गिरिडीह/पीरटांड़: जैनियों के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल मधुबन के पावन धरती पर शनिवार से आध्यात्मिक संत सह प्रसिद्ध रामकथा वाचक मोरारी बापू की नौ दिवसीय रामकथा की शुरूआत हुई. शनिवार की शाम करीब 4.15 बजे जैसे ही मोरारी बापू कार्यक्रम स्थल मधुबन के मकर संक्राति मैदान पहुंचे, वैसे ही लोग जय श्री राम और जय हनुमान के जयकारा लगाने लगे. कार्यक्रम स्थल पहुंचते ही सबसे पहले संगीतमय हनुमान चालीसा का पाठ किया गया. हनुमान चालीसा पाठ ले पूरा कार्यक्रम स्थल भक्तिमय हो उठा. मोरारी बापू ने हनुमान जी के भजन से शुरुआत की. रामकथा बांचते हुए कहा कि सम्मेद शिखर स्थित इस रामकथा में हमारा केंद्रीय विषय मानस सप्त शिखर रहेगा. सम्मेद शिखर का अर्थ समता का शिखर भी है. इसका एक और अर्थ करुणा का शिखर, संवेदना का शिखर भी है.
कहा कि पहला शिखर कैलाश शिखर जहां शिव-पार्वती का सदा सर्वदा निवास है. दूसरा शिखर चित्रकूट है. तीसरा प्रवर्षण शिखर है. चौथा शिखर त्रिकूट है. पांचवां शिखर सुमेर है. छठा शिखर नीलगिरी शिखर जहां निरंतर रामकथा चलती है. सातवां शिखर मेरो है. अपने ग्रंथों में शिखरों की महिमा अद्भुत है. पर्वतों के बारे में विस्तार से बताते हुए मोरारी बापू ने कहा कि सभी सरिताओं का उद्गम स्थान पर्वत है. पर्वत से जल जुड़ा है. पर्वतों से वृक्ष जुड़ा है. पर्वत का शिखर आकाश तत्व से जुड़ा है. शिखर वाले पर्वत से वायु भी जुड़ा है. पर्वत से अग्नि भी जुड़ा है. पर्वतों से खनिज भी जुड़ा है. मोरारी बापू ने कहा कि रामचरितमानस का मंगलाचरण सात मंत्रों से हुआ है. मोरारी बापू ने गुरु शब्द पर भी व्याख्या भी की. गुरु महिमा के बारे में बताते हुए रामचरितमानस की चौपाई संगीतमय धुन में सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गये. उन्होंने कहा कि दृष्टि विवेकमय होनी चाहिए. कहा कि बीस तीर्थंकरों के निर्वाण भूमि सम्मेद शिखरजी में कथा कहना सौभाग्य की बात है.
मधुबन के मंकर संक्राति मैदान में शनिवार से आध्यात्मिक संत सह प्रसिद्ध रामकथा वाचक मोरारी बापू की नौ दिवसीय रामकथा की शुरु हुई. शनिवार की दोपहर 2. 25 बजे मोरारी बापू देवघर एयरपोर्ट पहुंचे और यहां से सीधे सम्मेद शिखर मधुबन के लिए रवाना हो गए. दोपहर करीब 3. 25 बजे मोरारी बापू का आगमन सौरभांचल संस्था परिसर में बने कुटिया में हुआ. इस दौरान भक्तों का समूह मोरारी बापू की एक झलक पाने को आतुर दिखे. सौरभांचल संस्था के अध्यक्ष राकेश जैन ने मोरारी बापू का आशीर्वाद लिया. वहीं, मोरारी बापू के रामकथा में शामिल हुई आर्यिका पुनीत चैतन्यमती माता ने सभी धर्म को श्रेष्ठ बताया है. कहा कि धर्म वही है, जहां मन की शुद्धता है. जहां चित्त की शुद्धता है. हमें अपने खानपान की शुद्धता एवं नीति नियम का ध्यान रखना चाहिए. मन में वचन में एवं क्रिया में समानता होनी चाहिए. धर्म यही कहता है कि हर प्राणी सुखी रहे. सुख बाहर नहीं हमारे अंदर है. कोई भी धर्म दूसरों को सताने नहीं कहता है. हमें प्राणी मात्र के लिए उपकार की भावना रखनी चाहिए. हमें दूसरों की निंदा करने से ज्यादा स्वयं के दोष को भी देखना चाहिए. सम्मेद शिखर में रामकथा हो सौभाग्य नहीं बल्कि महाभाग्य है. रामकथा सुनकर जीवन की व्यथा को दूर करना है. पूज्य मुनि श्री सुयश सागर महाराज ने भी श्रद्धालुओं को अपने मंगल वचनों से धर्म और अध्यात्म के बारे में बताया.
