दोनों पैर नहीं, फिर भी खुद से मास्क तैयार कर बांट रहे मुफ्त
गिरिडीह : लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंद लोगों की मदद में कई सामाजिक संगठन, राजनीतिक दल के नेताओं, कार्यकर्ताओं व युवाओं जुटे हुए हैं. लोगों के बीच खाद्य सामग्री के साथ मास्क व सैनेटाइजर का वितरण किया जा रहा है. शहर से सटे कुछ ऐसे भी इलाके हैं, जहां के लोग जागरूक नहीं रहने के कारण […]
गिरिडीह : लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंद लोगों की मदद में कई सामाजिक संगठन, राजनीतिक दल के नेताओं, कार्यकर्ताओं व युवाओं जुटे हुए हैं. लोगों के बीच खाद्य सामग्री के साथ मास्क व सैनेटाइजर का वितरण किया जा रहा है. शहर से सटे कुछ ऐसे भी इलाके हैं, जहां के लोग जागरूक नहीं रहने के कारण न तो चेहरे पर मास्क लगा रहे हैं और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे है. ऐसे लोगों को जागरूक करने में एक दिव्यांग जुटे हुए हैं. यह सदर प्रखंड के महेशलुंड़ी गांव का रहने वाला नारायण हजाम है. नारायण हजाम के दोनों पैर कुछ वर्षों पूर्व एक एक्सीडेंट में ट्रेन से कट गये थे.
इसके बाद उसने आर्टिफिशियल पांव लगाकर घर पर टेलरिंग का काम शुरू कर दिया और अपने परिवार का भरण-पोषण करने लगे. लॉकडाउन के बाद काम पूरी तरह से बंद हो गया. बताया कि इस दौरान उनके मन में एक विचार आया कि क्यों नहीं बचे हुए अच्छे कपड़ों से मास्क तैयार कर लोगों के बीच बांटा जाये. इसी के बाद उन्होंने घर पर बचे हुए बिना उपयोग किये हुए कपड़ों को धोकर पहले उसको अच्छी तरह से साफ किया और उस कपड़े को सुखाकर मास्क बनाना शुरू किया.
नारायण बताते हैं कि वह लोगों को जागरूक करने के लिए नि: शुल्क वितरण कर रहे हैं. नारायण की इस पहल के बाद आस-पास के लोग इस कार्य की खूब प्रशंसा कर रहे है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के बाद हर कोई अपने-अपने तरीकों से लोगों की मदद कर रहे हैं. उन्होंने भी अपने स्तर से लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है, ताकि कोरोना से लड़ी जा रही इस जंग में सबका साथ मिले और हम सब इस बीमारी का डटकर सामना कर सकें. बताया कि अभी तक लगभग 200 से 250 लोगों के बीच नि:शुल्क मास्क का वितरण किया जा चुका है. बताया कि इस दौरान कुछ ऐसे भी लोग मिलते हैं जो उन्हें कुछ मदद करते हैं.