यह है कि एसडीओ के आदेश से ही केआइटी के बैंक खाते को 22 फरवरी 2018 को ही फ्रीज कर दिया गया था. अधिकारियों की मिलीभगत से फ्रीज खाते को अनफ्रिज किया गया और मोटी रकम की अवैध निकासी हो गयी.

खर्च का फर्जी बिल से हुआ कई लोगों को भुगतान

एक ओर जहां बैंक खाते से अवैध निकासी की गयी है. वहीं, दूसरी ओर कई मद में खर्च दिखाते हुए फर्जी बिल लगाकर राशि की निकासी की गयी है. बताया जाता है कि जब से रिसीवर के रूप में केआइटी को बेंगाबाद के सीओ को हैंडओवर किया गया, तब से अभी तक विभिन्न मदों में खर्च दिखाकर 20 लाख से भी ज्यादा की राशि बिना क्रय समिति के अनुमोदन के निकाल ली गयी है. बेंगाबाद प्रखंड क्षेत्र के दिघरियाकला गांव में केआईटी है और यहां से लगभग आधा किमी की दूरी पर स्थित एक पेट्रोल पंप से डीजल की खरीदी होती रही है. लेकिन, बताया जा रहा है कि गिरिडीह शहर में स्थित एक पेट्रोल पंप के साथ-साथ लगभग 40 किमी की दूरी पर स्थित किसी अन्य पेट्रोल पंप से डीजल की फर्जी खरीदी दिखायी गयी है. संस्थान के सूत्रों ने बताया कि वास्तविक रूप से डीजल का खर्च प्रति माह लगभग एक हजार रुपये तक होता है, लेकिन इस मद में मोटी रकम की निकासी की जा रही है. संस्थान के पास मात्र 20 लीटर का गैलन उपलब्ध है, लेकिन खरीदी 50-50 लीटर तक दिखाया गया है. सूत्रों का कहना है कि संस्थान से जुड़े कई लोगों ने फर्जी बिल के जरिये प्रत्येक माह मोटी कमीशन की भी वसूली की है.

अब भी फ्रीज खाते से निकाली जा रही राशि

केआइटी के खाते से लगभग एक करोड़ रुपये से भी ज्यादा की अवैध निकासी होने के बाद भी यह मामला थम नहीं रहा है. अब भी अवैध तरीके से राशि की निकासी का सिलसिला जारी है. झारखंड हाइकोर्ट के आदेश के बाद गिरिडीह कॉलेज में स्थित पंजाब नेशनल बैंक से केआइटी के खाते से पांच हजार रुपये की निकासी 11 नवंबर 2024 को की गयी. जबकि, हाईकोर्ट के आदेश की प्रति बैंक को एक नवंबर को सौंपते हुए ट्रस्ट के अध्यक्ष ने किसी भी तरह के ट्रांजक्शन पर रोक लगाने का अनुरोध किया था. बताया जाता है कि इसके बाद बैंक प्रबंधक ने पांच चेक का हवाला देते हुए केआइटी के रिसीवर सह बेंगाबाद के सीओ को भुगतान के संबंध में पांच नवंबर को पत्राचार भी किया. किसी तरह का जवाब नहीं मिलने के बाद पांच चेक में से एक चेक का भुगतान बैंक के द्वारा कर दिया गया. बताया जाता है कि यह चेक किसी पेट्रोल पंप के नाम पर था. इस मामले पर पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंधक राजकिशोर सहाय का कहना है कि हाइकोर्ट के आदेश की प्रति मिलने के बाद उन्होंने कानूनी सलाह मांगी थी और कानूनी सलाह मिलने के बाद उन्होंने बैंक खाते को फ्रीज किया है.

बिना क्रय समिति के अनुमोदन का भुगतान मान्य नहीं : अरविंद कुमार

ट्रस्ट के अध्यक्ष अरविंद कुमार का कहना है कि फर्जी तरीके से राशि की निकासी हो रही है. वह कई बार प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ केआइटी के रिसीवर सह बेंगाबाद की सीओ के समक्ष गुहार भी लगा चुके हैं. लेकिन, कोई नहीं सुन रहा है. हाइकोर्ट के आदेश के बाद भी संस्थान के आय-व्यय का ब्योरा नहीं दी जा रही है. बिना क्रय समिति के अनुमोदन के ही कई बिलों का भुगतान मनमाने तरीके से कर दिया गया. केआइटी के खाते से अवैध निकासी के मामले में भी रिसीवर के स्तर से प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की गयी है. जबकि 1.04 करोड़ रुपये की निकासी अवैध रूप से हो चुकी है. इसके अलावा इपीएफ व इएसआई का भुगतान कमीशनखोरी के चक्कर में नहीं किया गया. सिर्फ ईपीएफ के लिए डिले डैमेज 1.05 लाख रुपये संस्थान को चुकाना होगा. पकड़े जाने के भय से ऑडिट भी नहीं कराया गया है. कहा कि डिले डैमेज के मामले को लेकर भी वे कोर्ट में रिट दायर करेंगे.

अवैध और फर्जी निकासी की बात गलत : रिसीवर

इधर, बेंगाबाद की सीओ व केआइटी की रिसीवर रही प्रियंका प्रियदर्शी ने अवैध और फर्जी निकासी की बात को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि मेरे कार्यकाल में किसी भी तरह की अवैध निकासी नहीं हुई है. कई तरह के खर्च के लिए राशि की निकासी हुई है, पर मैंने नहीं देखा है कि उसका अनुमोदन क्रय समिति से हुआ है या नहीं. दूर के पेट्रोल पंप से डीजल खरीदे जाने के सवाल पर कहा कि पूर्व के रिसीवर जहां से डीजल खरीदते थे, वहीं से डीजल की खरीदी की गयी है. खर्च का लेखा-जोखा देने में कोई आनाकानी नहीं की जा रही है. मैंने प्रिंसिपल को निर्देश दिया था कि वह खर्च का ब्योरा जल्द से जल्द उपलब्ध कराएं. लेकिन, उन्होंने टाल-मटोल किया. शीघ्र ही लेखा-जोखा संबंधित लोगों को उपलब्ध करा दिया जायेगा.

(राकेश सिन्हा, गिरिडीह)

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