लेखा-जोखा. खट्टे-मीठे यादों के बीच नयी आस की तलाश का वर्ष होगा 2025
रह-रह आंखों में चुभती है पथ की निर्जन दोपहरी, आगे और बढ़ें तो शायद दृश्य सुहाने आएंगे… दुष्यंत कुमार की यह पंक्ति नये वर्ष में सपनों को साकार होने की उम्मीद जगाती है. वर्ष 2024 गिरिडीह वासियों के लिए खट्टे-मीठे यादों के बीच अंतिम दौर में है. चालू वर्ष में लोगों ने जितने सपने देखे होंगे. इनमें से कुछ साकार हुए तो कई सपने अधूरे रह गये. अब वर्ष 2025 में नयी आस की तलाश होगी. नयी उम्मीदों में पंख लगाकर विकास के स्वरूप को सार्थक करने का प्रयास होगा. इस बीच वर्ष 2024 में जिले में क्या अच्छा हुआ, क्या नहीं हो सका और आगामी 2025 में नयी उम्मीदों पर नजर दौड़ाने की जरूरत है.जिले में क्या अच्छा हुआ
उच्च शैक्षणिक संसाधनों की रखी गयी नींव : उच्च शैक्षणिक व्यवस्था को लेकर राज्य सरकार ने गिरिडीह में सर जेसी बोस यूनिवर्सिटी एवं इंजीनियरिंग कॉलेज की स्वीकृति प्रदान की. इसकी स्वीकृति मिलने के बाद बतौर विधायक और मौजूदा नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू एवं गांडेय विधायक कल्पना मुर्मू सोरेन ने इन दोनों शैक्षणिक संस्थानों के लिए बाउंड्री का शिलान्यास किया. इन दोनों संस्थानों के निर्माण व चालू होने से स्थानीय विद्यार्थी काफी लाभान्वित होंगे. इसके अलावे मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन चिह्नित की गयी है. महिला महाविद्यालय को लेकर गिरिडीह स्टेडियम के समक्ष चाहरदिवारी का शिलान्यास मंत्री सुदिव्य कुमार व बेंगाबाद में महिला कॉलेज का शिलान्यास विधायक कल्पना सोरेन ने किया है. इसके अलावे कई प्रखंडों में बने डिग्री कॉलेजों का व्यापक लाभ विद्यार्थियों को मिलेगा.मेगा लिफ्ट सिंचाई योजना का क्रियान्वयन शुरू :
झारखंड सरकार ने पीरटांड़ प्रखंड में 639 करोड़ की लागत से मेगा लिफ्ट सिंचाई योजना की शुरुआत की है. इस योजना से प्रखंड की 17 पंचायतों के 165 गांव लाभान्वित होंगे. गिरिडीह विधायक सह मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू के प्रयास से इस योजना का शिलान्यास हुआ. इस योजना से 8500 हेक्टेयर भूमि को पानी मिलेगा, वहीं रास्ते भर के तालाब भी रिचार्ज होंगे, ताकि उसमें मछली पालन हो सके. इस योजना के तहत एक-एक हेक्टेयर का तालाब बनाने की बात कही गयी है. इस योजना से स्थानीय किसान सालों भर खेती कर आत्मनिर्भर बन पायेंगे.वंदे भारत जैसी ट्रेनों का लाभ मिला :
जिले के रेल यात्रियों को वंदे भारत, इंटरसिटी जैसी ट्रेनों का लाभ मिला है. रांची से वाराणसी तक जानेवाली वंदे भारत ट्रेन का ठहराव पारसनाथ स्टेशन में शुरू हुआ. भाजपा के प्रदेश प्रभारी व राज्य सभा सदस्य डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेयी की पहल पर मंत्रालय ने वंदे भारत ट्रेन के ठहराव की मंजूरी दी. इससे रेल यात्रियों को गिरिडीह से वाराणसी जाने-आने में सुविधा हुई. न्यू गिरिडीह रेलवे स्टेशन से होकर गोड्डा-दिल्ली एक्सप्रेस ट्रेन के परिचालन से भी काफी सुविधा हुई है. गोड्डा-दिल्ली एक्सप्रेस ट्रेन न्यू गिरिडीह स्टेशन से हर बुधवार को दिल्ली के लिए चलती है. यात्री अब दिल्ली के लिए ट्रेन पकड़ने कोडरमा, मधुपुर व पारसनाथ स्टेशन जाने से बच गये. हालांकि गिरिडीह से हावड़ा व पटना के लिए सीधे कोच की मांग चलती रही.जो नहीं हो सका
ओपेनकास्ट परियोजना नहीं हो सका चालू :
गिरिडीह कोलियरी में दो ओपेनकास्ट खदान क्रमश: कबरीबाद माइंस और ओपेनकास्ट परियोजना है. ओपेनकास्ट परियोजना जनवरी 2022 से बंद है. कोयला का उत्पादन ठप रहने से 100 करोड़ रु से अधिक का कारोबार प्रभावित हुआ है. ओसीपी से जुड़े असंगठित मजदूर आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. यूं तो इस परियोजना को चालू कराने को लेकर विस चुनाव से पूर्व परिसदन में राज्य सभा सदस्य डॉ सरफराज अहमद, गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार, गांडेय विधायक कल्पना सोरेन के साथ जिला प्रशासन और सीसीएल प्रबंधन के बीच बैठक हुई थी. बैठक सकारात्मक रही. फलत: वन विभाग सहित अन्य मामलों का निष्पादन करते हुए अब इसी और सीटीओ के लिए प्रयास प्रारंभ हुआ. परियोजना बंद रहने से मजदूरों का पलायन जारी है.नये वार्डों में नहीं पहुंच पायी पाइपलाइन :