रामकथा सुनने देश-विदेश से पहुंचे हैं श्रद्धालु
मोरारी बापू के रामकथा सुनने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु मधुबन पहुंचे हुए है. अधिकांश श्रद्धालु शुक्रवार को ही मधुबन पहुंच गये थे तो कुछ लोग शनिवार को पहुंचे. सुबह से ही मधुबन में श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था. रामकथा सुनने के लिए कैलिफोर्निया, नेपाल, भूटान, अमेरिका, दिल्ली, मुंबई, राजस्थान, गुजरात, यूपी, बंगाल, झारखंड, बिहार के अलावे देश के कई राज्यों से श्रद्धालु मधुबन पहुंचे हुए हैं. बाहर से आये श्रद्धालुओं के होटल में रहने के साथ-साथ भोजन की भी व्यवस्था आयोजन समिति ने की है. देश-विदेश से श्रद्धालुओं के पहुंचने के बाद मधुबन बाजार की रौनक बढ़ गयी है. कई अस्थायी दुकानें भी लगी हैं, जहां से लोग निशानी के रूप में मूर्तियां ले जाना पसंद कर रहे हैं.
भक्ति में लीन दिखे लोग, कोई जप रहा था जय श्री राम नाम का माला तो, कोई कॉपी में लिख रहा था जय श्री राम
मोरारी बापू के रामकथा के लिए मधुबन के मकर संक्राति मेला मैदान में भव्य व आकर्षक वातानुकूलित पंडाल का निर्माण कराया गया है. पंडाल में शनिवार की दोपहर से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था. पंडाल में भगवान श्रीराम की भव्य और आकर्षक प्रतिमा भी श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रही है. श्रद्धालुओं में गजब की भक्ति देखने को मिल रही है. अधिकांश लोग पंडाल में भगवान श्री राम की भक्ति में लीन दिखे. कोई हाथों में माला लेकर जय श्रीराम जप रहा था तो कोई शांति से बैठ कर कॉपी में भगवान श्री राम के नाम लिखते जा रहा था. रामकथा शुरू होते ही पूरे इलाके का माहौल भक्तिमय हो उठा.
पीरटांड़ से लेकर पूरे मधुबन तक झंडा पटा हुआ था :
रामकथा को लेकर पीरटांड़ से मधुबन तक अलग-अलग स्थानों पर बड़े-बड़े तोरणद्वार बनाये गये थे. पीरटांड़ से लेकर मधुबन तक भगवा झंडा से पाट दिया गया था. पूरा इलाका भगवान श्रीराम की भक्ति में लीन दिखा.
मोरारी बापू की रामकथा सुन भाव-विभोर हो रहे हैं श्रद्धालु : मुकेश
इधर आयोजक समिति के मुकेश जालान ने बताया कि मधुबन में आध्यात्मिक संत सह प्रसिद्ध रामकथा वाचक मारोरी बापू की रामकथा सुनने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु मधुबन पहुंचे हैं. पहले दिन रामकथा सुन श्रद्धालु भाव-विभोर हो गये. कहा कि रामकथा सुनने के लिए आसपास के कई गांव से भी श्रद्धालु यहां पहुंच रहे है. उन्होंने कहा कि गिरिडीह शहर के बड़ा चौक से सुबह 8 बजे से एक बस खुलेगी, जिससे श्रद्धालु नि:शुल्क मधुबन आ सकते हैं. कहा कि मोरारी बापू की रामकथा सुनना सबसे बड़ा सौभाग्य है.
मोरारी बापू की कुटिया देखने उमड़ रही है लोगों की भीड़
रामकथा करने मधुबन पहुंचे मोरारी बापू के रहने के लिए आयोजक समिति की ओर से व्यापक व्यवस्था की गयी है. मधुबन के सौरभांचल संस्था परिसर में वातानुकूलित कुटिया का निर्माण कराया गया है. इस कुटिया की खूबसूरती देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है. हालांकि, यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतेजाम किये गये है और किसी भी व्यक्ति को कुटिया में प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी गयी है. इतना ही नहीं मोरारी बापू के खाना बनाने के लिए भी वातानुकूलित सुविधाओं से लैस किचन बनाया गया है. जहां उनका खाना बनाया जा रहा है. रामकथा के सफल आयोजन में गौरव अग्रवाल, पिंकू अग्रवाल, प्रदीप जिंदल, जीआर गर्ग, मुकेश जालान, बांके बिहारी शर्मा, शाहिल शर्मा, नीलकमल भारतीया, अंकित केडिया, आशीष जालान आदि सक्रिय हैं.