Giridih News :मंईयां सम्मान योजना की साइट खुलने के बाद भी कई महिलाएं लाभ से वंचित

Giridih News :मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना की साइट खुलने के बाद भी कई महिलाओं को योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. सोमवार को योजना के हेल्प डेस्क के पास बड़ी संख्या में लाभुकों ने हंगामा किया.

By Prabhat Khabar News Desk | February 10, 2025 11:09 PM

मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना की साइट खुलने के बाद भी कई महिलाओं को योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. सोमवार को योजना के हेल्प डेस्क के पास बड़ी संख्या में लाभुकों ने हंगामा किया. हंगामा शुरू होने का कारण यह था कि हेल्प डेस्क कर्मियों ने उनको ऑनलाइन रिसीट देकर बताया कि आपलोगों के सभी तरह के दस्तावेज पूरी तरह ठीक-ठाक हैं. इसके बाद लाभुक यह कहते हुए हो-हंगामा करने लगीं कि जब हमलोगों का कागज ठीक है, तो पांच माह से एक रुपये भी हमारे बैंक खाते में आज तक क्यों नहीं आया है. इसपर हेल्प डेस्क के कर्मी ने चुप्पी साध ली. साामाजिक सुरक्षा कोषांग के कंप्यूटर ऑपरेटर दीपक कुमार ने बताया कि हमलोग साइट में जो ऑप्सन आ रहा है उसे ही बता रहे हैं. राशि क्यों नहीं आ रही है इसकी जानकारी हमलोगों के पास नहीं है.

बीडीओ ने कहा

जमुआ के बीडीओ अमल जी ने बताया कि जमुआ प्रखंड में मंईयां सम्मान योजना के तहत 61 हजार 633 लोगों ने आवेदन विभिन्न पंचायतों के माध्यम से ऑनलाइन किया था. 59 हजार 345 आवेदनों को स्वीकृति दी गयी है. 2288 आवेदन लंबित थे. तीन जनवरी से मंईयां योजना की साइट बंद हो जाने के बाद महिलाओं की भीड़ को देखते हुए एक हेल्प डेस्क बनाया गया था. साइट अब खुल गयी है. ऑपरेटर लोगों की शिकायतों और आवेदनों की जांच कर रहे हैं. एक हजार से अधिक आवेदन की जांच की गयी है. इसमें कई का बैंक आईएफएससी कोड बचत खाता संख्या में विसंगति के कारण आवेदन अपलोड नहीं हुआ है. ऑपरेटर वैसे लोगों का आवेदन ठीक करने में लगे हुए हैं. वहीं गौरतलब है कि सोमवार को हंगामा हुआ ही इसी कारण की ऑपरेटरों ने आवेदन को पूरी तरीके से ठीक बताया, इसके बाद महिलाएं कहने लगीं कि जब कमी नहीं तो, पांच महीने से राशि क्यों नहीं आयी.

क्या कहती हैं योजना के लाभ से वंचित महिलाएं

मेदनीटांड़ की रेणु देवी, रूबी देवी, बकुली की पनवा देवी और दलिया की मंजू वर्मा ने बताया कि जब उनका आवेदन जांच में ठीक-ठाक मिला तो पांच माह से एक भी रुपये का लाभ हमें नहीं मिला है. ब्लॉक आने जाने में 100 रुपये से अधिक खर्च हो जाते हैं. यहां आने के बाद तरह-तरह की बेकार बातें बतायी जाती हैं. कहा कि सरकार ग्रामीण महिलाओं के साथ भेदभाव कर रही है. अधिकारी कुछ सुनने को तैयार नहीं हैंं सिर्फ आवेदन लेकर रख लेते हैं.

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