नगर निगम का स्थायी संकट है पेयजल की समस्या. कई इलाकों में पाइपलाइन का विस्तार नहीं होने से वहां की जनता शहरी जलापूर्ति से वंचित है. निगम के नये छह वार्डों में अब तक जलापूर्ति पाइपलाइन का विस्तार नहीं हो पाया है. बताया जाता है कि गिरिडीह जलापूर्ति परियोजना के तहत 103 किमी लाइपलाइन का विस्तारीकरण होना है, पर अब तक फाइनल डीपीआर नहीं बन पायी है. इसके लिए बैठकों का दौर जारी है. आज जिन इलाकों में शहरी जलापूर्ति की पाइपलाइन नहीं पहुंच पायी है, वहां की जनता पानी के लिए परेशान रहती है. ऐसे में क्षेत्र में लोग पाइपलाइन विस्तारीकरण की बाट जोहते रह गये.सदर अस्पताल में संसाधनों की कमी : सदर अस्पताल गिरिडीह में संसाधनयुक्त बर्न यूनिट चालू कराने की लंबे समय से मांग होती रही है. बर्न यूनिट तो है, पर मरीजों की सुविधा के मद्देनजर संसाधनों को और बेहतर करने पर बल दिया जा रहा है. यहां पर सीटी स्कैन की सुविधा नहीं है. रात में एक्स-रे के लिए मरीज परेशान होते हैं. शौचालय सहित वार्डों में गंदगी पसरी रहती है. दंत रोग के लिए एक्स-रे मशीन नहीं है. पर्याप्त दवाइयों की कमी से मरीजों को दिक्कत हो रही है. संसाधनों की यह कमी मरीजों के लिए परेशानी का सबब बनता है. सदर अस्पताल में चिकित्सीय व्यवस्था को और सुदृढ़ करने की जरूरत है ताकि जिले के विभिन्न प्रखंडों से आने वाले मरीजों को बेहतर चिकित्सीय सुविधा मिल सके. कमियों को दूर करने के लिए प्रशासनिक मॉनीटर्रिंग भी जरूरी है. प्रखंडों में महिला चिकित्सकों की मांग होती रही है.
नये वर्ष में उम्मीदें
ओसीपी को चालू कर गिरिडीह कोलियरी को घाटे से उबारना :
जिले का एकमात्र सरकारी उपक्रम सीसीएल गिरिडीह कोलियरी को घाटे से उबारने के लिए ओपेनकास्ट परियोजना का चालू होना निहायत ही जरूरी है. वर्तमान में ओसीपी में कोयला का उत्पादन ठप है. कबरीबाद माइंस आउटसोर्सिंग के जरिये संचालित है. एक परियोजना से कोयला ठप रहने और अनावश्यक खर्चों में बढ़ोतरी के कारण घाटा एक सौ करोड़ से ऊपर जाने की प्रबल संभावना है. ऐसे में इस कोलियरी को बचाने के लिए गिरिडीह कोलियरी को घाटे से उबारना होगा. इसके लिए ना सिर्फ ओसीपी को चालू करना जरूरी है, बल्कि दोनों माइंसों से कोयला का उत्पादन और डिस्पैच में बढ़ोतरी करनी होगी. साथ ही कोयला चोरी पर रोक लगानी होगी. अनावश्यक खर्च में कटौती करते हुए जरूरत के मुताबिक ठेकेदारी कार्य कराने की जरूरत है. इसके लिए प्रबंधन को काफी जद्दोजहद करनी पड़ेगी.मरीन ड्राइव व ड्रेनेज सिस्टम की योजना पर लगी है आस :
नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत उसरी नदी के किनारे मरीन ड्राइव निर्माण को लेकर यहां के लोग आस लगाये हुए हैं. इसको लेकर उठी मांग के आलोक में पहल शुरू होने की उम्मीद है. मरीन ड्राइव बन जाने से शहरवासियों को सुकून के दो पल उसरी नदी के किनारे बिताने का मौका मिलेगा. गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार झारखंड सरकार में नगर विकास एवं आवास विभाग मंत्री हैं. इस मुद्दे को उन्होंने भी कई बार उठाया है. लिहाजा नये वर्ष में यह उम्मीद होगी कि यह योजना धरातल पर उतरे. इसके अलावे ड्रेनेज सिस्टम की योजना क्रियान्वित होने की भी उम्मीद है. इसको लेकर डीपीआर बनाने को लेकर प्रारंभिक कार्य शुरू हो गया है. विदित हो कि शहरी क्षेत्र के नालों का पानी उसरी नदी में गिरने से नदी प्रदूषित हो रही है. ड्रेनेज सिस्टम से नदी के पानी को स्वच्छ रखा जाना संभव होगा. बाइपास सड़क से लोगों को जाम से राहत मिलने की उम्मीद है.गिरिडीह कॉलेज में शिक्षकों की कमी को दूर होने की उम्मीद :
गिरिडीह कॉलेज एवं महिला कॉलेज में विषयवार शिक्षकों की कमी है. गिरिडीह कॉलेज में विद्यार्थियों की संख्या लगभग 10 हजार है, जिसके लिए मात्र 12 प्रोफेसर हैं. लगभग नौ शिक्षकों की कमी है. साइंस व गणित आदि विषयों में शिक्षकों की कमी से रेगुलर कक्षाएं संचालित नहीं हो पाती हैं. पठन-पाठन की समस्या को लेकर कई बार छात्र संगठनों ने आंदोलन भी किया है. अब नये साल में उम्मीद है कि यह समस्या दूर होगी. महिला कॉलेज में तीन शिक्षकों की कमी है.(सूरज सिन्हा, गिरिडीह)B
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