गिरिडीह : लॉकडाउन के बाद राजस्थान के कोटा में इंजीनियरिंग, मेडिकल की तैयारी कर रहे गिरिडीह के करीब 150 से अधिक छात्र-छात्राएं फंसे हुए है. जो छात्र-छात्राएं वहां फंसे हैं वे तो परेशान हैं ही, उनके साथ उनके माता-पिता भी परेशान है. कोटा में फंसे छात्र-छात्राएं लगातार ट्विटर के माध्यम से राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ-साथ गिरिडीह के उपायुक्त से भी अपने घर वापसी करवाने के लिए लगातार गुहार लगा रहे हैं. हालांकि अब-तक कोई पहल नहीं किये जाने के बाद वहां फंसे छात्र-छात्राओं के साथ-साथ उनके अभिभावकों की भी परेशानी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. बॉक्स : बंद कमरों में रहने की है विवशता :कोटा में बढ़ते कोरोना के संक्रमण के बाद धीरे-धीरे करके लगभग पूरा शहर खाली होते जा रहा है. हालांकि वहां फंसे गिरिडीह के छात्र-छात्राएं घर आने को बेचैन हैं. वहां फंसे छात्र-छात्राओं को लगातार खाने-पीने की दिक्कत भी हो रही है.
लॉकडाउन में बाजार में सामान नहीं मिलने का असर हॉस्टल के मेस पर भी पड़ रहा है. इस बाबत कोटा के अलग-अलग इलाकों में फंसे छात्र-छात्राएं मधु कुमारी, पूजा कुमारी, अंकित कुमार, विनीत कुमार, शुभम कुमार समेत अन्य ने बताया कि हमें किसी तरह से यहां से वापस जाना है.बॉक्स : क्या कहना है छात्र-छात्राओं का :कोटा महावीर नगर फर्स्ट इलाके में फंसा गिरिडीह शहर का अंकित कुमार देव ने बताया कि वह कोटा में रहकर मेडिकल की तैयारी कर रहा है. लॉकडाउन के बाद इंस्टीट्यूट बंद है. दूसरे प्रदेश के कई छात्र-छात्राएं अपने – अपने घर वापस चले गये है, लेकिन हमलोग अभी तक यहीं फंसे हुए है. लॉकडाउन के बाद काफी परेशानी हो रही है.
खाने – पीने की सामग्री खत्म हो गयी है. बाजार पूरी तरह से बंद है. हमारी समस्या को कोई सुनने वाला नहीं है. झारखंड सरकार जल्द से जल्द कोई पहल करे और हमें यहां से वापस अपने घर पहुंचाने के लिए कोई कदम उठाये.अंकित कुमार देव, गिरिडीहकोटा के राजीव गांधी नगर में रहकर मेडिकल की तैयारी कर रही गिरिडीह के पंजाबी मुहल्ला की लिप्पी पांडेय का कहना है कि अपने घर से दूर रहकर पढ़ाई करने में उतनी दिक्कत नहीं थी जितनी परेशानी लॉकडाउन के बाद हो रही है. हर मिनट घर वाले फोन पर जानकारी ले रहे हैं. परिजन पूरी तरह से परेशान है. मुझे तो यहां काफी परेशानी हो रही है. खाने-पीने में भी दिक्कत हो रही है. झारखंड सरकार जल्द कोई पहल करें.
ताकि हमलोगों की परेशानी दूर हो और हमलोग अपने घर वापस पहुंच पाये. लिप्पी पांडेय, पंजाबी मुहल्ला गिरिडीह महावीर नगर कोटा में रहकर मेडिकल की पढ़ाई कर रही गिरिडीह के बिशनपुर पचंबा की रहने वाली शाहजहां परवीन का कहना है कि घर से बाहर निकलना बंद हो गया है. लॉकडाउन के बाद इंस्टीट्यूट बंद है. पढ़ाई भी बंद हो गयी है. मेरे कई फ्रेंड अपने- अपने घर वापस चले गये है, लेकिन हमलोग अब-तक यहीं फंसे हुए है. हर पल घरवालों की याद आती है और हमेशा ऐसा लगता है कि जैसे भी हो अपने घर चली जाऊं. अकेली रहती हूं तो और ज्यादा परेशानी हो रही है. झारखंड सरकार पहल करें. शाहजहां परवीन, बिशनपुर पचंबा गिरिडीह विज्ञान नगर कोटा में रहकर मेडिकल की पढ़ाई कर रहे गिरिडीह के नावाडीह सरिया के रहने वाले विकास कुमार ने बताया कि लॉकडाउन के बाद सबसे अधिक परेशानी खाने में हो रही है. खाने की सामग्री खत्म हो गयी है.
जिस कारण काफी परेशानी हो रही है. कमरे से बाहर निकलना बंद हो गया है. अब एक दिन भी यहां रहना मुश्किल हो रहा है. अगर हमारी राज्य सरकार कोई पहल करे और गिरिडीह जिले के सभी छात्र – छात्राओं को यहां से घर तक पहुंचाने के लिये कदम उठाये. विकास कुमार, कपिलो-सरिया, गिरिडीह क्या कहना है छात्र संगठन का कोटा में फंसे गिरिडीह जिले के लगभग 150 छात्र-छात्राओं के वापस लाने के संबंध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व प्रदेश मंत्री रोशन सिंह ने बताया कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पूरे राज्य में एक अभियान चला रहा है. जिसके तहत आंकड़ा इकट्ठा किया जा रहा है कि पूरे झारखंड राज्य के कितने छात्र-छात्राएं कोटा में फंसे हुए है.
कई जिलों से सूची बनकर आ चुकी है और दो-चार दिनों में बाकी जिलों से भी सूची मिल जायेगी. गिरिडीह जिला के लगभग 150 छात्र-छात्राएं कोटा के अलग-अलग इलाकों में फंसे हुए हैं. जो लॉकडाउन के बाद काफी परेशान है और वे लगातार राज्य सरकार से अपने घर वापसी की गुहार लगा रहे हैं. एक सप्ताह के अंदर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिलकर कोटा में फंसे झारखंड के छात्र-छात्राओं को वापस लाने की गुहार करेगा. साथ ही राजस्थान सरकार से भी वहां फंसे झारखंड के छात्र-छात्राओं को उनके घर भेजने में मदद करने की मांग करेगा.रोशन सिंह, पूर्व प्रदेश मंत्री, अभाविप