Giridih News:मां कूष्माण्डा की पूजा करने से दूर होती हैं बाधाएं : बाबूलाल पांडेय
Giridih News:शारदीय नवरात्र को लेकर क्षेत्र में चहल-पहल का माहौल है. शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मां दुर्गा की पूजा कर उन्हें प्रसन्न करने के लिए नवरात्र का पर्व अपने आप में विशेष महत्व रखता है. रविवार को नवरात्र के चौथे दिन जगह-जगह घरों व पंडालों में भगवती के चतुर्थ रूप मां कूष्माण्डा की पूजा की गयी.
सरिया. शारदीय नवरात्र को लेकर क्षेत्र में चहल-पहल का माहौल है. शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मां दुर्गा की पूजा कर उन्हें प्रसन्न करने के लिए नवरात्र का पर्व अपने आप में विशेष महत्व रखता है. रविवार को नवरात्र के चौथे दिन जगह-जगह घरों व पंडालों में भगवती के चतुर्थ रूप मां कूष्माण्डा की पूजा की गयी. इस संबंध में भगला काली मंदिर के पुजारी बाबूलाल पांडेय ने बताया कि मां कूष्माण्डा की पूजा करने से सूर्य के कुप्रभाव से भक्तों का बचाव होता है. बताया जाता है कि पूरे ब्रह्मांड के साथ ही सूरज में अवस्थित तेज कूष्माण्डा की छाया है. इन्हीं की कांति व प्रभाव से सूर्यदेव अस्तित्व में हैं. उन्होंने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार जब सृष्टि नहीं थी चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, उस समय मां कूष्माण्डा ने ब्रह्मांड की रचना की थी. इसलिए इन्हें आदिशक्ति भी कहा जाता है. मां कूष्माण्डा की पूजा करने के लिए रविवार की सुबह से लेकर शाम तक श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. श्रद्धालुओं को दर्शन-पूजन करने में कोई कठिनाई नहीं हो इसके लिए स्वयंसेवक लगे हुए थे.
क्या है पूजा का विधान
पं बाबूलाल पांडेय ने बताया कि नवरात्र की चतुर्थी को मां कूष्माण्डा को कुम्हड़े की बलि चढ़ाने का विधान है. इनको लाल रंग के फूल और फल बहुत प्रिय है. जबकि मालपुआ और हलुआ का भोग मां कूष्माण्डा को लगाया जाता है. इनकी पूजा से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. इनकी भक्ति से रोग और शोक से मुक्ति मिलती है. व्यक्ति के जीवन में धन और समृद्धि की वृद्धि होती है.
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